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मोदी चरित्र का आकर्षण, विचारधारा-समर्पण

सार

पीएम नरेंद्र मोदी के जन्म दिवस पर देश-विदेश से बधाई शुभकामनाओं का तांता लगा हुआ है. प्रशंसकों के साथ विरोधी भी अपनी भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं..!!

janmat

विस्तार

     यह ऐसा अवसर होता है, जब अच्छी-अच्छी बातें ही की जाती हैं. लेकिन लोकतंत्र के महानायक के लिए, विपक्षी नायक के विचारों को समझने से व्यक्तित्व के सभी पक्ष सामने आ जाते हैं. नरेंद्र मोदी ने जनादेश के विश्वास और भरोसे का इतिहास बनाया है. लीडर और पब्लिक के इस भरोसे के कारण ही दुनिया में भारत की छवि चमकी है.

    राहुल गांधी ने भी प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई शुभकामनाएं देते हुए अच्छे स्वास्थ्य की कामना की है. राहुल की नजर में प्रधानमंत्री कांग्रेस की राजनीति के लिए कोई चुनौती नहीं है. कांग्रेस उन्हें संविधान विरोधी, अहंकारी, कम्युनल, कायर और डिक्टेटर के रूप में देखती है. 

    कांग्रेस की हेट स्पीच को मोदी ने अपनी ग्रोथ स्पीड में बदल दिया. विपक्ष के रूप में जिस तरह की तथ्यात्मक और प्रमाणित आलोचना की जानी चाहिए, उसमें राहुल गांधी अभी तक असफल रहे हैं. जो भी कैंपेन चलाया वह सब समय के साथ स्वत: समाप्त हो गया. कई मामलों में तो उन्हें अदालत से माफी भी माननी पड़ी. इसके विपरीत मोदी ने अपनी ग्रोथ स्पीड के लिए कांग्रेस की हेट स्पीच को आधार बनाया. 

   अच्छों को बुरा साबित करना दुनिया की पुरानी आदत है. कांग्रेस भी इसी आदत पर चल रही है. बुराई वही करते हैं, जो बराबरी नहीं कर सकते. हारता वह है जो शिकायत हजार करता है. जीतता वही है जो कोशिशें बार-बार करता है. राहुल और पूरी कांग्रेस नरेंद्र मोदी के बारे में जो भी विचार रखते हैं, जनादेश उस पर विश्वास नहीं करता. जनादेश का विश्वास ही मोदी की सबसे बड़ी ताकत है.

    मोदी ने अपनी जवानी राजनीति में नहीं गुजारी है. 75 साल के मोदी 30 साल पहले ही राजनीति में आए थे.  युवावस्था में वह राष्ट्रीय सेवक संघ में जनसेवा की तपस्या करने में लगे हुए थे. वह राजनीति में आए नहीं थे बल्कि उन्हें आरएसएस द्वारा लाया गया था. जो व्यक्ति संघ के संस्कारों में जनसेवा में तपने के बाद राजनीति में आया हो, उसका व्यक्तित्व सामान्य नेताओं से अलग होना लाजमी है.

    प्रधानमंत्री तो देश में बहुत हुए हैं, लेकिन जनता ने सीधा अगर किसी पहले नेता को प्रधानमंत्री के रूप में चुना है, तो वह नरेंद्र मोदी ही हैं. पीएम उम्मीदवार के रूप में देश ने उन्हें जनादेश दिया. आरएसएस में उनका तप और सेवा का संस्कार उनकी पॉलिटिकल सक्सेस का मूल मंत्र है. सबका साथ सबका विकास उनके लिए राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि जीवन पद्धति का संस्कार है. उनकी अडिगता को अहंकार के रूप में विपक्ष की आलोचना का जवाब पाकिस्तान में तलाशने  जरूरत है. 

    मोदी को संघ ने तराशा, तो मोदी ने बीजेपी को नई दिशा दी. गुजरात में संगठन को बूथ लेवल और पन्ना प्रमुख तक पहुंचाने की कल्पना मोदी ने की. केवल चुनाव के समय कार्यकर्ताओं की जरूरत की भावना को मोदी ने बदला.  संगठन की मशीनरी को 24X7 इलेक्शन मशीनरी के रूप में स्थापित किया. चुनावी राजनीति में बीजेपी को मिल रही सफलता इसी रणनीति के कारण है. मोदी के उभरने के बाद सही मायने में बीजेपी नेशनल पार्टी स्थापित हुई है. 

       पीएम के रूप में गवर्नेंस और विकास में तो पूरा सिस्टम काम करता है. सिस्टम को क्लियर विजन देना लीडर की सक्सेस होती है. इंप्लीमेंटेशन पर कंटीन्यूअस नजर लीडर की विशेषता होती है. मोदी के पहले करप्शन आम हुआ करता था. मोदी ने इस कार्य संस्कृति को बदला है. उनके प्रबल विरोधी भी मोदी सरकार पर करप्शन का कोई भी प्रामाणिक आरोप स्थापित नहीं कर सके, तो यह मोदी की बड़ी सफलता है. 

     मोदी विचारधारा और समर्पण के प्रतीक हैं. जीवन को समर्पण से जीना ही वास्तविक सफलता है. जो भी कम करें उसमें समर्पण हो. मोदी जब संघ में थे, तब उनके समर्पण ने ही उन्हें राजनीति में लाने के लिए लोगों को प्रेरित किया. मुख्यमंत्री के रूप में गवर्नेंस में ईमानदारी और क्षमता का ही परिणाम है कि गुजरात मॉडल को देश में दोहराने के लिए उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया.

    मोदी विचारधारा के आइकॉन हो गए हैं. संघ की विचारधारा मोदी का नाम लेते ही प्रतिबिंबित हो जाती है. विचारधारा के प्रति जो कमिटमेंट उन्होंने दिखाया है, उससे ना केवल उनका जनाधार बढ़ा है, बल्कि उनकी विश्वसनीयता में भी इजाफा हुआ है. 

    ऐसा कहा जाता है कि मोदी सन्यासी बनना चाहते थे. त्याग और छोड़ने के इसी भाव ने उनको भर दिया. पीएम के पद पर रहते हुए सन्यासी का भाव उनकी कार्यशैली की खूबी है. झोला लेकर चले जाने की मोदी की बात भी उसी का प्रतीक है. उनको परिवार के लिए नहीं कमाना, उनकी कमाई देश के लिए है.

    समय सबसे बड़ा शासक है. लोकतंत्र में तो लोक सेवक होता है. समय फूल को खिलाता है और उसी को मुरझा देता है. समय ने मोदी का जो फूल खिलाया है भारत का लोकतंत्र उसकी सुगंध से महक रहा है.