काले गेहूं की खेती के आइडिया ने बदली किसान की किस्मत….आज कमाई हैं करोड़ों में, पूरे देश से मिल रहे ऑर्डर


स्टोरी हाइलाइट्स

कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी हैं. लेकिन आविष्कार बिना प्रयोगों के नहीं होते हैं. जब आप किसी चीज पर अध्ययन करते है तो उस पर प्रयोग भी किये...

काले गेहूं की खेती के आइडिया ने बदली किसान की किस्मत आज कमाई हैं करोड़ों में, पूरे देश से मिल रहे ऑर्डर कहा जाता है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी हैं. लेकिन आविष्कार बिना प्रयोगों के नहीं होते हैं. जब आप किसी चीज पर अध्ययन करते है तो उस पर प्रयोग भी किये जाते है और प्रयोग करते-करते ही नई-नई चीजों पर अध्ययन किया जाता हैं. इसी में आपको कुछ बेहतरीन मिल जाता है और आपका प्रयोग सफल हो जाता हैं. लेकिन प्रयोग करने के लिए बहुत साहस की अवश्यकता होती हैं. ऐसा ही कुछ किया है मध्यप्रदेश के धार के किसान विनोद चौहान ने. वैसे तो किसान अपनी परंपरागत खेती करने में ही विश्वास करता है लेकिन मध्य प्रदेश के एक किसान ने परंपरागत खेती की बजाए उससे हटकर खेती की. और फिर इससे उस किसान की किस्मत ही बदल गई. उसे अपनी फसल की चार गुनी कीमत मिल रही है. विनोद चौहान ने प्रयोग करने की हिम्मत दिखाई और काले गेंहू की खेती की और आज वह एक सफल व्यक्ति बन गए हैं. विनोद बताते है कि काले गेहूं की डिमांड बढ़ती जा रही हैं. इसीलिए उन्होंने इस बार 20 बीघा जमीन में 5 क्विंटल गेहूं लगाया. इससे उन्हें 200 क्विंटल फसल का उत्पादन प्राप्त हुआ हैं और इसी तरह उनकी कमाई तेजी से आगे बढती जा रही हैं. पहले जिन खेतों से वह मामलू आमदनी कर रहे थे आज उन खेतों से हुई फसल की डिमांड पुरे देश में हैं. काले गेंहू की खेती की इस सोच के पीछे है पंजाब के रिसर्च सेंटर नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नॉलजी मोहाली के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग. एंथोसाइनिन की मात्रा आम गेहूं की तुलना में काले गेहूं में 149 पास प्रति मिलियन तक अधिक पाई जाती है. इसके आलावा इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक हैं. इतना ही नहीं यह एथोसाइनिन की उपस्थिति के चलते सुगर फ्री भी होता है. इसमें स्टार्च की कम उपस्थिति से यह शुगर के रोगियों के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है. इसे खाने से पाचन क्षमता भी तेजी से बढ़ती है और यही सब खूबियां इस गेंहू को खास बनाती हैं. इस फसल के बारे में विनोद चौहान को यूट्यूब से जानकारी प्राप्त हुई थी. उन्हें इसकी प्रेरणा शुलाजपुर के किसान से मिली थी. विनोद ने हिम्मत जुटाई और परिमाणों की परवाह किये बिना प्रयोग करने का मन बना लिया. विनोद ने शुलाजपुर के किसान से काले गेंहू का बीज 200 रुपये प्रति किलो में ख़रीदा था और अब उनकी फसल तैयार हो चुकी हैं. इसके साथ ही उन्हें राजस्थान, यूपी, कर्नाटक और उत्तराखंड से लगातार खरीददारों से ऑर्डर मिल रहे हैं. कृषि एक्सपर्ट बताते हैं कि काले गेहूं पर अभी भी वैज्ञानिक शोध करने में जुटे हुए हैं. लेकिन इस गेंहू में एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है जो कैंसर के रोगी के लिए लाभकारी हो सकता हैं. इतना ही नहीं यह कैंसर रोकने में भी सहायक हो सकता हैं. इसमें कम मात्रा में फैट पाया जाता है जिससे मोटापे की चिंता भी दूर हो जाती हैं काले गेहूं में एंथाेसाइनिन की मात्रा आम गेहूं की तुलना में अधिक कृषि वैज्ञानिक गर्ग के अनुसार- काले गेहूं में एंथाेसाइनिन की मात्रा आम गेहूं की तुलना में 40 से 140 पास प्रति मिलियन अधिक पाई जाती है, जबकि आम गेहूं 5 से 15 पास प्रति मिलियन हाेती है। काले गेहूं में जिंक की मात्रा भी अधिक हाेती है। सामान्य गेहूं से 60 प्रतिशत अधिक आयरन हाेता है। एंथाेसाइनिन के कारण यह शुगर फ्री रहता है। स्टार्च कम हाेता है यानी गुल्टीन की मात्रा कम हाेने से यह शुगर वाले मरीजाें के लिए अधिक लाभकारी है। पाचन क्षमता भी अच्छी रहती है। 3500 से 4000 रुपए प्रति क्विंटल है भाव किसान ने बताया - महू मंडी में लाकडाउन के पहले 3500-4000 रुपए प्रति क्विंटल भाव थे। विशेष गुण हाेने से इतने भाव हैं, लेकिन तीन साल के बाद अधिक लाेग इसकी खेती करने लगेंगे तब भाव इतने नहीं रहेंगे। अंकुरण क्षमता अधिक है, इसलिए इसमें पानी अधिक और बीज कम लगता है। दूसरे गेहूं से 15 दिन देरी से आता है। आम गेहूं की अलग-अलग किस्में 120 से 125 दिन में कटती है, इसकी फसल 140 दिन में आती है। ऐसे मिली प्रेरणा किसान विनाेद चाैहान ने बताया कि उन्हाेंने यू ट्यूब पर इसके बारे में देखा और जानकारी ली थी। पिछले साल शुजालपुर के किसान ने यह गेहूं लगाया था। इसका बीज 200 रुपए किलाे में बेचा था। पंजाब से 12 हजार रु. प्रति क्विंटल में 5 क्विंटल बीज मंगाए थे। राजस्थान, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक से गेहूं के बीज के लिए डिमांड आ रही है।5