IAS संतोष वर्मा के बाद IAS मीनाक्षी सिंह का विवादित बयान, जाति की पहचान आज के समय की ज़रूरत


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स्टोरी हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश में अधिकारी जातिवाद की आग को हवा दे रहे हैं! IAS मीनाक्षी सिंह का विवादित बयान वायरल, सरकारी सिस्टम पर उठे सवाल..!!

मध्य प्रदेश में जातिवाद पर IAS अधिकारियों की बयानवाजी रुकने का नाम नहीं ले रही। प्रदेश में जातिवाद को लेकर बयानबाजी अब सिर्फ नेताओं तक ही सीमित नहीं रही। अब प्रशासनिक अधिकारी भी खुलकर इस आग में कूद रहे हैं।

IAS मीनाक्षी सिंह का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो ने राज्य की पॉलिटिक्स और ब्यूरोक्रेसी में हलचल मचा दी है। इस बयान ने सरकारी सिस्टम और जातिवाद के मुद्दे पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

यह वीडियो भोपाल में हुई अनुसूचित जाति और जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ (AJAKS) की आमसभा का बताया जा रहा है। वीडियो सामने आते ही पूरे राज्य में सनसनी फैल गई। लोग पूछ रहे हैं कि क्या अधिकारियों को खुलेआम ऐसे जातिवादी बयान देने चाहिए?

मीनाक्षी सिंह यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने सरकार के कामकाज की भी आलोचना की। वीडियो में वह कहती हैं कि सरकारी सिस्टम बहुत जटिल है और अक्सर सरनेम के आधार पर भेदभाव दिखाता है। इस कमेंट ने सरकार के कामकाज पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। 

IAS मीनाक्षी सिंह ने कर्मचारियों से जाति पहचान के बारे में खुलकर बोलने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज के समय में जाति आधारित सोच ज़रूरी है। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

इससे पहले, अजाक्स प्रेसिडेंट और IAS संतोष वर्मा का एक विवादित बयान सामने आया था, जिस पर बड़ा हंगामा हुआ था और कार्रवाई भी हुई थी। अब मीनाक्षी सिंह का वीडियो सामने आने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या ब्यूरोक्रेसी में जाति आधारित सोच ज़्यादा आम होती जा रही है।

राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस चल रही है कि क्या कुछ अधिकारी ऐसे बयान देकर अपनी पर्सनैलिटी और लीडरशिप को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। जानकारों का मानना है कि ऐसे बयान राज्य के सामाजिक माहौल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।