राहुल गांधी का वोट चोरी का हाइड्रोजन बम भी बेदम निकला. हरियाणा चुनाव को लेकर मतदाता सूची में गड़बड़ियों के उनके आरोप पहले जैसे ही हैं. उनकी एच फाइल्स को बम कहना भी हाइड्रोजन बम काअपमान कहा जाएगा..!!
बिहार चुनाव में पहले फेस की वोटिंग के पहले राहुल गांधी अगर बिहार में वोटर लिस्ट की गड़बड़ी का मामला उठाते तो शायद इसका कुछ असर हो भी सकता था, लेकिन राहुल गांधी हाथ में अतीत का बम लिए घूम रहे हैं.
बीजेपी और संघ से नफरत के कारण राहुल गांधी का मन इतना जहरीला हो गया है कि उन्हें देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया चोरी लग रही है. राहुल गांधी यह भी कह रहे हैं, कि बिहार में भी वोट चोरी की कोशिश हो रही है. हम उसका भी खुलासा करेंगे. इसका सीधा संदेश है कि वह अपने गठबंधन की हार सुनिश्चित मान रहे हैं.
चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई विशेष मतदाता पुनरीक्षण एसआईआर का उद्देश्य ही यही है, कि मतदाता सूची को शुद्ध किया जाए. डुप्लीकेट और मृत नाम हटाए जाएं. जो भारत के नागरिक नहीं हैं, उनका नाम मतदाता सूची से अलग किया जाए. राहुल गांधी जो भी आरोप लगा रहे हैं, वह इसी से जुड़ा हुआ है.
मतदाता सूची में एक ही नाम कई स्थान पर है. विदेशी मॉडल का नाम और फोटो होने का आरोप लगा रहे हैं. जब आयोग मतदाता सूची से इन्हीं सब को हटाने के लिए एसआईआर कर रहा है तो फिर उसका विरोध क्यों किया जा रहा है. राहुल गांधी ने एच फाइल्स में जो भी आरोप लगाए हैं, कोई सबूत नहीं दे पाए कि किसी भी मतदाता ने दो स्थानों पर वोट डाला.
मतदाता सूची में नाम बार-बार हो सकते हैं. फोटो और पते गलत हो सकते हैं, लेकिन यह सब तकनीकी त्रुटियां हैं. जब तक यह साबित नहीं किया जाता कि किसी ने भी दो बार वोट डाला है, तब तक चुनावी परिणामों को फर्जी या वोट चोरी कहना विधि सम्मत नहीं है.
मतदाता सूची सुधारी जानी चाहिए. लेकिन केवल इन्हीं को आधार बनाकर राहुल गांधी यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, कि फर्जी मतदाताओं के जरिए हरियाणा में बीजेपी ने सरकार बनाई है. उनकी बात की विश्वसनीयता इसलिए भी नहीं बन पाती है, क्योंकि इसी चुनाव आयोग और इसी चुनावी प्रक्रिया में कांग्रेस ने भी कई राज्यों में अपनी सरकार बनाई है. यहां तक कि लोकसभा में कांग्रेस को अप्रत्याशित सीटें मिलीं.
राहुल ने ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल को अपने आरोपों का आधार बताया. राहुल गांधी ने कहा कि इन सब में कांग्रेस जीतती बताई जा रही थी, लेकिन परिणाम में हार गई. पिछले लोकसभा में सारे एग्जिट पोल बीजेपी को 400 पार सीटें दे रहे थे. लेकिन परिणाम में पार्टी स्पष्ट बहुमत भी नहीं ला पाई. ओपिनियन और एग्जिट पोल तो कई बार गलत साबित होते हैं.
राहुल गांधी के सारे तर्क अतार्किक आधार पर खड़े हैं. उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री का एक वीडियो भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में चलाया, जिसमें उन्हें यह कहते हुए बताया गया है, कि बीजेपी चुनाव में सरकार बनाने जा रही है क्योंकि उनकी सारी व्यवस्था है. राहुल गांधी ने व्यवस्था शब्द को चोरी की व्यवस्था से जोड़ा जो उनकी फिल्मी कल्पना ही कही जा सकती है.
हरियाणा के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर राहुल गांधी के आरोपों को शपथ पत्र के साथ देने के लिए कहा. मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया और उस दौरान कांग्रेस द्वारा कोई आपत्ति नहीं दर्ज करने की बात भी उन्होंने कही. राहुल गांधी चुनाव आयोग को निशाने पर लेते हैं, लेकिन वह अपनी पार्टी की कमजोरी को नजरअंदाज कर जाते हैं.
मतदाता सूची चुनावी प्रक्रिया का आधार है. इसका शुद्ध होना जरूरी है. लेकिन इसकी गड़बड़ियों की शिकायत हमेशा होती है. इसीलिए चुनाव आयोग एसआईआर भी कर रहा है. इसका विरोध राहुल गांधी और उनके गठबंधन के सभी दल कर रहे हैं. ममता बनर्जी बंगाल में खुलेआम इसका विरोध कर रही हैं. राहुल गांधी मतदाता सूची में गड़बड़ी तो स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन एसआईआर का समर्थन करने को तैयार नहीं है. यह दोहरा चेहरा लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है.
राहुल गांधी ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में GEN-Z से लोकतांत्रिक प्रक्रिया और देश के संविधान को बचाने की अपील की. GEN-Z को इसमें घसीटने के नजरिए के पीछे राजनीतिक साजिश दिखाई पड़ती है. नेपाल में GEN-Z के विद्रोह के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए लगातार ऐसी कोशिशें हो रही हैं. GEN-Z ने ही तो कांग्रेस को सत्ता से उतारा है.
मतदाता सूची का शुद्धिकरण चुनाव आयोग और राजनीतिक दल दोनों की सामूहिक जिम्मेदारी है. इलेक्शन कमीशन तो प्रक्रिया करता है. इसके असली लाभार्थी तो राजनीतिक दल होते हैं. जो लाभार्थी हैं उनकी जिम्मेदारी है, कि चुनाव के पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया में पूरी ताकत, निष्ठा और ईमानदारी से शामिल हों.
विश्वसनीयता के पैमाने पर राहुल गांधी लगातार कमजोर होते जा रहे हैं. जो भी मुद्दे वह उठाते हैं सब मिसफायर हो जाते हैं. वोट चोरी का हाइड्रोजन बम भी ना केवल फुस्सी निकला है, बल्कि उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रहा है.
चुनाव दर चुनाव कांग्रेस के घटते वोट, चोरी के कारण नहीं बल्कि झूठ मुद्दे और सीनाजोरी के कारण हैं. पहले कांग्रेस को संभालो, जनहित के मुद्दे उछालो, विश्वसनीयता कमालो फिर किसी को चोर बोलो.