नकारात्मक सोच और सकारात्मक सोच में क्या भेद है? :भगीरथ पुरोहित


स्टोरी हाइलाइट्स

नकारात्मक सोच और सकारात्मक सोच में क्या भेद है? नकारात्मक सोचने वाला इंसान विश्व के तमाम नकारात्मक लोगों से जुड़ जाता है और उसे इसका पता ही......

नकारात्मक सोच और सकारात्मक सोच में क्या भेद है? भगीरथ पुरोहित नकारात्मक सोचने वाला इंसान विश्व के तमाम नकारात्मक लोगों से जुड़ जाता है और उसे इसका पता ही नहीं चलता है, इसी तरह सकारात्मक सोचने वाला इंसान विश्व के तमाम सकारात्मक लोगों से जुड़कर उन लोगों से सम्पूर्ण लाभ और सकारात्मक शक्तियाँ प्राप्त करता है. आप जिस तरह की चीजें अपने जीवन में आकर्षित करना चाहते है उसी तरह के विचारों का इस्तेमाल करना सीखें, जिन लोगों को विचारों का महत्व पता नहीं होता है वे लोग ग़लत विचारों से अपने जीवन में दुर्घटना या हादसे को न्योता दे देते है. यदि उन्हें कोई कहता है कि आप अपने विचारों से नकारात्मक घटना या नरक को आकर्षित कर रहे हो तो ऐसे लोग कभी भी यह बात नहीं मानते है. दरअसल नकारात्मक विचार रखने वाले लोग अपना नरक, अपना दुःख और अपना रोग साथ में लेकर घूमते है. ऐसे लोगों को निराशावादी दृष्टिकोण विशेषज्ञ कहा जाता है ऐसे लोगों से जब आप मिलेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि सचमुच में नरक कैसा होता है. ऐसे लोगों को कोई भी बात बताई जाए तो वे उसका नकारात्मक पहलू ही नहीं देखते है बल्कि ग़लतियों को मेग्निफाइंग ग्लास से देखते है. ऐसे लोगों से मिलकर आप सोचने लगते है कि इनसे कैसे जल्दी से जल्दी पीछा छुड़ाया जाए. इसके विपरीत सकारात्मक सोचने वाले इंसान अपना स्वर्ग, अपना सुख और अपना स्वास्थ्य साथ में लेकर घूमते है. ऐसे लोगों को आशावादी दृष्टिकोण विशेषज्ञ कहा जाता है सच तो यह है कि आप भी ऐसे इंसान बन सकते है. विचारों की शक्ति से आप भी ऐसा कर सकते है आप क्या चाहते है आपके आस -पास सकारात्मक विचारों वाले लोग हो या नकारात्मक विचारों वाले लोग हो. स्वाभाविक है आप यही चाहेंगे कि आपके माता -पिता, भाई-बहन, दोस्त ,रिश्तेदार, कर्मचारी और आपके बोस सभी सकारात्मक विचारक हो. जब आपको अपने आस -पास सभी सकारात्मक लोग ही चाहिए तो आप खुद कैसे नकारात्मक विचारक रह सकते है? सकारात्मकता के उच्चतम स्तर पर पहुँचने के लिए अपने भाव, अपने विचार, वाणी और अपने कर्म में एकरूपता लानी होगी. अपने मन में चल रहे हर विचार पर सजग रहे, सकारात्मक विचारों के बार-बार दोहराने से कल्पना सहज ही दिखाई देने लगती है. जब आप ख़ुशी की भावना महसूस करते है तो आप चुम्बक की तरह हर अच्छे परिणामों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे. अपनी भावनाओं को उच्चतम स्तर पर बनाए रखे इसके परिणाम स्वरूप आपके विचारों को उच्च स्थिति प्राप्त होगी, फिर आपकी वाणी में और फिर आपके कर्मों में अच्छाई प्रतिपादित होगी उससे आप अपना और दूसरों का भविष्य संवार सकते है इसलिए हमेशा सकारात्मक विचारों को ही अपने मस्तिष्क में जगह दीजिए. भगीरथ पुरोहित (अहमदाबाद, मो.9825173001)