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सागर का शुक्रवारी और शनिचरी भविष्यवाचक

सार

     देश की डेमोग्राफी में अप्रत्याशित बदलाव से उत्पन्न समस्याओं पर अलग-अलग राजनीतिक विचार हैं. इस पर विवाद, धर्मनिरपेक्षता, तुष्टीकरण वोट बैंक और घुसपैठ जैसे शब्दों पर खड़े होते हैं..!!

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विस्तार

     यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जब कहते हैं, कि सौ हिंदुओं के बीच दस मुसलमान परिवार सुरक्षित हैं. लेकिन सौ मुसलमानों के बीच दस हिंदू परिवार असुरक्षित रहते हैं. तो सेकुलरवादी इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ़ बताते हैं. सागर के शुक्रवारी और शनिचरी मोहल्ले में हिंदू पलायन के जो अधिकृत दृश्य सामने आए हैं, वह हिंदुस्तान के लिए भविष्य सूचक हैं. इन दोनों मोहल्लों में खतरा धीरे-धीरे बढ़ा. 

    अब तो देश के कई इलाकों में ऐसे मोहल्लों की कमी नहीं रह गई है. हर शहर में विभिन्न समुदायों की केंद्रित जनसंख्या बढ़ गई है. हर शहर में ऐसे मोहल्ले हैं, जहां विभिन्न समुदायों की बसाहट में असंतुलन बढ़ने पर दूसरा समुदाय अपनी संपत्तियां बेचकर दूसरे स्थान पर शिफ्ट हो जाता है. सागर में इन दोनों मोहल्ले में यही हुआ है. जब यह घट रहा था, तब धर्मनिरपेक्षता की याद किसी को नहीं आई. अब जब वहां की डेमोग्राफी बदल गई है, जब हिंदू वहां से पलायन कर गए हैं, तो हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है. यह केवल सागर की समस्या नहीं है, यह देश की समस्या है. इस समस्या का समाधान आसान नहीं होगा. इस पर राजनीति तो बहुत पहले से हो रही है.

    इस समस्या की जड़ भारत विभाजन से जुड़ी हुई है. आजादी के समय यही नजरिया था. इस्लाम धर्म के आधार पर पाकिस्तान बन गया. भारत धर्म के आधार पर नहीं बना बल्कि उसने धर्मनिरपेक्षता का मार्ग अपनाया. सागर के मोहल्लों में जो दृश्य दिखे हैं, उससे आजादी के समय बने भारत का बुनियादी दृष्टिकोण ही चरमराता दिखाई पड़ रहा है. भोपाल में भी कई ऐसे मोहल्ले हैं, जहां हिंदू और मुस्लिम समाज की बसाहट एकतरफा हो रही है. सागर के मोहल्लों जैसा वहां भी हो रहा है, कि एक समुदाय की आबादी बढ़ने के बाद हिंदू वहां से पलायन कर रहे हैं.

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी नेइस समस्या को बहुत पहले पहचान लिया था. राजनीतिक रूप से इसीलिए हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाया गया. मुस्लिम समुदाय हिंदुत्ववादी राजनीतिक विचारधारा से नफरत करता है. यह सारी समस्या सामाजिक कारणों से कम है, बल्कि धर्म और राजनीति की कट्टरता इसका कारण लगता है.

    सागर के मोहल्लों का दृश्य बीजेपी की राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. जब खतरे का पता हो उसके बाद भी खतरा बढ़ता जाए, तो फिर सरकार को जवाब तो देना ही पड़ेगा. आपसी विवाद एक ही समुदाय के लोगों में भी होता है, लेकिन जहां धर्म के आधार पर भेदभाव या व्यवहार तय होता है, वहां ऐसी घटनाएं होती हैं. अभी तक तो केवल कहा जा रहा था कि डेमोग्राफी बदल रही है. असंतुलित आबादी वृद्धि एक बड़ी समस्या बन रही है. अब तो शहरों में यह विजीबल होने लगा है. वोट बैंक की राजनीति भी इसका बड़ा कारण है. 

    संसदीय व्यवस्था में बहुमत ही सरकार बनाता है. सरकार ही नीतिगत फैसले करती है. सागर के मोहल्लों जैसा राजनीति में एक दशक पहले हिंदू हितों का पलायन जैसा होता था. जो भी चुनी हुई सरकारें थीं वह धर्म और जाति के आधार पर वोट बैंक विकसित करने में जुटी हुई थीं. पीएम नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय परिदृश्य में उभरने के बाद हिंदुत्व की राजनीति को सरकार चलाने का मौका मिला है. लोकतंत्र में कोई भी समुदाय किसी भी राजनीतिक दल से इतनी नफरत करेगा, कि उस दल के खिलाफ़ एक मुश्त वोट करेगा यह वैसी ही मानसिकता है, जैसी सागर के मोहल्ले में दिखाई पड़ रही है.

    अभी जो घुसपैठ पर हल्ला मचा हुआ है, उसके पीछे भी देश की बदलती डेमोग्राफी का ही डर है. देश में एनआरसी क्यों नहीं लागू होने दिया जा रहा है. मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर का विरोध क्यों किया जा रहा है. इस सब के पीछे भी शनीचरी मोहल्ले की मानसिकता है.

    प्रत्येक नागरिक के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी होती है. कट्टरता का जो मानसिक डर होता है, उससे तो व्यक्ति को स्वयं निपटना पड़ता है. इसीलिए बीजेपी की सरकारों में भी हिंदू पलायन को मजबूत हो रहे हैं. बंगाल जैसे राज्यों में हालात और चिंताजनक हैं. 

    कभी अपराधियों में गैंगवार हुआ करते थे. डाकुओं में भिडंत हुआ करती थी. अब तो धर्म के आधार पर पलायन हो रहे हैं. इंसान तो इंसान पशु-पक्षी भी अपनी सुरक्षा के लिए सतर्क रहते हैं. जब हिंदुओं के लिए डेमोग्राफिक बदलाव इतनी असुरक्षा पैदा कर सकता है, कि उन्हें अपनी संपत्ति और घर बार बेचकर जाना पड़े तो फिर इससे हिंदुओं में डर पैदा होना स्वाभाविक है. देश में पहली बार डेमोग्राफी मिशन बना है. यह डेमोग्राफी में हो रहे बदलाव और उसके कारण पैदा हो रही समस्याओं पर नीतिगत फैसला करेगा.

    सामाजिक स्तर पर भी इस दिशा में दोनों समुदायों  को आपसी सौहार्द और समझदारी विकसित करने की जरूरत है. हिंदू पलायन के ऐसे मॉडल योगी आदित्यनाथ के कथन को सही साबित कर रहे हैं. हमें ना राजनीति को सही साबित करना है, ना किसी धर्म को बल्कि सामूहिक रूप से इंसानियत को सही साबित करना है.