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मेहमाननवाज़ी की संस्कृति पर बदनुमा दाग

सार

    देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर को एक ज़लील के कुत्सित विचारों से पूरी दुनिया में बदनामी झेलनी पड़ी है. जो इंदौर मेहमाननवाज़ी के लिए पूरी दुनिया में फेमस है. उसे ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर्स के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना ने शर्मसार होने के लिए मजबूर किया है..!!

janmat

विस्तार

    इस शहर में ऐसी घटना की कल्पना नहीं की जा सकती. लेकिन शायद इंदौर का समय ही खराब चल रहा है. वहां जो भी घटनाएं वह घट रही हैं, वह सब अप्रत्याशित और अकल्पनीय कही जा सकती हैं. आरोपी पकड़ लिया गया है. उसको सार्वजनिक रूप से सबक भी सिखाया गया है, लेकिन इससे इंदौर की बदनामी कम नहीं हो सकती. अब तो यह भी बातें होने लगी है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स बिना सुरक्षा के किसी को बताए हुए सड़कों पर क्यों निकलीं. 

    यह बात तो गलत नहीं है, कि क्रिकेटर्स का क्रेज है. उनको बिना सुरक्षा सड़कों पर नहीं निकलना था, लेकिन यह भी सही है कि क्या इंदौर इतना असुरक्षित है, कि कोई भी बिना सुरक्षा के निकलेगा तो उसके साथ ऐसी शर्मनाक घटना हो जाएगी. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर्स के लिए प्रशासन की सुरक्षा प्रोटोकॉल में आती है. क्रिकेट एसोसिएशन की भी सुरक्षा व्यवस्था होती है. यह सारे सवाल-जवाब अपनी जगह हैं, लेकिन इस घटना के कारण पूरी दुनिया में इंदौर को जो बदनामी मिली है, उसकी भरपाई कैसे होगी?

    इंदौर के पास लगातार कई वर्षों से देश के सबसे स्वच्छ शहर का ख़िताब है. यह शहर शासन और प्रशासन का सबसे पसंदीदा शहर है. यहां जो भी अफसर भेजे जाते हैं, उन्हें भी बेस्ट माना जाता है. अब तो इंदौर ने यह भी रिकॉर्ड बनाया है, जब राज्य के मुख्यमंत्री ही यहां के प्रभारी मंत्री हैं. जिस शहर पर शासन-प्रशासन की इतनी सीधी नज़र हो, उस शहर में ऐसी घटना की कल्पना नहीं की जा सकती. यह बात अलग है, कि एक्सीडेंट बताकर नहीं होते.

    यह अपराध ना शासन का है, ना प्रशासन का है. यह एक मनोरोगी व्यक्ति का मनोविकार लगता है. अंतर्राष्ट्रीय महिला क्रिकेटर्स के साथ घटना के लिए सीधे तौर पर शासन और प्रशासन भले जिम्मेदार नहीं हों, लेकिन उसकी परछाई से बच भी नहीं सकते. राज्य का सबसे गतिशील शहर भी इंदौर ही माना जाता है. इसे मिनी मुंबई के रूप में भी देखा जाता है. राज्य की अर्थव्यवस्था का यह बड़ा केंद्र है. इस शहर से राजनीति भी चलती है और प्रशासन भी.

    पिछले कई महीनों से कुछ ऐसी घटनाएं शहर में घट रही हैं. जो एडमिनिस्ट्रेशन के एलाइनमेंट में कहीं ना कहीं गड़बड़ी का इशारा कर रही हैं. पूरे देश में यही अकेला शहर होगा. जिसके जिले का प्रभारी मुख्यमंत्री होगा. वैसे तो राज्य का मुख्यमंत्री सभी जिलों का प्रभारी स्वयमेव होता है, लेकिन यह इंदौर का ही महत्व है, कि मुख्यमंत्री ने खुद इसका प्रभार अपने पास रखने की पहल की है. जो शहर इतना महत्वपूर्ण हो उस शहर में ऐसी घटनाएं चिंता पैदा करती हैं. 

    यह राजनीति का विषय नहीं है. यह संस्कृति और संस्कार का विषय है. यह मध्य प्रदेश को बदनाम करने का विषय है. यह राज्य की छवि खराब करने का विषय है. जलील विचार चेहरे से नहीं आंके जा सकते. विचारों की गंदगी शहर की अस्वच्छता से ज्यादा खतरनाक है. मध्य प्रदेश के लिए यह घटना मानसिकता से जुड़ी दिखाई देती है. पुलिस जांच कर रही है. इसको इस दृष्टि से भी देखा जाना चाहिए, कि क्या योजनाबद्ध ढंग से इंदौर और राज्य को बदनाम करने के लिए इस घटना को अंजाम तो नहीं दिया गया है?

    संस्कृति और संस्कार से जुड़ी घटना को राजनीति से भी जोड़ा जा रहा है. इसे मध्य प्रदेश में महिला उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के साथ जोड़कर देखा जा रहा है. इंदौर जो कभी गुड गवर्नेंस का उदाहरण हुआ करता था वहां ऐसी घटनाएं प्रशासकीय तंत्र पर भी सवाल तो खड़े ही करती हैं.

    बातें तो हमेशा सुशासन की होती हैं, लेकिन दर्शन कुशासन के होते हैं. राज्य के व्यापार उद्योग के सबसे बड़े केंद्र में विकृत मानसिकता का बढ़ना प्रशासन पर भी सवाल खड़े करता है. कोई भी घटना हो उसमें राजनीति अपने आप पैदा हो जाती है. 

    बिहार चुनाव में 20 साल पहले के जंगलराज की खूब चर्चा हो रही है. जंगलराज वहीं होता है, जहां राजा की मर्जी चलती है. जहां नियम कायदा, प्रक्रिया, जिम्मेदारी, जवाबदारी उपेक्षित होती है, वही जंगलराज होता है. डेमोक्रेटिक सिस्टम में काम करने वाला राजनीतिक तंत्र भी मुख्यत: राजा ओरिएंटेड मानसिकता का ही होता है. जो मुखिया होता है, उसकी मर्जी शासन की मर्जी बन जाती है. कई बार तो ऐसा लगता है, कि भाषण ही शासन की भूमिका निभा रहा है.

    किसी विकृत मस्तिष्क के व्यक्ति के आचरण को पूरे शहर की छवि से नहीं जोड़ा जा सकता. देश की क्लीनस्ट सिटी की डर्टी पिक्चर को बदलने के लिए सरकार के साथ ही वहां के लोगों को सामूहिक प्रयास करना पड़ेगा. किसी भी घटना को खराब समय और अस्तित्व की मर्जी पर नहीं छोड़ा जा सकता.

    सबसे स्वच्छ शहर इंदौर हर दृष्टि से सबसे आदर्श शहर के रूप में उभरे यही शासन, प्रशासन, मीडिया और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है.