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बेलगाम होता सोशल मीडिया 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Fri , 24 Oct

सार

इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स के कुछ लाभ भी हैं तो कुछ हानियां भी हैं।

janmat

विस्तार

भारत सरकार को फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मस  पर परोसी जा रही अश्लीलता पर ऐसी साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिये।हमारी संस्कृति में सदाचरण, चरित्र निर्माण, विनम्रता, प्रेम, दया, त्याग और आदर-सम्मान जैसे सद्गुणों को प्रमुखता रही है। इसके बावजूद हमें कुपथगामी एवं दुराचारी लोगों के किस्सों की कथाएं आए दिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पढऩे, देखने और सुनने को मिलती रहती हैं, जिससे कहीं न कहीं यह भावना बलवती होती है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों, आदर्शों, मूल्यों और नैतिक आचरण को लेकर भरपूर मार्गदर्शन होने के बावजूद क्यों समाज के कुछ लोग पथभ्रष्ट होकर गलत कार्यों में संलग्न रहकर सामाजिक ताने-बाने को दूषित करने का प्रयास करते हैं? यह सच है कि इंटरनेट, गूगल और सोशल मीडिया के लाभों को आज नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आप यूट्यूब और गूगल सर्च इंजन से कैसी भी जानकारी तत्काल हासिल कर अपनी ज्ञान सुधा तृप्त कर सकते हैं। इन्हीं माध्यमों पर उपलब्ध अश्लील सामग्री पर रोक लगना चाहिए।

फेसबुक की वीडियो वाली रील्स सेक्शन में गंदे और अश्लील वीडियो की भरमार है, उस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। सोशल मीडिया ने इसके उपयोगकर्ताओं को एक प्लटेफार्म उपलब्ध करवाया है। इस माध्यम द्वारा आप लेखन कार्य, पारिवारिक गतिविधियों, अपनी उपलब्धियों, विशेष पारिवारिक समारोह के चित्रों/वीडियो को व्यक्तिगत रूप से सांझा कर सकते हैं और सार्वजनिक रूप से आम लोगों तक पहुंचा सकते हैं। सिक्के के दो पहलुओं की तरह आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया के अच्छे बुरे दोनों रूपों के इस्तेमाल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इन प्लेटफ़ार्मस को जहां आप अपनी रुचियों के परिमार्जन और आपसी मेल मिलाप आदि के दृष्टिकोण से सदुपयोग कर सकते हैं तो वहीं कुछ दुष्ट प्रवृत्ति के लोग इन प्लेटफ़ार्मस को रुपया कमाने और हमारी युवा शक्ति को बिगाड़ कर सामाजिक माहौल को दूषित करने में दिन-रात लगे हुए हैं। इन माध्यमों पर परोसी जा रही अश्लीलता पर कानूनी तौर पर रोक लगाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है। 

सबसे पहले 1997 में पहला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिक्सडिग्री  शुरू हुआ था। इसकी स्थापना एंड्रयू वेनरिच ने की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक साल में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 7.6 फीसदी बढ़ी है और यह 4.72 अरब तक पहुंच गई है। भारत में फेसबुक पर एक महीने में लगभग 200 करोड़, यूट्यूब पर 100 करोड़, इंस्टाग्राम पर 70 करोड़, रेड्डिट के 25 करोड़, पिनट्रेस्ट के 15 करोड़, आस्क एफएम के 16 करोड़ उपयोगकर्ताओं सहित करोड़ों भारतीय अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर विजिट्स करते हैं। आज दुनिया की कुल आबादी के 60 प्रतिशत से अधिक के बराबर जनता सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है। 

इन दिनो गलत सूचनाएं और उम्र छुपा कर 9-10 साल के छोटे-छोटे बच्चों ने भी फेसबुक पर अपने अकाउंट खोल रखे हैं और धड़ल्ले से सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षण के नाम पर बच्चों को स्मार्टफोन देना या उपलब्ध करवाना और उसे हर वक्त डाटा उपलब्ध करवाना मां-बाप की मजबूरी बन चुकी है। अब अभिभावक शिक्षित हो या अशिक्षित, प्रत्येक क्षण अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने से रहे, ऐसे में भारत में बढ़ता स्मार्टफोन्स का बाजार मां-बाप के समक्ष नई चुनौतियां भी खड़ी कर रहा है। ऊपर से फेसबुक, यूट्यूब और पोर्न साइट्स पर परोसी जा रही अश्लीलता से परिस्थितियां गंभीर होती जा रही हैं। जितने ज्यादा मोबाइल यूजर्स होंगे, उतना ही डाटा का इस्तेमाल बढ़ेगा और टेली कंपनियों के वारे न्यारे होंगे। इसलिए उनकी तरफ से हमारी किशोरवय एवं युवापीढ़ी गलत दिशा में जाती है तो भाड़ में जाए, उन्हें तो अपनी मोटी कमाई से मतलब है। 

इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स के कुछ लाभ भी हैं तो कुछ हानियां भी हैं। जैसे सोशल मीडिया के इस्तेमाल से आप अकेलेपन का शिकार होने से बचते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स से आप हमेशा व्यस्त रह सकते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स आपके बिजनेस को भी फायदा पहुंचा सकती हैं और इन्हीं साइट्स पर आपको ठगा भी जा सकता है। सोशल नेटवर्किंग एक प्रकार की लत है और आप इसके आदी होते चले जाते हैं। कई बार सोशल नेटवर्किंग साइट्स से आपका डाटा और फोटो भी चोरी कर लिए जाता है जिसका प्रयोग गलत कार्यों के लिए किया जा सकता है। सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करते समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिएं, जैसे सोशल साइट्स पर हमेशा अपनी पूरी जानकारी अपलोड न करें। सोशल साइट्स के द्वारा बने दोस्तों को आप अपनी पर्सनल जानकारी न दें। यह बात हमेशा ध्यान रखें कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स नए लोगों से मिलने और उनसे जुडऩे का बस एक माध्यम भर है, अतएव इसे आप अपनी जिंदगी का हिस्सा न बनाएं।

भारत सरकार ने नए आईटी नियमों को 26 मई 2021 को लागू किया है। नए नियमों के अनुसार व्हाट्सऐप और फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मस के जरिए  भेजे और शेयर किए जाने वाले मैसेजेस के ओरिजनल सोर्स को ट्रैक करना जरूरी बनाया गया है। यानी अगर कोई गलत या फेक पोस्ट वायरल करता है तो सरकार कंपनी से उसके ऑरिजनेटर के बारे में पूछ सकती है और सोशल मीडिया कंपनियों को बताना होगा कि उस पोस्ट को सबसे पहले किसने शेयर किया था। जिस प्रकार आज धड़ल्ले से फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉम्र्स पर अश्लीलता परोसी जा रही है, वह भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और भारत सरकार को निश्चित रूप से ऐसी साइट्स को तुरंत प्रभाव से ब्लॉक कर सख्त कानूनी प्रावधानों को समाज हित में लागू करना चाहिए, अन्यथा सोशल मीडिया बेलगाम हो जाएगा।