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जहरीली मानसिकता का बढ़ता खतरा 

सार

लाल किला मेट्रो स्टेशन के करीब बम विस्फोट, आने वाले खतरों की चेतावनी लगती है. दशकों बाद फिर देश में इस्लामिक आतंकवाद का नज़ारा पेश हुआ है. कुछ दिनों से कई राज्यों में संदिग्ध आतंकवादी पकड़े जा रहे थे..!! 

janmat

विस्तार

    जम्मू-कश्मीर से इनके तार जुड़ रहे थे. इस बार के आत्मघाती हमले में आतंकवादियों का डॉक्टर मॉड्यूल सामने आया है. पहले अनपढ़ और धार्मिक कट्टर युवाओं को बरगलाया जाता था. अब तो पढ़े लिखे प्रोफेशनल जहरीली मानसिकता का शिकार हो गए हैं. दिल्ली विस्फोट के जो लिंक सामने आ रहे हैं, वह पुराने जैसे ही लगते हैं. पहले अनपढ़ों के हाथ में पत्थर पकड़ाए जाते थे, अब डॉक्टर को आतंकवाद का ज़हर फैलाने में लगाया गया है.

    अभी तक भारत सरकार ने इसे आतंकवादी हमला ऑफीशियली नहीं कहा है. एनआईए जांच हो रही है. ऐसा भी कहा जा रहा है कि कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के लगे पोस्टर से जांच एजेंसियों को आतंकवादियों तक पहुंचने का सुराग मिला. बड़ी मात्रा में विस्फोटक जब्त किए गए. कुछ आतंकी पकड़ भी लिए गए थे. इसीलिए शायद आत्मघाती हमला पैनिक रिएक्शन हो सकता है.

    जिस डॉक्टर उमर को एजेंसियां तलाश रही थीं, वही भागते-भागते यह आत्मघाती विस्फोट कर गया. भारत में कोई आतंकवादी हमला हो और उसका पाकिस्तान लिंक ना हो, ऐसा तो सोचा भी नहीं जा सकता. पाकिस्तान ना होता तो भारत, अमेरिका से ज्यादा विकसित देश बन सकता था. पाकिस्तान के कारण भारत की तरक्की में बहुत बड़ी बाधाएं खड़ी हुई हैं. आतंकवाद पाकिस्तान का घरेलू उद्योग बन गया है. धर्म के आधार पर बने इस देश की जड़ें भारत से ही जुड़ी हैं. पाकिस्तान की जनसंख्या के बराबर मुसलमान भारत में रहते हैं. 

    पहलगाम आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाया था. धार्मिक रूप से कट्टर इस देश की जहरीली सोच भारत में ऐसी गतिविधियां कराने की आदी रही है. दुर्भाग्य से भारत के कुछ लोग पाकिस्तान के ऐसे इरादों में शामिल हो जाते हैं. यही सबसे बड़ी चिंता का विषय है. कोई सोच नहीं सकता था, कि डॉक्टर की प्रोफेशनल पढ़ाई करने वाले भी आतंकवादी के गिरोह में शामिल हो सकते हैं. जिस तरह के तथ्य सामने आ रहे हैं, कि शिक्षा के केंद्रों को धार्मिक उग्रवाद के लिए उपयोग किया जा रहा है. 

    शिक्षा अगर प्रगति का जरिया बन सकती है तो गलत शिक्षा आतंकवादी भी पैदा कर सकती है. दुनिया में जहां भी आतंकवाद की घटनाएं हो रही हैं, उसमें इस्लामिक आतंकवादी ही पाए जाते हैं. समस्या इस्लाम में नहीं है मूल समस्या धर्म को लेकर गलत दृष्टिकोण की है.

    भारत सरकार ऑपरेशन सिंदूर के समय अधिकृत रूप से यह घोषित कर चुकी है कि भविष्य में कोई भी आतंकवादी हमला एक्ट ऑफ वॉर माना जाएगा. इस नीति के मुताबिक इस बम विस्फोट में पाकिस्तान का हाथ साबित होने के बाद उस पर हमले का रास्ता साफ हो जाता है. वैसे भी ऑपरेशन सिंदूर समाप्त नहीं हुआ है. पाकिस्तान बिना आतंकवाद के सर्वाइव ही नहीं कर सकता. आने वाले समय में ऑपरेशन सिंदूर का नया दौर चालू हो सकता है. 

    पहलगाम हमले के बाद जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया से कहा था कि भारत दोषियों को छोड़ेगा नहीं. उसी  तरह से इस बार भी उन्होंने यही संदेश दिया है कि इस विस्फोट के पीछे जो भी दोषी होगा उसे कानून के दायरे में लाया जाएगा. हर दोषी को सजा दी जाएगी. आतंकवाद से मुकाबले को लेकर भारत की नीति स्पष्ट है. सुरक्षा एजेंसी के लिए पढ़े-लिखे लोगों में बढ़ती जहरीली विचारधारा एक बहुत बड़ा खतरा है. किसी जहरीले विचार के लिए अगर धर्म का सहारा लिया जाता है तो इसका मुकाबला उस धर्म के बुद्धिजीवी और धार्मिक लीडर ही ज्यादा बेहतर ढंग से कर सकते हैं.

    किसी जहरीले मस्तिष्क को कोई सुरक्षा एजेंसी नहीं पढ़ सकती है. ना तो हर गाड़ी को चेक किया जा सकता है, और ना हर व्यक्ति की गतिविधियों का अंदाजा लगाया जा सकता है. वैचारिक पतन राष्ट्र के उत्थान में बड़ी बाधा पैदा करते हैं.

    जिहाद की मानसिकता अलग-अलग रूप में हमारे सामने आती है. भारत के लिए यह मानसिकता बहुत बड़ी चुनौती बन गई है. देश के बाहर तो पाकिस्तान और बांग्लादेश इसको बढ़ाने में लगे ही हैं. भीतर भी कई बार ऐसी ताकतें मिल जाती हैं, जो जिहाद के लिए राष्ट्र के खिलाफ जाने को भी तैयार दिखती हैं. फरीदाबाद की प्राइवेट यूनिवर्सिटी अगर डॉक्टर की पढ़ाई के साथ-साथ जिहाद में भी लगी हुई है तो फिर इसका विकृत रूप सामने आने पर ही वास्तविकता पता लगती है.

    कट्टरता का इतिहास इस्लामिक आतंकवाद से ही जुड़ता रहा है. केवल भारत में नहीं दुनिया के कई देशों में ऐसा देखा गया है. दुनिया में कहीं भी आतंकवादी घटना होती है उसके तार पाकिस्तान से जुड़ जाते हैं. 

    सुरक्षा एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती है, आतंकवाद की घटनाओं के बढ़ने का भी खतरा दिखाई पड़ रहा है. जिस तरह से देश में नई राजनीतिक चेतना मजबूत होती जा रही है, पुराना राजनीतिक वर्चस्व टूट रहा है. उसको देखते हुए विभाजन की राजनीति नए-नए रूप में सामने आ सकती है. सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और सजगता बहुत जरूरी है. सुरक्षा एजेंसी को नागरिकों का सहयोग और समर्थन देश की सुरक्षा को मजबूत कर सकता है. हर नागरिक को जिहादी और जहरीली मानसिकता को लेकर सजग और सतर्क रहने का समय है. जहां भी संभावित खतरा महसूस हो कोई भी संकेत दिखाई पड़े जांच एजेंसियों को सूचित करने का नागरिक दायित्व जरूर निभाएं .

     आतंकवादियों ने बम का बटन तो दबा दिया है, अब उनमें और उनके आकाओं में पैनिक का समय है. कोई भी जिहाद, जहरीली मानसिकता भारत के भविष्य को डिगा नहीं सकती है. आतंकवाद को जड़ से मिटाने की नीति देश का न्यू नॉर्मल है. भारत अपनी जड़ें भी मजबूत करेगा और आतंकवादी नापाक कूड़ा-करकट भी साफ करेगा.