बोलने की स्वतंत्रता व संविधान में दिए गए सभी अधिकारों को समाप्त करते हुए सत्ता का केन्द्रीयकरण प्रधानमंत्री के हाथ में कर दिया और देश में तानाशाही लागू हो गई, तब आजाद भारत में जब पुलिस की गाड़ी आती है, एक एम्बुलेंस आती है और राह चलते किसी भी पुरुष या महिला को अस्पताल ले जाकर उसकी नसबंदी अथवा नलबंदी कर दी जाती है..!!
25 जून, 1975 आजाद भारत का वह मनहूस दिन था, जिस दिन तात्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपनी गद्दी को बचाने के लिए देश में आपातकाल ठोक दिया था । पूरे देश को जेल की काल कोठरी के रूप में तबदील कर दिया, अखबारों पर, मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। बोलने की स्वतंत्रता व संविधान में दिए गए सभी अधिकारों को समाप्त करते हुए सत्ता का केन्द्रीयकरण प्रधानमंत्री के हाथ में कर दिया और देश में तानाशाही लागू हो गई। तब आजाद भारत में जब पुलिस की गाड़ी आती है, एक एम्बुलेंस आती है और राह चलते किसी भी पुरुष या महिला को अस्पताल ले जाकर उसकी नसबंदी अथवा नलबंदी कर दी जाती है।
गांव के चौराहे पर पुलिस की गाडिय़ां आती , बस लगाई जाती है और जितने भी जवान, बुजुर्ग, महिला, पुरुष वहां दिखते हैं, सबको बसों में भरा जाता है और नसबंदी के कैम्प में ले जाकर सबकी नसबंदी अथवा नलबंदी कर दी जाती है। इससे भी बढक़र जरा सोचकर देखें कि नव विवाहित पुरुष अथवा नव विवाहिता की नसबंदी अथवा नलबंदी की गई ।यह कोई कहानी नहीं है बल्कि आपातकाल में श्रीमती इंदिरा गांधी के राज में यह हर गांव, हर घर की कहानी बन गई थी और पुलिस की गाड़ी गांव में आते ही देखकर लोग खेतों में, पहाड़ों में, जंगलों में भाग जाया करते थे कि कहीं उनका ऑपरेशन न हो जाए।
इस प्रकार की दहशत, इस प्रकार का अमानवीय कृत्य, ये आजाद भारत में 19 महीने तक हुआ। तब आप किसी सरकारी कार्यालय में गए हैं और आपने आपातकाल की कोई चर्चा भी कर डाली तो रात होने से पहले आप जेल की सलाखों के पीछे , ये थी तानाशाही की पराकाष्ठा। प्रेस पर प्रतिबंध लगने के कारण हमने निर्णय लिया साईकलो स्टाईल मशीन द्वारा अखबार छापने का। बहुत बड़ा खतरा मोल लेते हुए तीन महीने तक अखबार भी निकाला। जो कांग्रेस पार्टी आज संविधान के रक्षक बनने का ढोंग रच रही है, उसने आजाद भारत में संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए 24 जून की अद्र्धरात्रि में राष्ट्रपति महोदय के दस्तखत करवाकर आपातकाल लगा दिया और लाखों लोगों को एक ही रात में जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया। इमरजेंसी केवल कांग्रेस की सरकार बनी रहे, बची रहे, इसलिए लगाई गई थी।
श्रीमती इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला देते हुए उन्हें प्रधानमंत्री के पद से अपदस्थ होने के आदेश दिए थे, लेकिन श्रीमती इंदिरा गांधी ने उन आदेशों को ताख पर रखते हुए देश में आपातकाल लगा दिया और सर्वशक्तिमान बन बैठी। श्रीमती इंदिरा गांधी ने उद्घोष करवाया ‘इंदिरा इज इंडिया, इंडिया इज इंदिरा’, अर्थात भारत केवल इंदिरा गांधी से है।, जिन्होंने अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए, वोटों को प्राप्त करने के लिए लगभग 88 बार संविधान में परिवर्तन किए
आपातकाल को हटाने के लिए पूरे देश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन किया, जेलें भरी, यातनाएं सही, तब जाकर 19 महीने बाद चुनाव की घोषणा हुई और भारत की जनता ने तानाशाही का अंत किया और लोकतंत्र की पुनस्र्थापना हुई।