देश के सबसे जागरुक बिहार के जनादेश ने लोकतंत्र को झूठ, छल और प्रपंच से बचाने का काम किया है. राजनीति में परिपक्वता को प्राथमिकता दी है..!!
कभी न टूटने वाली बिहार की जाति राजनीति को भी तोड़ने का काम किया है. लोकतंत्र में महिलाओं के वर्चस्व को स्थापित किया है. बिहार के प्रचंड जनादेश को परिवारवाद, भ्रष्टाचार और जंगलराज के खिलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर कहा जा सकता है. ऑपरेशन सिंदूर में जैसे भारत ने पाकिस्तान में घुसकर मारा था, वैसे ही बिहार की महिला शक्ति ने जाति धर्म की सीमाएं तोड़कर सुशासन, विकास के लिए भ्रष्टाचार और जंगलराज में लिप्त राजनीतिक परिवारों को नेस्तनाबूद किया है.
मोदी और नीतीश के मैजिक ने विश्वसनीयता का इतिहास रचा है. दूसरी तरफ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के किसी भी वायदे या बात पर भरोसा नहीं किया गया. बिहार की जनता का उसकी राजनीतिक परिपक्वता के लिए पूरे देश का आभार तो बनता है. क्योंकि लोकतंत्र को लूटने के लिए जो झूठ फैलाए जा रहे थे, अगर वह सफल हो जाते तो जनमत के विवेक पर ही सवाल खड़े हो जाते.
लोकसभा चुनाव परिणाम में भाजपा बहुमत से पीछे रह गई थी. कांग्रेस थोड़ा ज्यादा सीट जीत गई थी, यहीं से मतदाताओं को धक्का लगा था. आरक्षण और संविधान खत्म करने के गढ़े गए नैरेटिव के झांसे में जो लोग आ गए थे, उन्हें परिणाम से धक्का लगा था. उसके बाद जितने भी राज्यों में चुनाव हुए सब में बीजेपी और एनडीए गठबंधन को स्पष्ट जीत मिली है. बिहार में तो एनडीए को मिले मैंडेट की लहर दूसरे राज्यों तक भी जाती दिखाई पड़ रही है.
अखिलेश यादव ने भी अपनी ताकत बिहार में दांव पर लगाई थी. उन्होंने सोचा था अगर बीजेपी को बिहार में ही शिकस्त दे दी जाए तो फिर यूपी में उनका रास्ता साफ हो जाएगा. लेकिन जनादेश ने ऐसा निर्णय दिया है कि अब यूपी चुनाव के नतीजे का अनुमान लगाया जा सकता है.
वोट चोर गद्दी छोड़ का नारा लगाने वाले राहुल गांधी देश में कम विदेश में ज्यादा रहते हैं. नॉन सीरियस नेगेटिव पॉलिटिक्स उनका शगल बन गया है. वोट चोरी का उनका हाइड्रोजन बम कांग्रेस पर ही फूट गया है. कांग्रेस के मतदाता ही चोरी हो गए हैं. इतिहास की अब तक की सबसे बुरी हार कांग्रेस ने बिहार में देखी है.
लालू यादव का राष्ट्रीय जनता दल भी भ्रष्टाचार के दलदल में ऐसा फंसा की अब उसका राजनीतिक रूप से खड़ा होना मुश्किल दिखाई पड़ता है. तेजस्वी यादव का एमवाई(मुस्लिम, यादव) समीकरण भी बिखर गया है. महा गठबंधन के सीएम और डिप्टी सीएम फेस को मिला रिजेक्शन देश में मजबूत होते लोकतंत्र का प्रबल उदाहरण है.
हर परिवार को सरकारी नौकरी का वादा भी काम नहीं आया. मतदाता नेता की विश्वसनीयता पर यकीन करता है. शेखचिल्ली के वायदे कभी काम नहीं आते. करप्शन में चार्जशीटेड तेजस्वी यादव अगर चुनाव जीत जाते तो यह लोकतंत्र पर बड़ा धब्बा होता.
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति की सोच बदलने का बड़ा काम किया है. गवर्नेंस और परफॉर्मेंस को चुनावी जीत का पैमाना बनाने में उन्हें सफलता मिली है. बीस साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी नीतीश कुमार ने प्रो इम्कमबेंसी का जो इतिहास रचा है, उस तक पहुंचना किसी दूसरे के लिए आसान नहीं होगा.
राहुल गांधी सभाओं में संविधान लहराते हैं. बिहार के लोगों ने जनादेश में संविधान लहरा दिया है. जाति राजनीति का उनका खेल भी बिहार ने पलट दिया है. कांग्रेस के लिए यह शर्मनाक स्थिति है, कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी उससे ज्यादा सीटें जीतने में सफल रही है.
बिहार का जनादेश पार्ट टाइम पॉलिटिक्स के खिलाफ है. झूठे नैरेटिव के खिलाफ है. तुष्टीकरण के खिलाफ़ है. जातिवादी राजनीति को नकारने वाला है. कांग्रेस के मंच से पीएम नरेंद्र मोदी की मां को गाली दी गई थी, उसका जवाब इस जनादेश ने दिया है.
बिहार की धरती से ही पीएम मोदी ने पहलगाम के दोषियों को सजा देने की हुंकार भरी थी. ऑपरेशन सिंदूर की सोच बिहार की धरती से ही निकली थी. इस ऑपरेशन के बाद बिहार का यह पहला चुनाव है. ऑपरेशन सिंदूर ने जितनी दुर्दशा पाकिस्तान की, कमोवेश वैसा ही बिहार की महिलाओं ने परिवारवादी भ्रष्ट राजनीति के लिए की है.
जनादेश के विश्वास और भविष्य के आशा के इस परिणाम पर एनडीए को खरा उतरना पड़ेगा. विकास की राज्य की आकांक्षा को नए तरीके से पूरा करने के लिए नई सरकार को जुटना होगा.
नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है फिर भी सोशल मीडिया जीवी इस पर सवाल उठा रहे हैं. राहुल गांधी का गठबंधन का खेल भी बिहार ने तोड़ दिया है. अब यूपी में शायद ही अखिलेश यादव उन्हें अपने गठबंधन में बनाए रखें.
राहुल गांधी को देश के GEN-Z का मूड समझ जाना चाहिए. बिहार ने यह मूड बता दिया है. कांग्रेस परिणाम का आंकलन करेगी, गठबंधन भी करेगा, कमियां भी निकालेगा, लेकिन इससे कुछ नहीं होगा, जब तक बुनियादी गलतियां नहीं सुधारी जाएंगी, जब तक वोट चोरी का आरोप लगाकर मतदाताओं का अपमान किया जाएगा तब तक ऐसे ही परिणाम आएंगे.
लोकतंत्र सकारात्मक, विकास की राजनीति मांगता है. नकारात्मक राजनीति कभी चल भी जाती है, लेकिन अक्सर हार जाती है. मोदी, नीतीश की सकारात्मकता जीती है. राहुल तेजस्वी की नकारात्मकता को बिहार ने फटकारा है. परिवारवादी भ्रष्टाचारी राजनीति के खिलाफ़ ऑपरेशन सिंदूर का विस्फोट लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ताकत देगा.