भारतीय समाज- सामान्य धर्म (Samanya Dharma)


स्टोरी हाइलाइट्स

भारतीय समाज- सामान्य धर्म (Samanya Dharma) सामान्य धर्म रूपी पुरुषार्थ सभी मनुष्यों के लिए है। पुरुष हो या स्त्री राजा हो या प्रजा, ब्राह्मण हो अथवा दलित सामान्य धर्म का पालन करना सभी के लिए जरूरी है। यह मानव धर्म के रूप में व्यक्ति और समाज से सम्बन्धित अनेक कर्तव्यों को लिए हुए हैं मनुस्मृति में सामान्य धर्म के निर्वाह के लिए दो आचरणों का उल्लेख किया गया है। ये हैं -आत्मनियंत्रण, दया, इन्द्रिय निग्रह, अस्तेय, शुचिता, बौद्धिक विकास, विद्याध्ययन,सत्याचरण, वासना पर नियंत्रण और क्रोध पर विजय । भागवत पुराण में प्रत्येक व्यक्ति के लिए ऐसे छह आचरण बताए गए हैं जिन्हें कि सामान्य धर्म के रूप में पालन करना अनिवार्य है सत्य, अहिंसा, परोपकार, संयम, क्रोध पर नियंत्रण और दूसरों की सम्पत्ति की अपेक्षा न रखना। यह आचरण समान रूप से सभी के लिए हैं। इस प्रकार सामान्य धर्म में स्वहित के साथ परहित और समाज हित का ध्यान रखना मनुष्य का कर्तव्य माना गया है संकीर्णता के ऊपर उठकर मानव मात्र की भलाई और कल्याण, सामान्य धर्म का मूल आधार है। प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह बिना किसी भेदभाव के सामान्य धर्म रूपी अपने दायित्वों का पालन पूर्ण निष्ठा से करे।