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दुश्मनी भी निभाते, सनातनी

सार

भारत-पाक तनाव में भारत की सुरक्षा के खिलाफ पाकिस्तान को मदद करने वाले तुर्की का बहिष्कार किया जा रहा है. सरकार के  स्तर पर वहां की कंपनी सैलबी का सुरक्षा क्लीयरेंस रद्द कर दिया गया है. सरकार की कार्यवाही के साथ-साथ देश के नागरिक जो तुर्की के साथ व्यापार करते थे, वहां से आयात-निर्यात करते थे, उनको भी बंद कर दिया गया है..!!

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विस्तार

     पर्यटन के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों ने तो अपने टूरिस्ट पैकेज रद्द कर दिए हैं. टूरिस्ट कंपनियों ने तो अब तुर्की के लिए पैकेज की बुकिंग ही बंद कर दी है. यह सारे एक्शन सरकार के निर्देश पर नहीं बल्कि तुर्की द्वारा पाकिस्तान को समर्थन देने के रिएक्शन में स्वतः हो रहे हैं.

     भारत के खिलाफ स्टैंड लेने पर मालदीव को ऐसा सबक पहले भारतीय नागरिकों द्वारा सिखाया जा चुका है. बिजनेस की मार के बाद मालदीव को झुकना पड़ा था. अब तुर्की के साथ भी भारतीय लोग बिजनेस नहीं करने पर अड़े हुए हैं. पाकिस्तान के साथ तो ट्रेड लंबे समय से बंद है.

     तुर्की एक मुस्लिम राष्ट्र है. दुनिया के ज्यादातर मुस्लिम राष्ट्र जो प्रगतिशील हैं, उन्होंने भारत-पाक तनाव में या तो निष्पक्षता बनाए रखी या भारत के साथ खड़े रहे. पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्रों ने धर्म के नाम पर समर्थन नहीं दिया. केवल तुर्की और अजरबैजान ही पाक के समर्थन में आये. यद्दपि दोनों देशों द्वारा पाक को ड्रोन और दूसरे साजोसामान देने से लाभ होने की बजाय उनकी इमेज ही खराब हुई है.

    पाकिस्तान को कोई भी सहयोग काम नहीं कर सका. तुर्की के सारे ड्रोन भारतीय सेना ने मार गिराए. अब तुर्की को भारत के साथ दुश्मनी का खामियाज़ा भुगतना पड़ रहा है. वसुधैव कुटुंबकम वाला भारत अब दोस्ती और दुश्मनी निभाने को लेकर जागरूक और सजग है. पाकिस्तान के साथ ट्रेड और टॉक पूरी तरह से बंद है. अब तो सिंधु जल संधि को भी स्थगित कर दिया गया है. 

    जब भारत पाकिस्तान को ही सैन्य कार्रवाई रोक कर केवल प्रोवेशन  पर रखने का फैसला किया है तो फिर पाकिस्तान से दोस्ती निभाने वाले देशों के साथ तो रणनीति पाकिस्तान जैसी ही होगी. भारत के रक्षा मंत्री भुज एयर बेस पर पाकिस्तान को कह रहे हैं कि, प्रोवेशन पीरियड में उनके कैरेक्टर की निगरानी की जा रही है. अगर सुधरने का संकेत मिला तो ठीक है, नहीं तो अभी तो केवल ट्रेलर दिखाया गया है, पाकिस्तान को पिक्चर भी दिखा दी जाएगी.    

     पाकिस्तान का साथ देने वाले देशों को भी बिजनेस बायकाट का ट्रेलर दिखाए जा रहा है. अगर सुधार नहीं हुआ तो पूरी पिक्चर भी सामने आ जाएगी. तुर्की को लेकर भारत की आम जनता में आक्रोश है. भारत सरकार का अपना आक्रोश दिख ही रहा है लेकिन दूसरे राजनीतिक दल इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. 

     एक राजनीतिक दृश्य ने तो लोगों को बहुत चौंका दिया है. कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब तुर्की को लेकर सवाल पूछा गया तो कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज और प्रवक्ता एक दूसरे के तरफ माइक खिसकाते रहे. दोनों के मुंह से तुर्की की निंदा में एक भी शब्द नहीं निकला क्योंकि वह इस्लामी राष्ट्र है. इसलिए उसके विरुद्ध कोई भी टिप्पणी भारत में मुस्लिम वोट बैंक पर दुष्प्रभाव डाल सकती थी. शायद इसीलिए कांग्रेस इस पर चुपचाप रही. इसके पहले भी फिलिपींस पर वोट बैंक पॉलिटिक्स कांग्रेस द्वारा की गई थी.

    वोट बैंक से घबराकर राजनीतिक दलों की सांसे बंद हो जाती हैं. ऐसी राजनीति से अपने देश को नुकसान पहुंचा है. आतंकवादी भारत को हिंदू मुसलमान की नजर से देखते हैं. पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूंछकर हिंदुओं को मारने का महापाप किया है. भारत के अतिवादी राजनेता तो इससे भी आगे न केवल हिंदू मुसलमान की नजर से देखते हैं बल्कि उसमें जातिवाद भी उभारने की कोशिश करते हैं.

    मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह कर्नल सोफिया कुरैशी पर अभद्र टिप्पणी करते हैं तो समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव विंग कमांडर व्योमिका सिंह की जाति बताते हैं. यह दोनों कृत्य राष्ट्रहित में नहीं है परंतु इसमें राजनीति के लक्ष्य साधने की पूरी मंशा है. विजय शाह के मामले में तो हाई कोर्ट के निर्णय के बाद केस दर्ज किया गया है. अभी तक कोई राजनीतिक कदम तो सामने नहीं आया है. राम गोपाल यादव पर भी कार्रवाई जरूरी है.

     भारतीय सेना अपनी क्षमता और दक्षता में अद्वितीय है तो उसका बेसिक कैरक्टर धर्म, जाति और राजनीति से दूर है. भारत पाकिस्तान एक साथ ही अस्तित्व में आए थे और आज दोनों देशों की सेनाओं में जमीन आसमान का अंतर है. राष्ट्र धर्म भारतीय सेना की ताकत है तो सत्ता पर काबिज़ होकर डेमोक्रेसी में हस्तक्षेप पाक सेना का इतिहास है. सेना के नाम पर राजनीतिक दल भले ही राजनीति करें लेकिन भारतीय सेना चुपचाप रहती है. जबकि पाकिस्तान की सेना खुद ही राजनीति करती है. सेना  की सर्विस, यूनिटी और करैक्टर पर राजनीति की कोई भी कोशिश हर स्तर पर रोकी जानी चाहिए. 

    पाकिस्तान की आर्मी और देश का राष्ट्रीय लक्ष्य जिहाद बताया जाता है जबकि भारत वसुंधेैव कुटुंबकम  में विश्वास करता है. सनातन में ज़िहाद जैसा कोई विचार नहीं है. संस्कृति और सभ्यतागत यह गुण ही सनातन की ताकत है. लेकिन राष्ट्रभक्ति के प्रति बढ़ी सनातनी जागरूकता नए भारत की पहचान करा रही है. दोस्ती दुश्मनी निभाना अब सनातनी भी अपना धर्म और देशभक्ति मानने लगे हैं. 

    पाकिस्तान ने भारत के इसी बदलाव को समझने में भूल कर दी है. अब उसे अपने देश में आतंकवादी और आतंकी ढांचे को खत्म करना ही पड़ेगा. कोई भी देश उसका साथ दे लेकिन आतंक के सांप का जहर कभी ना कभी उसको भी डसेगा .

    विश्व की शांति और खुशहाली के लिए आतंकवाद मिटाने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. भारत अपनी सुरक्षा के लिए आक्रामक है. यह आक्रामकता भविष्य में बढ़ती ही जाएगी. जो भी भारत को पुराने नजरिए से देखते हुए अपने कदम बढ़ाएगा, उसे निराशा हाथ लगेगी.