नागपाश में जकड़ा आदमी


स्टोरी हाइलाइट्स

सतयुग से द्वापर युग तक युद्ध में नागपाश का उपयोग एक अस्त्र के रूप में किया जाता था।उस समय नागपाश के दो भेद थे- १. रस्सी के फन्दे की ऐसी अद्भुत गाँठ, जिसमें जकड़ा हुआ व्यक्ति स्वयं गाँठ को नहीं खोल पाता था। युद्ध में इस फन्दे को शत्रु के ऊपर फेंक कर उसे बाँध लिया जाता था। इसे वरुणपाश भी कहते थे।

नागपाश- सतयुग से द्वापर युग तक युद्ध में नागपाश का उपयोग एक अस्त्र के रूप में किया जाता था। उस समय नागपाश के दो भेद थे- १. रस्सी के फन्दे की ऐसी अद्भुत गाँठ, जिसमें जकड़ा हुआ व्यक्ति स्वयं गाँठ को नहीं खोल पाता था। युद्ध में इस फन्दे को शत्रु के ऊपर फेंक कर उसे बाँध लिया जाता था। इसे वरुणपाश भी कहते थे। नागपाश के दूसरे प्रकार में नागमन्त्रों से अभिमन्त्रित बाण का उपयोग किया जाता था। इस बाण की आकृति नाग जैसी होती थी। धनुष द्वारा चलाए जाने पर यह बाण शत्रु के शरीर से चिपक जाता था और वह बाण अनेक वास्तिविक नागों का रूप धारण करके शत्रु के शरीर को जकड़कर दंशन करने लगते थे। इससे छूटना अति कठिन होता था। नागपाश में जकड़े वीर को वहीं मुक्त कर सकता था, जिस तपस्वी वीर के पास गरुड़बाण होता था। आज कलयुग में जीवन की युद्ध समेत सम्पूर्ण विधाओं में आमूलचूल परिवर्तन हो गया है। अतः अब तो व्यक्ति कालसर्प के दुष्प्रभाव के कारण अपनी विपरीत परिस्थितियों और समस्याओं (रोग, शत्रु, धन हानि, दुःख आदि) की उलझनों में फँसना (जकड़ना) ही नागपाश है। Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.