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सिंधिया ने नई ज्योति जगाई, लक्ष्मीबाई “समाधि” मुस्कुराई।

सार

सिंधिया परिवार पर रानी लक्ष्मीबाई को धोखा देने के आरोप किताबों में दबे छुपे थे, लेकिन सार्वजनिक रूप से उनका सिंधिया परिवार के खिलाफ राजनीतिक उपयोग हाल ही में ज्यादा शुरू हुआ है|

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विस्तार

सिंधिया राजघराने की नई ज्योति ने परिवार पर लगे सदियों पुराने दाग को धो दिया है| इतिहास को बदलना आसान नहीं होता| ऐसे ऐतिहासिक अवसर कभी-कभी ही आते हैं, जब इतिहास में नया मोड़ आता है| महारानी लक्ष्मीबाई की शहादत आजादी की लड़ाई का अहम पड़ाव था| ऐसे महान स्वातंत्र वीरों से भारत का इतिहास भरा पड़ा है| इतिहास हमे यह भी बताता है कि कई क्रांतिकारी  धोखे से बलिदान हुए थे| चंद्रशेखर आजाद के साथ भी ऐसा ही हुआ था| धरती मां के लिए कफन बाँधने वाले कभी लड़ाई हारते नहीं हैं| हमेशा वह अपनी लड़ाई जीतते हैं| भारत के साथ भी ऐसा ही हुआ| हमारा स्वतंत्रता आंदोलन सफल हुआ और हम आजाद हुए|

सिंधिया राजवंश 160 सालों से यह दंश झेल रहा है कि उसने रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया| “अंग्रेजों के साथ मिलकर अपना राज बचाया” इस बात का कोई ऐतिहासिक प्रमाणित तथ्य भले ही नहीं हो, लेकिन सिंधिया राजघराने पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं|

सिंधिया राजवंश मध्य प्रदेश का बहुत प्रतिष्ठित राजपरिवार है| सिंधिया राजपरिवार ने अपनी रियासतों में विकास का पैमाना स्थापित किया था| मध्य प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में भी सिंधिया परिवार का महत्वपूर्ण स्थान रहा है| जनसंघ और भाजपा की शुरुआत से ही सिंधिया परिवार जुड़ा रहा है| विजयाराजे सिंधिया के योगदान को भाजपा कभी भूल नहीं सकती है|

माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी में अहम मुकाम हासिल किया| ग्वालियर चंबल के विकास में माधवराव सिंधिया का योगदान अविस्मरणीय रहा है| 

सिंधिया परिवार पर रानी लक्ष्मीबाई को धोखा देने के आरोप किताबों में दबे छुपे थे, लेकिन सार्वजनिक रूप से उनका सिंधिया परिवार के खिलाफ राजनीतिक उपयोग हाल ही में ज्यादा शुरू हुआ है|

ज्योतिरादित्य सिंधिया  ने कमलनाथ सरकार से बगावत की और कांग्रेसी सरकार का पतन हो गया| तब से कांग्रेसी ज्योतिरादित्य सिंधिया को गद्दार और धोखेबाज कहने के लिए इतिहास के पन्नों को कुरेदने लगे|

रानी लक्ष्मीबाई की शहादत को विरोधी सिंधिया के खिलाफ राजनीतिक अस्त्र के रूप में उपयोग करने लगे| सिंधिया राजघराने की नई ज्योति के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने राजवंश पर सवाल उठाने वालों को करारा जवाब दिया| सिंधिया  विरोधियों को ज्योतिरादित्य ने ऐसा झटका दिया कि उनका राजनीतिक अस्त्र समाप्त हो गया|

सिंधिया विरोधियों पर ज्योतिरादित्य का यह परमाणु अटैक जैसा है|

रानी लक्ष्मी बाई की समाधि आज मुस्कुरा रही है| समाधि यह संदेश दे रही है कि लक्ष्मी बाई की  शहादत राष्ट्र के लिए थी और अंततः रानी जीती और देश गुलामी से मुक्त हुआ|

सिंधिया राजवंश ने 1857 में रानी लक्ष्मीबाई का साथ “दिया या नहीं” अपनी सल्तनत बचाने के लिए अंग्रेजों का साथ “लिया या नहीं” यह सब इतिहास का विषय है| इसकी सच्चाई पर सवालिया निशान हो सकते हैं| फिर भी पूर्वजों के किसी कृत्य के लिए क्या किसी के वंशज को दोषी ठहराया जा सकता है?

कैकई के कर्मों के लिए क्या भरत को दोषी ठहराया जा सकता है?

हमारे धर्म, शास्त्र, वेद, पुराण संस्कृति इस बात से भरे पड़े है, जहां परिवार के अलग-अलग लोग धर्म और अधर्म से जुड़े रहे|

परिवार के किसी भी व्यक्ति के अधर्म के कर्मों के लिए धर्मी को कभी दोषी नहीं माना गया|

ज्योतिरादित्य पर उनके पूर्वजों के के किसी कथित कृत्य के लिए सवाल उठाना क्या जायज है? 

ऐसा लगता है कि “बिल्कुल नहीं” 

अब इसका विश्लेषण कर लिया जाए की सल्तनत बचाने के लिए राजा महाराजाओं और बादशाहों ने क्या-क्या नहीं किया! जो भी संभव तरीके थे उन्हें क्या नहीं अपनाया गया? क्या केवल ग्वालियर का सिंधिया राजघराना था जिसने अपना राजपाट बचाने के लिए अंग्रेजों का साथ लिया था?

भारत में  ऐसे कितने राज परिवार रहे हैं जिन्होंने अपने राजपाट को बचाने के लिए बादशाहों को अपना रिश्तेदार तक बना लिया था! 

ऐतिहासिक बातों पर नहीं भी जाएं और आधुनिक समय में राजनीतिक सत्ता बचाने के लिए क्या क्या, कैसे कैसे तरीके और हथकंडे अपनाए जाते हैं? राजवंश और राजनीतिक वंशवाद में क्या कोई अंतर है? जो राजवंशों ने किया, क्या राजनीतिक वंशवाद ने उससे कुछ कम किया है|

कांग्रेस और गांधी परिवार राजनीतिक वंशवाद के लिए क्या क्या नहीं कर रहा है|  लीडरशिप की योग्यता हो ना हो लेकिन लीडर वंश का ही होना चाहिए? 

क्या ऐसा करना आधुनिक राजनीति में योग्य और सक्षम  लोगों की योग्यता को बलिदान करने जैसा नहीं है|

राजनीति में गद्दारी और धोखा तो शायद “इनबिल्ट” होता है| हर रोज चारों तरफ राजनीतिक गद्दारी और धोखेबाजी दिखाई पड़ती है| वादों के विपरीत राजनीतिक आचरण क्या धोखेबाजी और गद्दारी नहीं है?

भारतीय राजनीति संस्कृति और सामाजिक स्तर पर अधिकांश विवाद इतिहास के उचित या अनुचित सन्दर्भों के कारण नहीं हैं|  

आततायियों ने भारतीय संस्कृति को नष्ट किया| आज फिर सब कुछ पुनर्स्थापित हो रहा है, लेकिन नष्ट करने के लिए जिम्मेदार पूर्वजों के वंशजों ने  कभी पश्चाताप महसूस किया?

“शायद नहीं” क्योंकि ऐसा करना बहुत साहस की बात होती है|

जो ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्वजों के किसी काम के लिए दोषी नहीं हैं, उनमें यह ज्योति प्रकाशित होना बहुत सुखद है, उन्होंने स्वतंत्र वीर लक्ष्मीबाई को उनकी समाधि पर जाकर नमन किया| यह इतिहास का ऐसा मोड़ और दिशा है जो सकारात्मक व सर्वस्पर्शी है|

ज्योतिरादित्य के इस नमन ने उनको बहुत ऊंचा उठा दिया है| ज्योतिरादित्य अपने कर्म और सदवृत्तियों के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं| अंतः करण की शुद्धता और अंतरात्मा की ज्योति जब किसी में प्रकाशित होती है, तब ऐसे ही निर्णायक मोड़ आते हैं|