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आँकड़े, कहते हैं महंगाई बढी है 

राकेश दुबे राकेश दुबे
Updated Sat , 27 Jul

सार

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक कार्यक्रम में कहा कि जुलाई, 2023 में जो मुद्रास्फीति सप्लाई चेन के झटकों के कारण ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी, उसे कम करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं..!

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विस्तार

देश में अधिकांश खाद्यान्नों की कीमतें पिछले आठ माह में उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। अगस्त, 2023 में अनाज की खुदरा कीमतों में पिछले साल अगस्त की तुलना में 11.80 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई। खासतौर से सितंबर, 2023 में ही गेहूं के दाम में चार प्रतिशत तक की वृद्धि हुई  है, जिससे अन्य खाद्यान्नों के दामों में भी वृद्धि हुई है।इसके बावजूद तर्क दिए जा रहे हैं, “देश में महंगाई बढ़ी है, लेकिन कई देशों की तुलना में भारत में महंगाई बहुत कुछ नियंत्रित है।“

देश में खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति संबंधी चिंताओं के बीच इस समय सऊदी अरब और रूस द्वारा कच्चे तेल उत्पादन में कटौती के निर्णय से कच्चे तेल की कीमतें तेजी से बढ़कर करीब 94 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने से खुदरा महंगाई की चुनौती और कठिन हो गई है। जहां दुनिया के बाजारों में गेहूं, दाल और चावल की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं, वहीं चीनी की कीमतें तो 12 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं। ऐसी बढ़ती हुई वैश्विक कीमतों का भारत पर भी असर पड़ रहा है। कहने को इसी परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार ने विगत 29 अगस्त को घरेलू रसोई गैस सिलेंडर के दाम 200 रुपये घटाकर बड़ी राहत दी है।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के एक कार्यक्रम में कहा कि जुलाई, 2023 में जो मुद्रास्फीति सप्लाई चेन के झटकों के कारण ऊंचे स्तर पर पहुंच गई थी, उसे कम करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुसार जून, 2023 में जो खुदरा महंगाई दर 4.87 प्रतिशत तथा माह जुलाई में 15 महीने के उच्चतम स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई थी, वह अगस्त, 2023 में कुछ घटकर 6.8 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण खुदरा महंगाई दर केंद्र सरकार के 6 प्रतिशत की तय ऊपरी सीमा से अधिक है।

काला सागर अनाज समझौता खत्म करने के रूस के फैसले और गेहूं व उपजाने वाले प्रमुख क्षेत्रों में बारिश नहीं होने के कारण अनाज के वैश्विक दाम बढ़ गए हैं। सीमित आपूर्ति के कारण देश में भी खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ी हैं। सरकार के गोदामों में भी लगभग सभी खाद्यान्नों के स्टॉक में कमी आई है। बाजार में नकदी ज्यादा रहने से भी महंगाई बढ़ी है। मौसम विज्ञानियों ने इस बार अलनीनो के हावी रहने से भारत का 30 सितंबर तक का मानसून सीजन सामान्य से कम यानी 94 प्रतिशत से कम बारिश के साथ समाप्त होने की बात कही है। 27 सितंबर को भारतीय मौसम विभाग ने कहा कि देश के 31 प्रतिशत हिस्सों में सूखे के हालात हैं, इससे सूखा प्रभावित क्षेत्र में खाद्यान्न उत्पादन में कमी आएगी।

केंद्र सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों के निर्यात पर लगातार सख्ती बरती जा रही है। पिछले साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद कम उत्पादन के कारण गेहूं के निर्यात पर जो पाबंदी लगाई थी, वह अब तक जारी है। सरकार ने बासमती चावल के निर्यात के लिए 1200 डॉलर प्रति टन को न्यूनतम मूल्य तय किया है। प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया है। केंद्र ने 25 अगस्त से उबले चावल के निर्यात पर भी 20 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है। गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों को काबू करने की कोशिश में सरकार जुटी हुई है। इसलिए सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के जरिए रियायती दर पर गेहूं और चावल दोनों बेच रही है। इसी तरह सब्जियों, दालों और तिलहन के दाम काबू में रखने के लिए भी खास उपाय किए गए हैं। सरकार पेट्रोल का आयात खर्च घटाने और कम कीमत रखने के मद्देनजर पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग कर रही है।

खुदरा महंगाई नियंत्रण के और अधिक प्रयास जरूरी हैं। यद्यपि पेट्रोल-डीजल के दामों में पिछले 15 माह में गिरावट आई है लेकिन उनके दाम जस के तस बने हुए हैं। मई, 2022 में कच्चे तेल की कीमतें करीब 110 डॉलर प्रति बैरल की जो अभी करीब 94 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है। ऐसे में भारत की पेट्रोल-डीजल कंपनियां कुछ मात्रा में घरेलू कीमत घटाने की स्थिति में हैं। देश में जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तेज की जानी होगी। अतिरिक्त नकदी की निकासी पर रिजर्व बैंक को ध्यान देना होगा। अभी से आवश्यक खाद्य पदार्थों के उपयुक्त रूप से आयात की रणनीति से मजबूत आपूर्ति से खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जाना होगा।