MP News: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में बहने वाली शिप्रा नदी की स्वच्छता को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चिंता जताई हैं. उन्होंने अधिकारीयों को साफ़ तौर पर कहा कि शिप्रा नदी में इंदौर से आने वाली कान्ह नदी का गंदा पानी मिलने से रोका जाए.
दरअसल, सीएम मोहन यादव ने बैठक के दौरान पवित्र शिप्रा नदी में कान्ह नदी का गंदा पानी मिलने पर नाराजगी जताई है. इसको लेकर उन्होंने जल संसाधन विभाग को निर्देश भी दिए. जिसमें बताया गया कि पानी का ट्रीटमेंट धर्मपुरी से शुरू किया जाए. ताकि, पानी को शुद्ध कर खेतों में सिंचाई की जा सके.
सीएम ने बताया कि सिंहस्थ को देखते हुए शिप्रा नदी पर बेहतर घाटों का निर्माण किया जाए. जिसमें शनि मंदिर से गऊघाट, वीर दुर्गादास की छत्री से मंगलनाथ घाट, मंगलनाथ से भेरूगढ़ ब्रिज, भूखी माता के सामने घाट निर्माण सहित लगभग 27 किलोमीटर लम्बाई के घाट निर्माणों पर चर्चा हुई.
बता दें कि साल 2028 में उज्जैन की पावन धरा पर सिंहस्थ का आयोजन होना है. सीएम ने अधिकारीयों को निर्देश दिए कि घाट छोटे बनाए जाएं, ताकि खेतों की जमीन प्रभावित न हो. साथ ही शिप्रा नदी के कमांड एरिया में पानी बढ़ने की क्षमता के मुताबिक ही ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाने के संबंध में अधिकारियों को निर्देशित किया.
इस पर कार्ययोजना के संबंध में इंदौर और उज्जैन की स्थानीय प्रशासन की संयुक्त बैठक भी आयोजित की जाए. हालांकि, उज्जैन नगर निगम ने भी सिंहस्थ से पहले ही मेला क्षेत्र को खाली कराने के लिए काम शुरू कर दिया है. एक दिन पहले ही नगर निगम की टीम मंगल कॉलोनी के घरों और मकोड़िया आम क्षेत्र के गैरेज संचालकों के घर पहुंची.
जहां टीम ने 170 लोगों को अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिये. इस संबंध में कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने दो दिन पहले बैठक ली थी. उन्होंने सिंहस्थ क्षेत्र के निर्माण कार्यों को हटाने की कार्रवाई करने को कहा था. इसके अलावा भी कई निर्देश दिए थे.
इससे पहले मुख्यमंत्री ने शिप्रा नदी को सतत प्रवाहमान बनाए रखने के लिए एक अथॉरिटी बनाने का ऐलान किया था. जिसमें बताया गया कि शिप्रा नदी को सदैव सजीव बनाए रखने के लिए एक बड़ी योजना पर काम किया जा रहा है.
इससे सिंहस्थ मेला 2028 का नजारा और भी सुंदर होगा. हाल ही में सीएम ने कहा था कि सिंहस्थ मेला 2028 का आयोजन ऐसा होगा कि पूरी दुनिया देखती रह जाएगी. जिसकों लेकर सभी तैयारियां अभी से शुरू कर दी गई हैं.