केंद्र सरकार के गठन के लगभग एक साल बाद, भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब चौतरफा बदलावों पर नज़र गड़ाए हुए है। न सिर्फ़ संगठन, बल्कि सरकार में भी बदलाव की गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। मोदी सरकार की तीसरी पारी शुरु हुए लगभग एक साल पूरा हो चुका है। सरकार के एक साल पूरा होने के बाद अब केंद्रीय मंत्रीमंडल में फेरबदल की अटकलें तेज हो गई हैं।
भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व बदलावों पर नज़र गड़ाए हुए है। न सिर्फ़ संगठन, बल्कि सरकार में भी बदलाव की गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार अब लंबित महत्वपूर्ण फ़ैसलों में तेज़ी लाने जा रही है।
चर्चा है कि मोदी सरकार अपने केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव करने जा रही है। इस बदलाव के पीछे पिछले कुछ दिनों में हुई गतिविधियाँ को आधार माना जा रहा है। जिनमें राज्यसभा के चार सदस्यों की नियुक्ति, हरियाणा और गोवा में नए राज्यपालों की नियुक्ति और लद्दाख में उपराज्यपाल की नियुक्ति ने मंत्रिमंडल फेरबदल की चर्चा को हवा दे दी है।
सवाल ये भी है कि क्या मंत्रिमंडल विस्तार 21 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से पहले होगा या सत्र समाप्त होने के बाद। इस बीच, मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के बीच एक अहम बैठक हुई। हालाँकि आधिकारिक तौर पर कहा गया कि बैठक में संसद सत्र की रणनीति पर चर्चा हुई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि बैठक में मंत्रिमंडल से जुड़े मामलों पर भी चर्चा की संभावना है।
सूत्रों का कहना है, कि कुछ मंत्री जो वर्तमान में एक से अधिक मंत्रालय संभाल रहे हैं, उनका भार कम किया जा सकता है। मंत्रिपरिषद में नौ नए मंत्रियों को शामिल करने की संभावना है, क्योंकि निर्धारित सीमा के तहत अभी भी कई सीटें खाली हैं। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल पहले 9 जून को 72 सदस्यीय मंत्रिपरिषद के साथ शपथ ली थी।
मंत्रिमंडल में फेरबदल का मुख्य आधार कामकाज बताया जा रहा है। इसके अलावा, मंत्रिपरिषद में बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे आगामी चुनावी राज्यों को अधिक प्रतिनिधित्व देने पर भी जोर दिया जा सकता है। मंत्रिपरिषद में नए चेहरों को शामिल कर उसे और अधिक युवा बनाने की तैयारी भी चल रही है।