मध्य प्रदेश के ओरछा में हर जगह बिखरा है इतिहास ,असंख्य दुर्ग और किले


स्टोरी हाइलाइट्स

मध्य प्रदेश के ओरछा में हर जगह बिखरा है इतिहास ,असंख्य दुर्ग और किलेतो History, numerous fortifications and forts are scattered everywhere in Orchha of Madhya Pradesh ओरछा वह अभिशप्त शहर है जिसे पुराने लोगों के मुताबिक कई बार उजड़ने का शाप मिला था पर आज भी यह शहर इस आदिवासी अंचल में पर्यटन से रोजगार की नई संभावनाओ को दिखा रहा है। बुंदेलखंड में खजुराहो के बाद ओरछा में सबसे ज्यादा सैलानी आते है पर इसके बाद वे यहीं से लौट भी जाते हैं। शाम होते ही बेतवा के तट पर विदेशी सैलानी नजर आते है जो बुंदेला राजाओं की ऐतिहासिक और भव्य इमारतों को देखने के बाद पत्थरों से टकराती बेतवा की फोटो लेते हैं। बात करने पर पता चला कि अब वे खजुराहो से लौट जाएंगे क्योकि और किसी ऐतिहासिक जगह की ज्यादा जानकारी उन्हें है ही नहीं। तेरह जिलों में फैले बुंदेलखंड में जगह जगह पुरातत्व और इतिहास बिखरा है और यहाँ पर बड़ी संख्या में सैलानी आते है| विशेषज्ञों के मुताबिक बुंदेलखंड में पर्यटन कम से कम खर्च में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे सकता है।  इस अंचल की धरोहर को सहेज कर उन्हें पर्यटन के नक़्शे पर लाया जाए तो बड़ी संख्या में लोगो को रोजगार मिल सकता है और यहीं पर रोजगार पैदा होने से पलायन भी रुक सकता है। इस अंचल में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ है। ऐतिहासिक दुर्ग, किले, घने जंगल, हजार साल पुराने मीलों फैले तालाब और शौर्य व संघर्ष का इतिहास। चरखारी का किला है जो लाल किले से बड़ा है तो झाँसी का किला शौर्य का प्रतीक है। गढ़ कुंडार का रहस्मय किला है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते है और कुछ समाजशास्त्री इसे सन 1152 के बाद के दौर में दलित राज के रूप में भी देखते हैं। जिस राम लला के लिए अयोध्या में मंदिर आंदोलन हुआ वह वे राम लला इसी ओरछा के राजा के रूप में पूजे जाते हैं। यहाँ आल्हा ऊदल के किस्से है तो लोक संगीत और नृत्य की पुरानी परंपरा भी। इस क्षेत्र में औसत वर्षा ९५ सेमी होती है जबकि राष्ट्रीय आंकड़ा 117 सेमी का है जो बताता है कि कृषि के लिए कैसी जटिल परिस्थियां होंगी। असंख्य किले, दुर्ग, ताल तालाब और ऐतिहासिक विरासत वाला यह अंचल दो राज्यों के साथ केंद्र सरकार की प्राथमिकता पर नजर आ रहा है। यह बात अलग है कि बुंदेलखंड पैकेज का बहुत कम हिस्सा आम लोगों के काम आया। आसपास के इलाकों का दौरा करने और लोगों से बात करने पर यह बात सामने आई। बुंदेलखंड की समस्याओं पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में बुधिजिवों ने कहा है की यहां जल भंडारण के एतिहासिक स्थल हैं, पुरातत्व और इतिहास है, लोक संस्कृति है जो किसी भी पर्यटन स्थल के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है जिसके चलते अगर कम पैसों की भी कुछ योजनाए बनाई जाएं तो पलायन से बुरी तरह प्रभावित इस क्षेत्र को थोड़ी राहत मिल सकती है। यह भी कहा जाता है कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के पुराने डाक बंगलों को अगर दुरुस्त कर हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया जाए तो पैसा भी बचेगा और देश विदेश के सैलानियों के लिए सुविधा का भी आसानी से प्रबंध हो जाएगा। दूसरी तरफ इस क्षेत्र में 50 साल से सामाजिक कार्य कर रहे वीरसिंह भदौरिया ने कहा -बुंदेलखंड को बचाने के लिए अगर पर्यटन पर फोकस किया जाए तो काफी कुछ हो सकता है। पर इसके लिए कुछ बुनियादी सुविधाएं मसलन अच्छी सड़कें,परिवहन सेवाएं और मोटल के साथ कानून व्यवस्था पर ध्यान देना होगा। दरअसल यहां खेती से ज्यादा कुछ संभव नहीं है और अन्य उद्योगों के मुकाबले पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाए हैं। यह बात बेतवा के किनारे कभी बुंदेलों की राजधानी रही ओरछा में नजर आती है जो इस इलाके में खजुराहो के बाद दूसरे नंबर का पर्यटन स्थल है जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है। यानी कुलमिलाकर मध्य प्रदेश के हिस्से में पड़ने वाले बुंदेलखंड की स्थिति कुछ बेहतर नजर आती है। लेकिन उत्तर प्रदेश में ये बहुत कम क्या, न के बराबर हैं। ओरछा में बेतवा का पानी है तो घने जंगल सामने दिखाई पड़ते है। बेतवा तट पर विदेशी पर्यटकों को देख हैरानी भी होती है। पर दूसरी तरफ झांसी, बरुआ सागर, देवगढ ,चंदेरी ,महोबा, चित्रकूट, कालिंजर और कालपी जैसे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र में सैलानी नजर नहीं आते। सड़क तो उरई छोड़ ज्यादातर जगह ठीक हो गई है पर न तो परिवहन व्यवस्था ठीक है न ढंग के होटल- मोटल । बहुत ही दुर्गम इलाके में गढ़ कुडार का ऐतिहासिक किला बुंदेलखंड में ही है। कहा जाता है कि आक्रमण में हार से पहले आठवी शताब्दी में यहां के राजा के साथ प्रजा ने भी एक कुंड में कूदकर जान दे दी थी। इस तरह की कहानियां और किस्से बुंदेलखंड में उसी तरह बिखरे हुए है जैसे दुर्ग और किले। ओरछा के फिल्मकार जगदीश तिवारी के मुताबिक इस क्षेत्र में पर्यटन और लोक संस्कृति के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। अगर सरकार पहल करे तो बहुत कुछ हो सकता है। मुंबई से फिल्म उद्योग के लोगों ने ओरछा और आसपास कई फिल्मो की शूटिंग की है जिनमें बड़ी फिल्मों से लेकर विज्ञापन फिल्में भी शामिल हैं। यही वजह है कि ओरछा में कई बड़े रिसॉर्ट है और अगर उत्तर प्रदेश सरकार चाहे तो वह भी अपने हिस्से में पड़ने वाले इलाकों में काफी कुछ कर सकती है। वैसे उत्तर प्रदेश हो या मध्य प्रदेश सभी का हाल बेहाल है। सागर विवि से पुरातत्व में पीएचडी डा सुरेंद्र चौरसिया ने बुंदेलखंड के पुनर्निर्माण पर आयोजित एक सामूहिक विमर्श में कहा - बुंदेलखंड की ऐतिहासिक धरोहरों की अनदेखी की जा रही है। यहां के संग्रहालयों में पुरातात्विक महत्व अवशेषों और इतिहास के दस्तावेज सीलन भरी जमीन पर बिखरे मिल जाएंगे।