बंगाल में केसरिया लहराने वाला है: सरयूसुत मिश्र 


स्टोरी हाइलाइट्स

बंगाल में केसरिया लहराने वाला है: चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनाव हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बंगाल के चुनाव को लेकर है।.....

बंगाल में केसरिया लहराने वाला है सरयूसुत मिश्र चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में चुनाव हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा बंगाल के चुनाव को लेकर है। बाकी राज्यों में तो स्थिति काफी हद तक स्पष्ट लग रही है। आसाम में भाजपा कड़ी लड़ाई में है लेकिन मतदान आते आते भाजपा अपनी स्थिति सुधार सकती है असम में भाजपा सत्ता में वापसी कर सकती है। केरल का जहां तक सवाल है वहां कांग्रेस का गठबंधन नुकसान मैं रह सकता है एलडीएफ फिर से सत्ता में वापसी कर सकता है। पुडुचेरी में भाजपा के लिए संभावना बनती दिखाई पड़ रही है। तमिलनाडु का जहां तक सवाल है वहां पुरानी स्थिति कायम रह सकती है जिसमें 5 साल में सत्ता बदल जाती है। सबसे बड़ा राज्य बंगाल मैं सबसे ज्यादा चुनावी संघर्ष है। बंगाल में इस बार सत्ता बदल सकती है। बंगाल की जनता 1977 के बाद लगातार रीजनल पार्टियों के शासन से तंग हो गई है। कम्युनिस्ट और फिर उसके बाद टीएमसी इस प्रकार लगभग 45 सालों से बंगाल में ऐसी राज्य सरकारें काम करती रही जो केंद्र की सरकार की अमूमन विरोधी रही है। ऐसी परिस्थिति के कारण राज्य में विकास भी प्रभावित हुआ है। रीजनल पार्टियां जहां भी शासन में होती हैं वहां उनके परिवार का दखल शासन में और पार्टी में सीधा रहता है। किसी भी रीजनल पार्टी को देख ले सभी पार्टियां एक परिवार की ही पार्टी है टीएमसी के साथ भी यही हुआ है भाजपा ने वहां भतीजे का मुद्दा खड़ा किया है भतीजा एक व्यक्ति जरूर है लेकिन पूरी शासन व्यवस्था में जो भतीजावाद चला है वह प्रदेश के लोगों ने भोगा है । ट्रांसफर पोस्टिंग, योजनाओं में कट मनी, ठेका कोटा परमिट सब में वसूली यहां तक की गांव तहसील में काम करने वाले सरकारी दफ्तरों मैं कार्यकर्ताओं का सीधा हस्तक्षेप और वसूली की प्रक्रियाओं ने जनता को उबा दिया है, यही स्थिति कम्युनिस्ट राज मे थी। टीएमसी मैं तो हालात और खराब हो गए हैं। कम्युनिस्ट की सरकार हटाकर ममता बनर्जी सत्ता में आई थी अब कम्युनिस्ट और कांग्रेस की स्थिति सत्ता में आने लायक बची नहीं है ममता बनर्जी के सामने भाजपा ने बंगाल में एक विकल्प प्रस्तुत किया। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 18 सीटें जीतकर यह दिखाया था कि भाजपा राज्य में विकल्प बन सकती है बंगाल के लोग भाजपा को विकल्प के रूप में देख रहे हैं और इस बार का चुनाव सत्ता में बदलाव के लिए दिख रहा है और इसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा। बंगाल 45 सालों से ऐसी स्थिति नही रही जब राज्य और केंद्र की सरकार एक ही दल के हाथ में हो और इससे विकास को तेज गति मिले। बंगाल के लोगों को इस बार यह अवसर मिला है और निश्चित ही बंगाल के लोग इसका फायदा उठाएंगे, इसकी पूरी संभावना है। बंगाल में पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होना है बहुत कम समय बचे हैं चुनाव प्रचार को कवर करने के लिए जो भी पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक बंगाल गए हैं उनसे चर्चा भी ऐसा ही संकेत दे रही है कि बंगाल में बदलाव की बयार है। बंगाल में डर का माहौल है जिस ढंग से टीएमसी ने पार्टी और सरकार चलाई है उससे लोग डरे हुए हैं कोई चुनाव के संबंध में कुछ बोलना नहीं चाहता है इसलिए चुनाव के नतीजों की स्पष्ट झलक लोग समझ नहीं पा रहे हैं। बारीकी से लोगों की राय अगर समझी जाए तो बंगाल में बदलाव दीवार पर लिखी इबारत लग रही है। बंगाल में शुरू से ही मुस्लिम राजनीति हावी रही है। बंगाल के विभाजन के बाद इसमें और वृद्धि हुई है। लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद हिंदुओं में  यह भाव मजबूत हुआ की एकजुटता हो जाए तो मुस्लिम राजनीति होते हुए भी बंगाल के सत्ता समीकरण में फेरबदल किया जा सकता है, अभी भी मुस्लिम राजनीति पूरी ताकत से काम कर रही है। कांग्रेस कम्युनिस्ट द्वारा बनाया गया गठबंधन तृणमूल पार्टी को नुकसान पहुंचा रहा है कम्युनिस्ट और कांग्रेस के परंपरागत वोट लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की तरफ खिसक गए थे ऐसा लग रहा है की विधानसभा में भी इसी तरह का उलटफेर हो सकता है। बंगाल का बड़ा मीडिया हाउस एबीपी ने एक सफ्ताह पहले बंगाल चुनाव पर एक ओपिनियन पोल किया है इसमें उन्होंने तृणमूल कांग्रेस को 136 से 146 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है और भाजपा को 130 से 140 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है इस मीडिया हाउस ने अपना ताजा ओपिनियन पोल में भाजपा को 175 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। इस मीडिया हाउस को भाजपा का समर्थक नहीं माना जाता। इन अनुमानों को भी एक आधार माना जाए तो 8 चरणों में होने वाले चुनाव में परिस्थितियां और बदल सकते हैं? यह अनुमान इतना संकेत तो दे ही रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस को भाजपा कड़ी टक्कर दे रही है और मुकाबला इतना करीब है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के सभी बड़े नेता चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं बंगाल के चुनाव परिणाम में मध्यप्रदेश की भी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। मध्य प्रदेश के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के प्रभारी महामंत्री थे लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद श्री विजयवर्गीय बंगाल में ही जमे हुए है। मध्य प्रदेश के पूर्व संगठन महामंत्री श्री अरविंद मेनन भी वहां लंबे समय से काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भी बंगाल में धुआंधार प्रचार में लगे हुए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान बंगाल में कई दौर का प्रचार कर चुके हैं । हमने जो भी जानकारी बंगाल चुनाव के बारे में बंगाल के पत्रकारों और जागरूक लोगों से प्राप्त की है उस का रुझान तो यही है की बंगाल में मई की गर्मी में केसरिया की ठंडक मिलने वाली है।