फिल्मी सितारों व संभ्रांत लोगों की बिगड़ैल संतानों द्वारा आयोजित होने वाली रेव पार्टियां इसकी भयावहता को दर्शाती हैं, चिंता की बात यह है कि सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा के चलते अब भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है..!!
यह भारत सरकार के निगरानी तंत्र पर एक प्रश्न चिन्ह है। देश के विभिन्न भागों में नशीले पदार्थों की बरामदगी और तस्करों की गिरफ्तारी आम बात है, मगर जब कोई नशे की बड़ी खेप की बरामदगी होती है तो चिंताएं बढ़ जाती हैं। जहां घातक नशा हमारी युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट करके आत्मघात के रास्ते पर ले जा रहा है, वहीं नशे से उगाहे जाने वाले पैसे से अपराध व आतंकवाद की दुनिया ताकतवर हो रही है।
पुख़्ता खबर आई कि नौसेना, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनबीसी और गुजरात पुलिस के साझे आप्रेशन में एक नाव से अब तक की सबसे बड़ी तीन हजार तीन सौ किलो ड्रग्स बरामद की है। इस नाव पर सवार पांच तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है। आशंका है कि तस्कर पाकिस्तान के हो सकते हैं क्योंकि पैकेटों पर पाकिस्तानी कंपनी की मोहर लगी बतायी जाती है। बरामद नशीले पदार्थ की कीमत दो हजार करोड़ रुपये है।
कल्पना कीजिये कि यह नशा यदि हमारे युवाओं की नसों में उतरता तो कितनी बड़ी हानि होती और भारत की दुर्लभ मुद्रा नशा तस्करों के हाथ में पहुंचती। बहुत संभव है कि आतंकवाद व अपराध की दुनिया को मजबूत करती। एनसीबी के अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि समुद्र में किसी बोट से यह अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है। इससे पहले गत बाईस फरवरी को पुणे से 700 किलो और दिल्ली से 400 किलो ड्रग्स मेफेड्रोन बरामद की गई थी, जिसकी कीमत ढाई हजार करोड़ रुपये थी। इस बरामदगी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में किस पैमाने पर नशीले पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है। नशीले पदार्थों की उस मात्रा की कल्पना करने से भी डर लगता है जो सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचकर निकल जाती होगी। निश्चित रूप से नशीले पदार्थों का सेवन अपराधों के लिये भी उर्वरा भूमि तैयार कर देता है। बहुत से युवा महंगे नशे की लत को पूरा करने के लिये अपराध की दुनिया में उतर जाते हैं।
हर साल देश में हजारों युवा नशे की ओवरडोज से मौत का शिकार हो जाते हैं। इस वजह से सरकारों का दायित्व बन जाता है कि देश के भविष्य को पतन के गर्त में गिरने से बचाने के लिये अतिरक्त सुरक्षा उपाय करें। लेकिन जिस पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी हो रही है उससे तो डर लगता है कि लाखों युवा विभिन्न तरह के नशीले पदार्थों के आदी होते जा रहे हैं।
फिल्मी सितारों व संभ्रांत लोगों की बिगड़ैल संतानों द्वारा आयोजित होने वाली रेव पार्टियां इसकी भयावहता को दर्शाती हैं। चिंता की बात यह है कि सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा के चलते अब भारत-पाक सीमा पर ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है। पंजाब में पिछले दिनों सुरक्षा बलों ने कई ड्रोनों को मार गिराया और तस्करों से बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थ बरामद किये। चिंता की बात यह है कि कड़ी सुरक्षा के चलते अब समुद्री रास्ते से नशीले पदार्थों की तस्करी की जा रही है।कुछ समय पूर्व सोमनाथ के एक घाट पर बहकर आई साढ़े तीन सौ करोड़ की नशीले पदार्थों की खेप बरामद की गई थी। इससे पहले गुजरात बंदरगाह पर अचानक हुए निरीक्षण के दौरान एक पोत से पंद्रह हजार करोड़ की नशे की खेप की बरामदगी हुई थी।
निश्चित रूप से नशे की खेप का एक बड़ा हिस्सा आज भी देश में खप रहा है, जिसको रोकने के लिये पुलिस, सुरक्षा बलों, एजेंसियों तथा समाज को बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। साथ ही देशभर में नशा मुक्ति अभियान चलाने की जरूरत है। नशे छुड़वाने के लिये बड़े पैमाने पर नशेड़ियों के पुनर्वास की भी जरूरत है। सरकार को भी तंत्र की नजर से बचकर निकल रहे नशीले कारोबार पर शिकंजा कसने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। खासकर समुद्र के रास्ते होने वाली तस्करी की बड़ी खेप की निगरानी के लिये तटरक्षक बलों को आधुनिक संसाधनों से लैस करने की जरूरत है। साथ ही बंदरगाहों की निगरानी चौकस हो।