तीर्थस्नान कैसे करें तीर्थ के दर्शन होते ही साष्टांग प्रणाम करना चाहिए। फिर 'तीर्थाय नमः कहकर पुष्पांजलि देनी चाहिए। तत्पश्चात् ॐकार का उच्चाकरण करके तीर्थजल छुएं। तदनंतर ॐ नमो देवाय अथवा सागरस्वननिषोष आदि मंत्रों का उच्चारण करते हुए स्नान करें। एक तीर्थ में स्नान करते समय दूसरे तीर्थ की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए। पर गंगाजी का सर्वत्र कीर्तन किया जा सकता है। साधारण तीर्थों में श्रेष्ठ (पुष्कर, प्रभास, काशी, प्रयाग, कुरुक्षेत्र, गया आदि) तीर्थां का स्मरण किया जा सकता है। तीर्थों पर जाएं और वहां पवित्र सरोवर, नदी, कुंड आदि में स्नान करें तो ध्यान रहे कि रात के पहने वस्त्र बदलकर धुले हुए वस्त्र पहनकर स्नान करें, क्योंकि वस्त्रों से निचुड़कर गिरने वाला जल पितर ग्रहण करते हैं। सर्वप्रथम जल को मस्तक पर और सिर पर धारण करें। तब जल में प्रवेश करें। पूर्व दिशा की ओर मुंह कर सर्वप्रथम अंजलि में जल लेकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें। फिर उत्तर दिशा में सप्त ऋषियों, भीष्म पितामह तथा गुरुदेव के लिए जल छोड़ें। तत्पश्चात् दक्षिण दिशा में मातृकुल तथा पितृकुल के पित्तरों के लिए जल दें। इसके बाद 'ॐ नमः शिवाय' तथा 'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय' के मंत्र का जाप करते हुए डुबकी लगाएं। जल मल-मूत्र आदि का त्याग न करें। साबुन आदि का प्रयोग न करें। कुल्ला आदि कर जल को गंदा न करें। जहां तक नदी का थाल दिखाई पड़ता है, वहां भी गंदगी नहीं फैलानी चाहिए, क्योंकि बरसात में बहकर वह तीर्थों के जल में मिल जाएगी। तीर्थों में स्नान का महत्व तन की शुद्धि के साथ मन की शुद्धि के लिए है। अत्यंत दुख की बात है कि जिस देश में नदियों की माता एवं देवी के रूप में पूजा होती है, वहां की नदियां का जल अत्यंत प्रदूषित होकर जीवन के लिए खतरा बन गया है। अतः हम लोगों का कर्तव्य है कि हम इस और सरकार का ध्यान आकर्षित कराए। नगर के सीवर का और कारखानों का रासायनिक प्रदूषण नदी में प्रवाहित करने के विरुद्ध आवाज उठाएं। स्नान करते समय व्यर्थ का प्रलाप न करें। भगवान का नाम स्मरण करते हुए स्नान करें। जल बिहार और किलोल कदापि न करें। आसपास स्त्रियां आदि नहा रही हों तो टकटकी लगाकर उनको न देखें। इंद्रिय सुख मन में काम विकास उत्पन्न कर देता है और जहां 'काम' है, वहां 'राम' नहीं। तीर्थों पर तंबाकू, मदिरा तथा अन्य नशीले पदार्थ का सेवन नहीं करें, साथ ही स्त्री-प्रसंग से बचें। तीर्थ में डुबकी लगाते समय अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों तथा अन्य सभी परिवार के सदस्यों के नाम की डुबकी भी लगाएं। इससे तीर्थस्थान का लाभ संपूर्ण परिवार को प्राप्त होगा। जिस तीर्थ में आप तीर्थस्नान करने गए हैं, वहां किसी भी मित्र, रिश्तेदार का पैसा खर्च न कराए। नदी में पुष्प सहित दीपदान अवश्य करें। तीर्थ में स्नान करने के बाद ब्राह्मण अथवा गरीबों को भोजन अवश्य कराएं। अपनी सामर्थ्य भर अन्नदान करें एवं साधु, संतों, भिखारियों व गरीबों को दान करें एवं वस्त्र वितरित करें।