एक संत से रामकथा के दौरान किसी ने पूछा कि क्या राम भगवान था ??


स्टोरी हाइलाइट्स

भगवान राम को जान लोगे तो बस उन्हीं के होकर रह जाओगे। मैं निवेदन करूँ उन लोगों से जो राम को भगवान नहीं मानते कि गलती से भी रामचरितमानस का पाठ मत कर लेना

एक संत से रामकथा के दौरान किसी ने पूछा कि क्या राम भगवान था ??   संत ने बड़े विनम्रता से कहा ये प्रश्न ही आपने गलत किया है। थोड़ा आदर से बोलो, भगवान श्री राम। जिज्ञासु ने कहा हमारा एक और प्रश्न है कि हमारा एक साथी जो दिल्ली से है वो राम को भगवान नहीं मानते। वो अपने अनुभव को मानते हैं लेकिन इस बात से हम सब का दिल दुखता है। संत सहजता से बोले – कोई बात नहीं । रावण भी कहाँ मानता था राम को भगवान? सबको मानना जरूरी है क्या? मानना जरूरी नहीं है । जानना ज़रुरी है! बस जानो। मैं तो कहता हूं, किसी को भी ना मानो , जानने की कोशिश करो और अगर मानने में ही तुम्हें रुकना है तो ऐसा मानो कि हमारी बात हम कभी छोडेंगे नहीं । मानना हो तो ऐसा मानो। लेकिन समस्या यह है कि हमारी मान्यता 2 कौड़ी की है। संत ने आगे और कहा माता रानी ने हमारी दुकान ठीक से नहीं चलाई , छोडो दुर्गा सप्तशती का पाठ ।। अब हनुमान चालीसा का पाठ करो और हनुमानजी की कुछ कथा में बैठे थे तो ध्यान नहीं दिया 2-3 महीने तो कहें हनुमान भी अब कहाँ देखता है? छोडो हनुमान चालीसा , विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ करो। ऐसे हमारी मान्यता बदलती रहती । एक जगह मानकर बैठ जाओ तो बात खत्म बाकी तो जानो। मानना महत्व का नहीं जानना ज़रुरी है । एक बात सोचने वाली है कि क्यों हर बात सनातन धर्म पर आकर खत्म हो जाती है, क्यों हर बार लोग इसी धर्म से छेड़छाड़ करने की कोशिश करते हैं? हिन्दू धर्म सबसे पुराना है। वेद पुराण रामायण, गीता ये सबके लिए हैं, आप सब इन्हें पढ़िए और इंसानियत सीखिए। लेकिन कुछ तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को कुछ ना कुछ चाहिए बोलने के लिए, मुझे लगता है जिन्हें कुछ काम नहीं है ना वो ही जलकर ऐसा करते हैं। सभी लोग आपस में प्यार से रह सकते हैं लेकिन कुछ लोगों की आदत होती है ना जिस थाली में खाना उसी में छेद करना। खैर, जैसा जिसने सीखा होता है वो वैसा ही करता है। तो भगवान श्री राम, कितना प्यारा नाम है श्री राम, जय हो। भगवान भी हैं, इंसान के रूप में अवतार भी लिया है, मर्यादा पुरुषोत्तम भी है और सबसे श्रेष्ठ भी है। श्री राम की बात ही छोड़िये जनाब इनका तो नाम भी उनको पवित्र कर देता है जो इन्हें भगवान नहीं मानते। आपकी जिसमे श्रद्धा हो आपको मुबारक। लेकिन राम को लेकर क्यों बहस करते हो। थोड़ा राम जी को पढ़ लो, जान लो, रामचरितमानस की चौपाइयाँ गा लो। जो पवित्र को भी पवित्र कर दे ऐसे हैं श्रीराम। जिनके चरणों से परम पावनी गंगा निकलती है। जिसका जल कभी खराब नहीं होता। जिनके केवल नाम लेने से भव सागर पार हो जाता है, ऐसे हैं मेरे प्यारे श्री राम। भगवान राम को जान लोगे तो बस उन्हीं के होकर रह जाओगे। मैं निवेदन करूँ उन लोगों से जो राम को भगवान नहीं मानते कि गलती से भी रामचरितमानस का पाठ मत कर लेना, गलती से भी राम कथा सुन मत लेना, गलती से भी किसी संत महापुरुष से जिज्ञासा मत कर लेना कि क्या राम भगवान था। क्योंकि यदि तुमने ऐसा किया तो तुम्हारी अश्रद्धा एक जगह पड़ी रह जाएगी, तुम अपनी बात से मुड़ जाओगे। फिर खुद ही सोचोगे अरे ये क्या कर दिया हमने, गलती हो गई हमसे तो। बस इतना ही कहूँगा जो रामचरितमानस की ही पंक्ति है कि अस सुभाउ कहुँ सुनउँ न देखउँ। भगवान राम का इतना प्यारा स्वभाव मुझे कहीं भी नहीं दिखता है, देखने की तो बात ही छोड़िये साहब, सुनने को भी नहीं मिलता है।