देवी के वो मन्त्र जिनसे सारे रोग भाग जायेंगे


स्टोरी हाइलाइट्स

देवी के वो मन्त्र जिनसे सारे रोग भाग जायेंगे   “ॐ उं उमा-देवीभ्यां नमः” ‘Om um uma-devibhyaM namah’ इस मन्त्र से मस्तक-शूल (headache) तथा मज्जा-तन्तुओं (Nerve Fibres) की समस्त विकृतियाँ दूर होती है – ‘पागल-पन’(Insanity, Frenzy, Psychosis, Derangement, Dementia, Eccentricity)तथा ‘हिस्टीरिया’ (hysteria) पर भी इसका प्रभाव पड़ता है । “ॐ यं यम-घण्टाभ्यां नमः” ‘Om yaM yam-ghantabhyaM namah’ इस मन्त्र से ‘नासिका’ (Nose) के विकार दूर होते हैं । “ॐ शां शांखिनीभ्यां नमः” ‘Om shaM shankhinibhyaM namah” इस मन्त्र से आँखों के विकार (Eyes disease) दूर होते हैं । सूर्योदय से पूर्व इस मन्त्र से अभिमन्त्रित रक्त-पुष्प से आँख झाड़ने से ‘फूला’ आदि विकार नष्ट होते हैं । “ॐ द्वां द्वार-वासिनीभ्यां नमः” ‘Om dwaM dwar-vasineebhyaM namah’ इस मन्त्र से समस्त ‘कर्ण-विकार’ (Ear disease) दूर होते हैं । “ॐ चिं चित्र-घण्टाभ्यां नमः” ‘Om chiM chitra-ghantabhyaM namah’ इस मन्त्र से ‘कण्ठमाला’ तथा कण्ठ-गत विकार दूर होते हैं । “ॐ सं सर्व-मंगलाभ्यां नमः” ‘Om saM sarva-mangalabhyaM namah’ इस मन्त्र से जिह्वा-विकार (tongue disorder) दूर होते हैं । तुतलाकर बोलने वालों (Lisper) या हकलाने वालों (stammering) के लिए यह मन्त्र बहुत लाभदायक है । “ॐ धं धनुर्धारिभ्यां नमः” ‘Om dhaM dhanurdharibhyaM namah’ इस मन्त्र से पीठ की रीढ़ (Spinal) के विकार (backache) दूर होते है । This is also useful for Tetanus. “ॐ मं महा-देवीभ्यां नमः” ‘Om mM mahadevibhyaM namah’ इस मन्त्र से माताओं के स्तन विकार अच्छे होते हैं । कागज पर लिखकर बालक के गले में बाँधने से नजर, चिड़चिड़ापन आदि दोष-विकार दूर होते हैं । “ॐ शों शोक-विनाशिनीभ्यां नमः” ‘Om ShoM Shok-vinashineebhyaM namah’ इस मन्त्र से समस्त मानसिक व्याधियाँ नष्ट होती है । ‘मृत्यु-भय’ दूर होता है । पति-पत्नी का कलह-विग्रह रुकता है । इस मन्त्र को साध्य के नाम के साथ मंगलवार के दिन अनार की कलम से रक्त-चन्दन से भोज-पत्र पर लिखकर, शहद में डुबो कर रखे । मन्त्र के साथ जिसका नाम लिखा होगा, उसका क्रोध शान्त होगा । “ॐ लं ललिता-देवीभ्यां नमः” ‘Om laM lalita-devibhyaM namah’ इस मन्त्र से हृदय-विकार (Heart disease) दूर होते हैं । “ॐ शूं शूल-वारिणीभ्यां नमः” ‘Om shooM shool-vaarineebhyaM namah’ इस मन्त्र से ‘उदरस्थ व्याधियों’ (Abdominal) पर नियन्त्रण होता है । प्रसव-वेदना के समय भी मन्त्र को उपयोग में लिया जा सकता है । “ॐ कां काल-रात्रीभ्यां नमः” ‘Om kaaM kaal-raatribhyaM namah’ इस मन्त्र से आँतों (Intestine) के समस्त विकार दूर होते हैं । विशेषतः ‘अक्सर’, ‘आमांश’ आदि विकार पर यह लाभकारी है । “ॐ वं वज्र-हस्ताभ्यां नमः” ‘Om vaM vajra-hastabhyaM namah’ इस मन्त्र से समस्त ‘वायु-विकार’ दूर होते हैं । ‘ब्लड-प्रेशर’ के रोगी के रोगी इसका उपयोग करें । “ॐ कौं कौमारीभ्यां नमः” ‘Om kauM kaumareebhyaM namah’ इस मन्त्र से दन्त-विकार (Teeth disease) दूर होते हैं । बच्चों के दाँत निकलने के समय यह मन्त्र लाभकारी है । “ॐ गुं गुह्येश्वरी नमः” ‘Om guM guhyeshvari namah’ इस मन्त्र से गुप्त-विकार दूर होते हैं । शौच-शुद्धि से पूर्व, बवासीर के रोगी १०८ बार इस मन्त्र का जप करें । सभी प्रकार के प्रमेह – विकार भी इस मन्त्र से अच्छे होते हैं । “ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः” ‘Om paaM paarvatibhyaM namah’ इस मन्त्र से ‘रक्त-मज्जा-अस्थि-गत विकार’ दूर होते हैं । कुष्ठ-रोगी इस मन्त्र का प्रयोग करें । “ॐ मुं मुकुटेश्वरीभ्यां नमः” ‘Om muM mukuteshvareebhyaM namah’ इस मन्त्र से पित्त-विकार दूर होते हैं । अम्ल-पित्त के रोगी इस मन्त्र का उपयोग करें । “ॐ पं पद्मावतीभ्यां नमः” ‘Om paM padmavateebhyaM namah’ इस मन्त्र से कफज व्याधियों पर नियन्त्रण होता है । विधिः- उपर्युक्त मन्त्रों को सर्व-प्रथम किसी पर्व-काल में १००८ बार जप कर सिद्ध कर लेना चाहिये । फिर प्रतिदिन जब तक विकार रहे, १०८ बार जप करें अथवा सुविधानुसार अधिक-से-अधिक जप करें । विकार दूर होने पर ‘कुमारी-पूजन, ब्राह्मण-भोजन आदि करें ।