हिंदुओं में उल्लास है तो मुस्लिम पक्ष में ज्ञानवापी के सच से मुंह मोड़ने का प्रयास है| अयोध्या काशी मथुरा का मुद्दा हिंदुओं की आस्था का विषय है| मक्का मदीना पर जब कोई सवाल स्वीकार नहीं किया जाता तो हिंदुओं के आस्था स्थलों पर सवाल क्यों उठाए जाते हैं? इसे राजनीतिक बताकर भाजपा और संघ को जिम्मेदार ठहराना कहां तक जायज है? धर्मस्थल पूजा कानून-1991 कैसे सदियों के विवादों के नासूर के समाधान को रोक सकता है? आंखें मूंद लेने से क्या समस्या खत्म हो जाएगी? देश में हिंदू मुस्लिम विभाजन क्या धार्मिक और मुस्लिम अतिवाद की घटनाओं से नहीं बढ़ रहा है? जो हिंदू रोजा इफ्तार के आयोजन को अपनी सामाजिक जिम्मेदारी मानता था उसमें अचानक कमी क्यों आ गई है? एक दूसरे के त्योहारों पर बधाइयां देने की गर्माहट क्या कम नहीं हुई है? त्योहारों पर तनाव क्या रोजमर्रा की बात नहीं हो गयी है? धार्मिक और धर्मस्थलों के विवादों का समाधान, संवाद और समझदारी से क्यों नहीं हो सकता?
औरंगजेब द्वारा भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और मंदिरों को नष्ट करने के कुकर्मों की चर्चा आज अदालत और आमोखास में हो रही है| वाराणसी जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे में शिवलिंग प्रकट होने से चंहुओर हर-हर महादेव गूंज रहा है| सर्वोच्च अदालत भी शिवलिंग की सुरक्षा का आदेश दे रही है| काशी विश्वनाथ धाम में ज्ञानवापी की ओर मुंह कर सदियों से विराजमान नंदी को उसके शिव बाबा मिल गए हैं| काशी से कश्मीर, कश्मीर से कन्याकुमारी, कोलकाता से कच्छ तक पूरे भारत में ज्ञानवापी की गूंज है|
ज्ञानवापी परिसर में जब श्रृंगारगौरी मां की पूजा साल में एक बार हो सकती है, तो इसको पूरे साल चलने की इजाजत क्यों नहीं दी जा सकती?
ज्ञानवापी की सच्चाई स्वीकार नहीं कर इंकार करने से विवाद कैसे सुलझेंगे? परिसर के सर्वे का विरोध क्यों किया गया? विज्ञान और टेक्नोलॉजी में विकास के साथ अब तो कार्बन डेटिंग से सदियों का सच खोजा जा सकता है| जब मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाना प्रमाणित हो जाए तो उसे सदाशयता के साथ हिंदुओं को सौंपने में दिक्कत क्यों होनी चाहिए?
मुगल आक्रांताओं की बर्बरता को आज मुसलमानों का समर्थन क्यों मिलना चाहिए? मुस्लिम लीडर ओवैसी ज्ञानवापी को कयामत तक मस्जिद रहने का दम्भ दिखाते हुए मुस्लिमों को भड़काने में क्या नहीं लगे हुए हैं? जिन्ना के कारण विभाजन का दर्द झेल चुके भारत में नए जिन्ना क्या हिंदू मुस्लिमों में विभाजन को बढ़ाने का काम नहीं कर रहे हैं? भारत के लिए औरंगजेब हमेशा खलनायक था, औरंगजेब जिसने अपने बाप शाहजहां को कैद कर लिया था, भाई दारा-शिकोह का क़त्ल कर दिया था, हिंदुओं के मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाई थी, सनातन संस्कृति को नष्ट करने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी, ऐसे अन्यायी बर्बर और पापी मुगल आक्रांता को कुछ भारतीय मुसलमानों द्वारा किए जा रहे सलाम को कैसे सहेगा हिंदुस्तान?
सनातनी सभी धर्मों का सम्मान करते हैं| हिंदू काशी ही नहीं काबा को भी मान देते हैं| किसी धर्म की आस्था और विश्वास पर सनातन संस्कृति सवाल नहीं उठाती है| क्या शिव बाबा पर “सवाल” हिंदुओं के भगवान, भक्ति भावना और श्रद्धा पर चोट नहीं है?
बहुसंख्यक हिंदुओं के हिंदुस्तान में संस्कृति और मंदिरों को नष्ट करने वाले औरंगजेब को सलाम करने वाले क्या इस देश को चुनौती नहीं दे रहे हैं? काशी में हर हर महादेव पर सवाल और औरंगजेब की कब्र पर सजदा क्या भारतीय सहिष्णुता को चैलेंज नहीं है? इस तरह की कुछ मुसलमानों की हरकतें पूरी कौम को विलेन बनाने लगती हैं|
ज्ञानवापी पर कोर्ट के कमिश्नर की रिपोर्ट अदालत में पेश हो जाएगी| हिंदू पक्ष की ओर से आये इशारे और वायरल वीडियो में परिसर में शिवलिंग का प्रकटीकरण, क्या उस परिसर में मंदिर होने के दावे को पुख्ता नहीं कर रहे हैं? जिला अदालत ने प्रकट शिवलिंग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं| निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक “शिवलिंग” की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दे रही है|
प्रकट हुए शिव बाबा की भाव पूजा को तो दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती| शिवलिंग निकलने के बाद मुस्लिम पक्ष के सामने हिंदू आस्था को सम्मान देने का सुनहरा अवसर है| अदालतों से अंतिम फैसला आने में समय लग सकता है| लेकिन शिवलिंग को अब बदला नहीं जा सकता है|
भारत का मुसलमान सामान्य रूप से भारतीयता से ओतप्रोत है| उसका डीएनए दुनिया के मुसलमानों से अलग है| युवा और प्रगतिशील सोच वाले नौजवान धार्मिक कट्टरता के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं| कई युवा तो इस्लाम छोड़ने का कारण यह बता रहे हैं कि इसमें कई विकृतियाँ और खामियां दिखती हैं| महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं होना, इस्लाम पर सवाल खड़ा करता है| इस्लाम धर्म के प्रति कट्टरता और दूसरे धर्मों के प्रति काफिर का दृष्टिकोण मुसलमानों को अलग-थलग कर रहा है|
भारतीय मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद के मामले में चूक कर दी है| राम जन्मभूमि आंदोलन, बाबरी ढांचे के विध्वंस, कारसेवकों की शहादत, विध्वंस के बाद देश में सांप्रदायिक दंगे, अविश्वास और धार्मिक विभाजन ने देश का बड़ा नुकसान किया है| मुसलमानों ने समझदारी दिखाई होती तो रामजन्म भूमि के लिए विवादित भूमि हिंदुओं को समझौते में सौंप देते| इस कौम ने ऐसा नहीं किया| तमाम बलिदान हुए| आखिरकार हिंदुओं की अदालत में जीत हुई| भगवान राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बन रहा है|
अयोध्या में मुसलमानों ने जो चूक की थी वह गलती ज्ञानवापी मामले में नहीं करना चाहिए| ज्ञानवापी परिसर के तथ्य, सर्वे के निष्कर्ष और ऐतिहासिक दस्तावेज, चीख चीख कर उसकी सच्चाई बयान कर रहे हैं| शिवलिंग मिलने के बाद तो अब कोई संदेह नहीं बचा है|
ज्ञानवापी पर मुस्लिम पक्ष की ओर से कांग्रेस के नरसिंह राव सरकार द्वारा 1991 में बनाए गए पूजा स्थल कानून का हवाला दिया जा रहा है| राम जन्म भूमि को अपवाद मानते हुए इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि देश में किसी भी धर्म स्थल का स्वरूप वही रहेगा जो 1947 के पहले था| किसी भी धर्म स्थल का स्वरूप और नेचर बदला नहीं जा सकता| वैसे इस कानून की सवैधानिकता पर वरिष्ठ वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है| अदालत ने नोटिस जारी कर केंद्र से जवाब मांगा है| बहुसंख्यक समाज की आस्थाओं को कुचलकर देश का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप कैसे कायम रखा जा सकता है?
1991 और 2022 के बीच बहुत गंगाजल बह गया है| संसद में जब यह कानून बना था तब बीजेपी ने इसका विरोध किया था| वही बीजेपी आज केंद्र और उत्तर प्रदेश में सरकार चला रही है| मुसलमान समझौते का कोई रास्ता नहीं देंगे तो कानून से तो रास्ता निकलेगा ही|
भारतीय मुसलमानों का मूल इसी भारत और सनातन धर्म में निहित है| इस्लाम में विवादित स्थान पर इबादत प्रतिबंधित है| इस्लाम में यह भी धारणा है जहां खुदा को सजदा कर लो वही इबादतगाह है|
इसी धारणा पर भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने एक फैसले में यह माना है कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है| इस अवधारणा पर ज्ञानवापी मुस्लिमों के लिए इबादत योग्य स्थान नहीं है| फिर भी विवादित स्थान के लिए लड़ाई क्यों?
सच का साथ, सच पर विश्वास, सच के लिए त्याग से ही सच्चे भारत का विकास होगा| सभी धर्म सच पर चलना सिखाते हैं| जहां-जहां भी हिंदुओं के धर्म स्थल पर मुगलों की बर्बरता किए जाने के विवाद हैं उनका समाधान तो करना ही पड़ेगा| सबसे पहले तो मुगल आक्रांताओं की बर्बरता को स्वीकार करना होगा| डिनायल से काम नहीं चलेगा, संवाद से समाधान का रास्ता निकलेगा|
आजादी के समय धर्म स्थलों के विवादों के समाधान के लिए कोई संवैधानिक व्यवस्था की गई होती तो आज ऐसे हालात नहीं बनते| तुष्टिकरण की राजनीति ने शायद विवादों के समाधान का कानूनी ढांचा नहीं बनने दिया| अभी भी देर नहीं हुई है| केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर धर्मस्थल विवादों के समाधान के लिए एक संवैधानिक आयोग का गठन करना चाहिए| सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की लीडरशिप में इस कमीशन को विवादों को सुलझाने का काम सौंपना चाहिए| तुष्टीकरण के सेक्युलिज्म से देश को क्या मिला? इससे क्या हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच दूरियां कम हुई?
कैलाश पर मानसरोवर, काशी में ज्ञानवापी सच्चाई की हिलोरें मार रहे हैं, यही ज्ञान भारत की विविधता की एकता को संवार सकता है| इंकार से नहीं इकरार से मजहबों में विश्वास मजबूत होगा| ज्ञानवापी पर सच स्वीकार करने से मुस्लिम और इस्लाम का सम्मान बढ़ेगा| भारत के विभाजन के समय मुस्लिमों को इस्लामिक देश पाकिस्तान मिल गया, बचा हिंदुओं का हिंदुस्तान। इस संस्कृति और आस्था में मुस्लिम कट्टरता की जगह कैसे संभव है? जो भी हिंदुस्तान में रह रहा है उसे भारतीय संस्कृति बहुसंख्यक हिंदुओं की आस्था का सम्मान करना होगा।