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ठेकों में मुस्लिम रिजर्वेशन, एंटी नेशन

सार

​​​​​​​कांग्रेस की कर्नाटक  राज्य सरकार ने सरकारी ठेकों  में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है. कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले की यह व्यवस्था सरकारी विभागों, निगमों और संस्थाओं द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद पर लागू होगी..!!

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विस्तार

    कांग्रेस कर्नाटक की अपनी राज्य सरकार में मुसलमानों के लिए ऐसे कट्टर फैसलें लेना चाहती है, जिससे कि देश के मुसलमानों को राजनीतिक संदेश दिया जा सके. तुष्टिकरण और आरक्षण जिहाद कांग्रेस का राष्ट्रीय स्वाद है. देश में हिंदू-मुस्लिम विवाद की बुनियाद कांग्रेस के ऐसे फैसलों के पीछे ही छिपी है. क्रिकेट में भारत की जीत पर देश में दंगे की घटनाएं इसी राष्ट्रीय स्वाद के कारण ही हैं, जिसमें एक समुदाय को तुष्टिकरण और आरक्षण जिहाद का संरक्षण दिया गया है.   

    कर्नाटक सरकार का फैसला कांग्रेस के डीएनए को बता रहा है. भारत के संविधान में शरिया कानून को मान्यता देकर कांग्रेस ने देश में विभाजन और तुष्टिकरण का जो जिहाद शुरू किया था, वही आज भारत की जीत पर भड़कता हुआ दिखाई पड़ता है. देश में आज हालात ऐसे बन गए हैं कि, विधि सम्मत कानून बनाने के संसद के अधिकारों का भी विरोध किया जाता है. पूरे देश को शाहीन बाग बनाने की धमकी दी जाती है.

    वक्फ़ कानून में संशोधन का विरोध और उसका राजनीतिक दलों द्वारा समर्थन आरक्षण जिहाद का खुला इजहार ही कहा जाएगा. जो विपक्षी दल वक्फ़ कानून के संशोधन का विरोध कर रहे हैं, उनके पास संसद में अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है. संसदीय प्रक्रिया में अगर संशोधनों को बहुमत से पारित कर दिया जाता है तो फिर न्यायिक प्रक्रिया खुली रहती है. क्योंकि प्रदर्शनकारियों को यह आभास है कि न्यायिक प्रक्रिया में कोई राहत नहीं मिलेगी. जो भी संशोधन हैं वह सभी विधि सम्मत ही होंगे. बीजेपी कभी भी यह कदम उठा ही नहीं सकती कि राजनीतिक रूप से उसके विरोधी किसी समुदायन से जुड़े किसी कानून में ऐसा कोई संशोधन प्रस्तावित करें जो विधि सम्मत ना हो. 

   पाकिस्तान का विभाजन भी तुष्टिकरण का ही जिहाद था. कांग्रेस के नेताओं ने देश का विभाजन कर जिन्ना को तुष्ट  किया. भारत में उसी दिन से तुष्टिकरण और आरक्षण जिहाद  शुरू हो गया. एक समुदाय को उनके पर्सनल कानून के अनुसार आचरण की संविधान में अनुमति देकर कांग्रेस ने अपने वोट बैंक का आरक्षण किया.

    मुसलमानों को पर्सनल कानून का लाभ देकर, देश के बाकी समुदायों के लिए विवाह के संबंध में कानून बनाए गए. इस कानून के अंतर्गत हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख सहित  सभी समुदायों को लाया गया. कांग्रेस इस कानून को भारत मैरिज एक्ट नाम दे सकती थी लेकिन जानबूझकर इस कानून का नाम हिंदू मैरिज एक्ट दिया गया. इसके पीछे कांग्रेस का तुष्टिकरण और आरक्षण जिहाद की मानसिकता छुपी हुई है.

    मुस्लिम समुदाय को देश के बाकी समुदायों से  विभाजित कर उनका तुष्टीकरण किया गया. पार्टी के लिए एक वोट बैंक रिजर्व  किया गया. हिंदू मैरिज एक्ट में वह समुदाय भी शामिल हैं, जो अल्पसंख्यक वर्ग में आते हैं. लेकिन एक्ट का नामकरण ऐसा किया गया कि मुसलमानों को तुष्ट किया जा सके. 

    देश में जाति और धर्म की सीमाओं को खत्म करने की कोशिशों को हमेशा कांग्रेस ने नुकसान पहुंचाया है. कांग्रेस से इतर सरकार द्वारा ओबीसी रिजर्वेशन की नीति जब लागू की गई थी, तब उसमें किसी जाति विशेष को प्राथमिकता नहीं दी गई थी, बल्कि पिछड़ा वर्ग को महत्व दिया गया था. इस वर्ग में हिंदू समाज की पिछड़ी जातियों के अलावा मुस्लिम समाज की भी पिछड़ी हुई जातियां शामिल हैं. मुस्लिम समाज की ऐसी पिछड़ी जातियों को ओबीसी रिजर्वेशन का लाभ मिल रहा है. यह लाभ मुस्लिम होने के कारण नहीं है, बल्कि पिछड़ेपन के कारण है. यह लाभ कई राज्यों में मुस्लिम समाज की पिछड़ी जातियों को मिल रहा है.

    जातियों को तोड़ने के लिए धीरे-धीरे देश गरीबी और पिछड़ेपन के आधार पर समानता की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन कांग्रेस तुष्टिकरण और आरक्षण जिहाद की मानसिकता से ऊपर नहीं उठ सकी है.

    राहुल गांधी जातिगत जनगणना कराना चाहते हैं. आरक्षण की  50% की सीमा को खत्म करना चाहते हैं. जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी की अवधारणा आरक्षण में लागू करके मुस्लिम समाज को भी आरक्षण के दायरे में लाना चाहते हैं. ओबीसी के अंतर्गत शामिल मुस्लिम जातियों के अलावा जिस भी राज्य सरकार ने अलग से धर्म के आधार पर मुस्लिम समाज को आरक्षण देने का प्रयास किया, उसे अभी तक तो न्यायालय द्वारा खारिज किया जाता रहा है. धर्म के आधार पर आरक्षण की अवधारणा भारत में लागू नहीं है.

    कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने धर्म के आधार पर मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने का जो निर्णय लिया है, वह एक ऐसा टाइम बम है, जो जब फटेगा तो कांग्रेस तो बर्बाद होगी इसके निशान देश पर भी पड़ेंगे. कांग्रेस यह पूरा प्रयास अपने मुस्लिम वोट बैंक को वापस पाने के लिए कर रही है. गठबंधन के सहयोगियों के मुस्लिम जनाधार को वापिस पाने के लिए ही कांग्रेस अपनी राज्य सरकार में  ऐसे फैसले ले रही है. कांग्रेस का वोट बैंक हथियाकर जिन क्षेत्रीय दलों ने अपना आधार मजबूत किया था, उन्होंने कांग्रेस को अपने साथ लेकर बड़ी गलती की है. अब सारा झगड़ा मुस्लिम वोट बैंक के लिए सिमट गया है. 

   बिहार में लालू यादव, यूपी में अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अगर कांग्रेस को अपने साथ रखने से डर रहे हैं, तो उसके पीछे कांग्रेस की ऐसी ही चालें हैं, जो कर्नाटक के जरिए पूरे देश के मुसलमानो को अपने पक्ष में करने के लिए चली जा रही हैं. 

    कर्नाटक सरकार के फैसले पर बीजेपी आरोप लगा रही है, कि मुस्लिम ठेकेदारों को आरक्षण देने के पीछे भी राहुल गांधी का हाथ है. मुख्यमंत्री में ऐसा फैसला लेने के लिए न तो साहस है और ना ही राजनीतिक सामर्थ्य. बीजेपी का आरोप है कि, पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना भले चले गए हो लेकिन अपने पीछे वह लोग छोड़ गए जो उनकी राजनीति करते हैं.

    पार्टी से ज्यादा भारत का जीतना जरूरी है. भारत में धर्म के आधार पर विभाजन या रिजर्वेशन का कोई भी प्रयास एंटी-नेशन ही माना जाएगा. दुनिया में ज्ञान का विस्फोट हो रहा है लेकिन कांग्रेस तुष्टीकरण के ज्ञान के आगे बढ़ना ही नहीं चाहती. यह तो वक्त बताएगा कि, यह आरक्षण जिहाद कांग्रेस को आबाद करेगा या फिर बर्बाद.