दुनिया के तमाम झगड़े फसाद की जड़ ये है?  This is the root of all the conflicts in the world? .. P अतुल विनोद


स्टोरी हाइलाइट्स

दुनिया के तमाम झगड़े फसाद की जड़ ये है?  P अतुल विनोद   एक द्वीप पर कुछ और लोगों की बस्ती थी  उस बस्ती का दूर-दूर तक किसी मानव जाति से संबंध और संपर्क नहीं था|  चारों तरफ जल से घिरी हुई बस्ती का एक मुखिया था| वो मुखिया अपने आप को शहंशाह समझता था और मानता था कि दुनिया में ये केवल एक ही राज्य है और उसका राजा वो है| वो खुद को दुनिया का मालिक समझता था| उसे लगता था कि चांद, तारे, धरती, आकाश, जल, वायु, अग्नि सब उसके अधीन है, क्योंकि वो एक छत्र राजा है| एक दिन उस टीले  पर एक भूला भटका व्यक्ति पहुंच गया| वहां की सेना ने उसे पकड़ लिया और अपने राजा के सामने पेश किया| राजा हैरान था ये व्यक्ति कहां से आ गया? उससे पूछा गया कि तुम कहां से आए हो? व्यक्ति ने बताया कि इस टीले से कुछ 100 किलोमीटर दूर  एक बहुत बड़ा राज्य है जहां का वो Sailor है और नाव के साथ भटक कर इस टीले तक तक आ पहुंचा है|   उस राजा ने पूछा कितना बड़ा राज्य है तुम्हारा? क्या मेरे महल बराबर? नाविक ने कहा नहीं ये तो कुछ नहीं| राजा उसे लेकर बाहर निकला और उंगली के इशारे से करीब 1 किलोमीटर दूर टारगेट करके बोला क्या इतना बड़ा? नहीं उसने अपने राज्य की आखिरी सीमा को इंगित करके पुछा क्या इतना बड़ा? मल्लाह  बोला ये तो कुछ भी नहीं मेरे राज्य की सीमाएं तो आपके राज्य से कई गुना  बड़ी है|  मुझे तो आपका राज्य, राज्य ही समझ में नहीं आता ये तो एक छोटी सी बस्ती है|  इससे मेरे राज्य की तुलना नहीं हो सकती| राजा नाराज हो गया उसने कहा तुम झूठ बोलते हो मेरे राज्य से बादा राज्य इस दुनिया में हो ही नहीं सकता और उसने उस माँझी को गिरफ्तार करके जेल की सलाखों में डालने का आदेश दिया| हम सब उस राजा की तरह अपने आप को, अपनी सोच और मान्यताओं को सर्वोच्च मानते हैं| हम आपने आँख कान बंद किये हुए हैं और कोई सच बोलता है तो उसे सुन्ने और मानने को तैयार नहीं होते| घर परिवार से लेकर देश दुनिया तक झगड़े का मूल कारण यही सीमित और संकुचित सोच है| इसी वजह से घरों में दीवारें खड़ी हो जाती है और धरती मजहब, सीमाओं और सोच में बाँट दी जाती है| हम धरती को “दुनिया” कहते हैं उस विज्ञान के युग में भी जब धरती दुनिया के एक कण के बराबर भी नहीं है| इतना ही नहीं हमने अपनी अपनी दुनिया बना राखी है| हमारे अपने संसार हैं| शंकराचार्य ने मानव द्वारा अपनी सोच की सीमा में बनाये गए इस कृत्रिम जगत को ही मिथ्या कहा है| अपनी अपनी संकुचित और क्षुद्र सोच से निर्मित हमारा जगत वाकई मिथ्या ही है| इस जगत को न जाने हमने कितनी मान्यताओं ओर कुंठित विचारों से ढक रखा है| हमारा ये व्यक्तिगत संसार ब्रम्ह के नियमो से गढ़ा होता तो शायद सत्य की किरण उस पर पड़ती होती|   जब तक हम अपने उपर ओढ़ी गयी इस मिथ्या खोल को नहीं उतारेंगे तब तक हमारे अहंकार, झूठ और गलत मान्यताओं को नकली संसार खत्म नही होगा|   यदि हम ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो रिश्तों की खटास कम हो सकती है, परिवारों का दायरा बढ़ सकता है, देश दुनिया की सीमायें टूट सकती हैं| भगवान, अल्लाह और गॉड के बीच हमारे द्वारा निर्मित काल्पनिक फसाद खत्म हो सकता है|   चोरी बेईमानी लूट खसोट की वजह भी हमारे झूठे काल्पनिक संसार का पोषण है|   जब संकुचित करने वाली खोल उतर जाएगी तो  हम अपनी विराट काया  में असहमति, विरोध और आलोचना को आत्मसात करने में भी सफल होंगे|     causes of individual differences,individual differences ppt,importance of individual differences,areas of individual differences,scope of individual differences,significance of individual differences,educational implications of individual differences,individual differences in intelligence pdf,,causes of conflict in society,causes of conflict in an organization,sources of conflict pdf,types of conflict,causes of conflict in psychology,causes of conflict in the community,effects of conflict,sources of conflict ppt,causes of international conflict,causes of conflict,5 causes of conflict,causes of conflict in society,,causes of interstate conflict,causes of international conflict pdf,causes of conflicts today,what causes conflict between countries,Religion and Conflict ,Religious Violence, Causes and Solutions,Religious violence is on the rise,Assess the Primary Causes of Religious Conflict ,What are the major causes of religious conflicts,CASTE DISCRIMINATION,What are the reasons of caste conflicts?,Casteism: Meaning, Causes, Solution and Suggestion,hinduism conflicts with other religions,essay on religious conflicts in india,hindu vs muslim,conflict between hindu and muslim, fundamentalists,hindu-muslim relationships,state wise communal violence in india,hinduism and islam similarities,sikh-hindu conflict