चुनाव की घोषणा के पहले ही यूपी चुनाव का एजेंडा “हिंदुत्व मॉडल” सनातन हिंदुओं के सामने मजबूती से रखा जा चुका है. लेकिन काशी, मथुरा और अयोध्या को विकास की प्रक्रिया में माडल के रूप में पेश करने में हिंदूवादी राजनीति असंदिग्ध रूप से सफल हुई है. यह कितनी अजीब बात है कि कानूनन मतों के लिए, जिसका उपयोग नहीं हो सकता, वही चुनाव में सबसे ज्यादा उपयोग होता दिखाई पड़ रहा है..
जनप्रतिनिधित्व कानून के अंतर्गत धर्म के आधार पर मत मांगना भले ही प्रतिबंधित हो, लेकिन यूपी चुनाव में पूरा वातावरण धर्म से ओतप्रोत है| ऐसा नहीं है कि चुनाव को धर्ममय बनाने में किसी एक दल का हाथ है| सभी दल यह स्थापित करने में लगे हैं कि वे और उनका दल ज्यादा धार्मिक है| चुनाव की घोषणा के पहले ही यूपी चुनाव का एजेंडा “हिंदुत्व मॉडल” सनातन हिंदुओं के सामने मजबूती से रखा जा चुका है| “मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा” हकीकत बन चुका है| हिंदुत्व का लाभ इन चुनावों में हिंदुत्ववादियों को मिलेगा कि नहीं यह तो परिणाम बताएंगे, लेकिन काशी, मथुरा और अयोध्या को विकास की प्रक्रिया में माडल के रूप में पेश करने में हिंदूवादी राजनीति असंदिग्ध रूप से सफल हुई है| सामाजिक सौहार्द के मामले में भी हिंदुत्व की राजनीति की सफलता दिख रही है| क्योंकि सभी धर्मों के लोग बिना किसी भेदभाव और डर के अपनी आस्थाओं के साथ समतामूलक विकास के हिस्सेदार और भागीदार बने हैं|
चुनाव में जीत कर लखनऊ के प्रशासनिक धाम में पहुंचने के लिए सभी दल जाति धर्म और लोकलुभावन वादों के साथ मैदान में उतर चुके हैं| “जाति और धर्म” दोनों जनप्रतिनिधित्व कानून में मत मांगने के लिए प्रतिबंधित हैं, लेकिन यही दोनों जीत और हार तय करने के मुख्य आधार हैं| आज हम केवल चुनाव में “धर्म का हस्तक्षेप” “मंदिर मस्जिद विवाद” “राम मंदिर निर्माण” “काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण” और “मथुरा के विकास” की गतिविधियों के चुनाव पर असर पर ही चर्चा करेंगे|
इस बार विधानसभा चुनाव का वातावरण भी 2017 के चुनाव जैसा है| दोनों प्रतिद्वंदी दल भी वही हैं| मुद्दे भी कमोबेश वही हैं| सनातन धर्मी हिंदुओं का पलायन पहले भी मुद्दा था और आज भी चुनाव में मुद्दा बना हुआ है| किसी न किसी रूप में हिंदुत्व की राजनीति पूरे चुनाव पर हावी है| इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस बात से समझा जा सकता है, कि लगभग 20% आबादी वाले मुस्लिम धर्म के कल्याण और विकास के प्रति, चुनाव अभियान में कुछ भी बोलने से, वह दल और नेता भी बच रहे हैं, जो उन मतों के लाभार्थी माने जाते हैं| लोकलुभावन वायदों की झड़ी लगाने वाले दल भी, मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए, कोई भी वायदा करने से भयाक्रांत जैसे लगते हैं| यह कितनी अजीब बात है कि कानूनन मतों के लिए, जिसका उपयोग नहीं हो सकता, वही चुनाव में सबसे ज्यादा उपयोग होता दिखाई पड़ रहा है|
काशी में विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का निर्माण होना, सनातन धार्मियों के लिए कल्पना जैसी बात है| लेकिन वह हकीकत में संभव हो पाया, काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के समय| भगवा में काशी और भगवा प्रधानमंत्री के गंगा स्नान का दृश्य सनातन धर्म के लिए आह्लादित करने वाला था| सेकुलर कहलाने वाली सरकारों के समय ऐसे दृश्य कल्पना योग्य नहीं थे, जो सनातन धर्मियों ने देखे और महसूस किया| वैसे तो 2014 में केंद्रीय सत्ता में बदलाव के पीछे, काशी का ही सबसे बड़ा योगदान रहा है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी से ही सांसद बने थे| सनातन हिंदू धर्म का सबसे पवित्र माघ मास चल रहा है| मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण हो चुके हैं| सनातन धर्म के मुताबिक, माघ मास में नदियों में विशेषकर गंगा में स्नान, ध्यान, पूजा और दान का विशेष महत्व है| गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक, गंगा के किनारे, तटों पर माघ मास में धार्मिक वातावरण की अनुगूँज सुनाई पड़ रही है|
उत्तराखंड के गंगोत्री से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर तक, विधानसभा चुनाव हो रहे हैं| बिहार में प्रवेश के पहले लगभग, 1400 किलोमीटर गंगा के क्षेत्र में चुनाव की सरगर्मी के साथ धर्म की अनुगूंज भी वातावरण में व्याप्त है| गंगा के घाटों पर कल्पवासी साधु संत, तपस्वी योगी, पूजा आराधना में लगे हैं, तो राजनीति के योगी चुनाव जीतने के लिए, मतदाताओं की आराधना में लगे हैं| अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, सनातन धर्मियों की, सदियों की आकांक्षा के फलीभूत होने जैसा है| अयोध्या में मंदिर, मस्जिद विवाद जमीन से लेकर अदालत तक कितने वर्षों तक चला| कितने साधु-संतों और राम भक्तों ने इसमें अपना बलिदान किया| घर घर “जय श्री राम का नारा” सनातन धर्म का सहारा बन गया| राम मंदिर आंदोलन के दौरान सेकुलरवादी हमेशा यह आरोप लगाते रहे, कि केवल वोट के लिए मंदिर की राजनीति की जा रही है| मंदिर बन ही नहीं सकता, आज ऐसे आरोप गलत साबित हो गए हैं| पूरे देश के जन सहयोग से मंदिर का निर्माण हो रहा है| हर रोज हजारों लोग अयोध्या पहुंचकर, मंदिर निर्माण की प्रगति और भगवान राम के दर्शन कर, अपने जीवन को धन्य कर रहे हैं| सनातन धर्मियों को उनकी धन्यता के लिए मिला अवसर निश्चित ही इन चुनावों में प्रभाव डालेगा|
जीवन में एक बार काशी विश्वनाथ धाम का दर्शन हर सनातन धर्मी का परम लक्ष्य होता है| काशी विश्वनाथ धाम का पुनर्निर्माण, अहिल्याबाई के बाद ढाई सौ साल बाद संभव हो पाया है| इसका श्रेय निश्चित रूप से काशी के सांसद और प्रधानमंत्री को दिया जाएगा| काशी में शहर के विकास और विश्वनाथ धाम के पुनर्निर्माण को हकीकत में बदल कर, भाजपा की सरकारों ने, सनातन धर्मियों में उनके प्रति विश्वास को और मजबूत किया है| कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में भी सनातन धर्मियों की आत्मा बसती है| सनातन धर्मी काशी मथुरा और अयोध्या को मुक्त देखना चाहते थे| भौतिक अधोसंरचना के विकास के मामले में, मथुरा भी तेजी से आगे बढ़ रहा है| मथुरा में अभी विवादास्पद स्थिति नहीं है| लेकिन पूरे अंचल में यह संदेश घर-घर है कि मथुरा भी विकास में पीछे नहीं रहेगा|
यूपी चुनाव में विभिन्न दलों के बीच टक्कर कड़ी है| भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस सभी अपने जाति आधार को मनाने और पटाने में लगे हुए हैं| ऐसे चुनावी वायदे किए जा रहे हैं, जो आज की आर्थिक परिस्थितियों के दौर में पूरा करना किसी भी दल के बूते की बात नहीं है, यह बात पब्लिक भी समझती है| कानून और राजधर्म के राज्य की कसौटी पर भाजपा सरकार की सफलता साफ दिखाई पड़ती है| माफियाओं पर बुलडोजर से जन सुरक्षा मजबूत हुई है|
पांच राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश के चुनाव देश के भविष्य की दृष्टि से निर्णायक होंगे| गंगा शुद्धिकरण के साथ ही काशी, मथुरा और अयोध्या का सनातन धर्मी स्वाभिमान, निश्चय ही इन चुनाव में अपना असर दिखाएगा| चुनाव प्रचार अभियान में भले ही सीधे कोई नेता या दल काशी मथुरा और अयोध्या के राम की चर्चा नहीं कर रहे हों| लेकिन घुमा फिरा कर इंटरव्यू में, थीम सांग में, प्रतीकों के माध्यम से यह बात कहीं जा रही है| सोशल मीडिया तो राममंदिर आन्दोलन कारसेवकों पर गोली चालन जैसी सभी पुरानी घटनाओं के ऑडियो video और चित्रों से भरा पड़ा है| माघ महीने में देवी देवताओं की पूजा अर्चना बहुत ज्यादा हो रही है| अब देखना यह है काशी मथुरा और अयोध्या के राम यूपी की सत्ता लखनऊ धाम किसको पहुंचाते हैं|