• India
  • Fri , Jun , 27 , 2025
  • Last Update 06:47:PM
  • 29℃ Bhopal, India

गगनयान मिशन के लिए यह निर्णायक उड़ान 

सार

नामकरण के समय किसने सोचा होगा, कि लखनऊ के सुभांशु शुक्ला अपने नाम के अर्थ को सही साबित कर देंगे. सुभांशु का मतलब बारिश की पहली बूंद या ब्राइट चांद होता है..!!

janmat

विस्तार

    यह संस्कृत मूल का एक सुंदर नाम है, जिसमें शुभ और अंशु (सूर्य की किरणों) का संयोजन है. यह नाम चमक और सौभाग्य का संदेश देता है. इससे शुभता और प्रकाश की प्रेरणा मिलती है. शुक्ला की यह उड़ान, अंतरिक्ष में भारत के गगनयान मिशन को परिभाषित करेगा. यह उड़ान इस दिशा में निर्णायक साबित होगी. उनके प्रयोग और अनुभवों का उपयोग कर भारत का मानव युक्त गगनयान मिशन अपनी तय समय सीमा में लॉन्च हो सकता है. 

    अंतरिक्ष में भारत की सुप्रीमेसी यह भरोसा दे रही है, कि एक दिन भारतीय धरती से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तक उड़ान भरने में हम सफल होंगे. 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा ने रूस के साथ मिलकर अंतरिक्ष यात्रा की थी, लेकिन इसके बाद भारत का मानव युक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम तो नहीं शुरू हुआ, लेकिन देश की महत्वाकांक्षा और राजनीतिक इच्छा शक्ति का दबाव अब गगनयान मिशन को सफल बनाएगा. 

    सुभांशु शुक्ला जो प्रयोग अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में करेंगे, उनके अनुभव और सीख का पूरा लाभ भारतीय वैज्ञानिक उठाएंगे. भारत के लिए यह गौरवपूर्ण क्षण है. शुभांशु शुक्ला केवल एक यात्री के रूप में नहीं गए हैं, बल्कि वह इस मिशन के पायलट के रूप में गए हैं. ग्रुप कैप्टन सुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे और आईएसएस पर जाने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रच दिया है. 

    वह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र पर सकुशल पहुंच गए हैं. 14 दिन तक वहां रहेंगे. उन्होंने अपने पहले संदेश में कहा है, कि वह अपने साथ भारत का राष्ट्रीय ध्वज लेकर आए हैं, जो उन्हें हर भारतीय के साथ जोड़कर रखता है. पिछले 41 सालों में दुनिया बदल गई है और साथ ही भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा भी बढ़ गई है. इस बार की उड़ान एक अलग लहर पर सवार है, जो वाणिज्यिक अंतरिक्ष क्रांति और एक स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के निर्माण से प्रेरित है. शुक्ला ने एक निजी अमेरिकी अंतरिक्ष यान पर उड़ान भरी है, लेकिन यह भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान के युग की शुरुआत का प्रतीक हो सकती है.

    उनके साथ एक अमेरिकी, एक पोलिस और एक हंगेरियन यात्री शामिल हैं. शुक्ला की उड़ान भारत की क्षमता का प्रदर्शन है. पहले मानव युक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ना तो बुनियादी ढांचा था और ना ही राजनीतिक इच्छा शक्ति. राकेश शर्मा के समय उनकी उड़ान एक अकेली चिंगारी थी. लेकिन आज जब देश में एक मजबूत अंतरिक्ष नीति लागू है, तब यह उपलब्धि क्रांतिकारी साबित हो सकती है.

     मानव युक्त भारतीय गगनयान मिशन की तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है. इस परियोजना में स्वदेशी क्रू मॉडल इसके सिस्टम और विश्वसनीय रॉकेट शामिल बताए जाते हैं. इस बीच शुक्ला की यह उड़ान इसरो के लिए डेटा एकत्र करने का अवसर है. यह सब गगनयान के अंतिम चरणों में सीधे काम आएंगे. 

    गगनयान से पहले एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजकर भारत ने खुद को एक अंतरिक्ष यात्री राष्ट्र के रूप में स्थापित कर दिया. है भारत अंतरिक्ष में महाशक्तियों की प्रतिद्वंदता के एक नए युग में प्रवेश कर रहा है. पृथ्वी की निचली कक्षा में सैन्यीकरण और व्यावसायिक रूप से भीड़-भाड़ बढ़ती जा रही है.

    चीन का अंतरिक्ष स्टेशन चालू हो चुका है. रूस और नासा आईएसएस पर असहज साझेदार बने हुए हैं. अमेरिका ऑटो मिस कार्यक्रम को गति दे रहा है जिसमें चंद्रमा रणनीतिक उच्च भूमि है. भारत चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयानभेज कर महाशक्तियों को बड़ा संदेश दे चुका है. अमेरिका द्वारा भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अपने साथ जोड़ना विश्वास का संकेत है. इसे अंतरिक्ष में चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ़ बचाव के रूप में भी देखा जा सकता है. 

    अब दुनिया यह मान चुकी है कि भारत 21वीं सदी की महान अंतरिक्ष दौड़ में केवल दर्शक नहीं बल्कि एक गंभीर खिलाड़ी बनने के लिए तैयार है. सुभांशु शुक्ला की उड़ान देश के युवाओं को प्रेरित करेगी. उनके मिशन को स्मार्टफोन पर लाइव ट्रैक किया जा सकेगा. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सब कुछ उपलब्ध रहेगी. यह मिशन भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और सपने देखने वालों की एक नई पीढ़ी के लिए उत्प्रेरक बन सकता है. 

    अंतरिक्ष के क्षेत्र मेंभारत की बढ़ती तेज गति और महत्वाकांक्षा देश को नए दौर में ले जाएगी. राजनीतिक इच्छा शक्ति के कारण इन अभियानों पर लगने वाले जनधन का भी प्रबंध होता है. 

    शुक्ला के मिशन पर ही भारत ने 550 करोड़ खर्च किए हैं. विज्ञान और तकनीकी में देश की प्रगति के लिए धन महत्वपूर्ण है. डिफेंस के क्षेत्र में भी भारत जिस तेजी के साथ आधुनिक हथियार विकसित कर रहा है, उससे पूरी दुनिया के चौकन्नी हो गई है. ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी हथियारों से जिस तरह भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाई है, उसके कारण भारत के डिफेंस इक्विपमेंट की दुनिया में मांग बढ़ गई है.

    ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी भारत सुपरपावर देशों की बराबरी पर पहुंच रहा है. ऑपरेशन सिंदूर की सक्सेस के बाद देश में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग को नई गति मिलेगी.

    दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश भारत टेक्नोलॉजी और मैनपॉवर में भी मजबूती से खड़ा हुआ है. दुनिया के किसी भी देश में आधुनिक विकास के प्रयासों में भारतीय ब्रेन की महत्वपूर्ण भूमिका है.

    भारत में अंतरिक्ष, टेक्नोलॉजी, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग और आईटी सेक्टर में जो न्यू नॉर्मल विकसित किया है, उसकी निरंतरता पर सरकार की सक्रियता से भारत सुपरपावर देशों की बराबरी में खड़ा होने में सक्षम हो जाएगा. दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बन ही चुका है.  

    अंतरिक्ष में भारत की शुभता का सुभांशु प्रकाश देश के गगनयान उड़ान को पंख देगा. देश के लिए गौरव के क्षण में भी राजनीति से हमारी कमजोरी दिखती है. यह उड़ान भारत की उड़ान है. वर्तमान को इसका श्रेय मिलेगा. मोदी विरोध में हर उपलब्धि को नकारने की प्रवृत्ति राजनीति से खत्म होगी, तो लोकतंत्र का न्यू नॉर्मल बनेगा.