गाजर घास से करे 'सोयाबीन /गेंहूं ' की खेती वो भी बिना जुताई ,बिना खाद ,बिना दवाई के


स्टोरी हाइलाइट्स

गाजर घास से करे 'सोयाबीन /गेंहूं ' की खेती वो भी बिना जुताई ,बिना खाद ,बिना दवाई के
आज क़ल जहाँ देखो वहां खेतों में गाजर घास दिखाई देती है. आम किसानो के लिए ये एक बड़ी दुःखदाई खरपतवार है. किन्तु बिना जुताई खाद और दवाई के होने वाली कुदरती खेती में ये वरदान है. इस के सहारे बरसात में सोयबीन,धान आदि की खेती आसानी से हो जाती है. ठण्ड में इस के सहारे गेंहूं की खेती बिना किसी खर्च के आसानी से हो जाती है. इसे करने  के लिए जमीन जुताई बिलकुल जरुरी नहीं है नहीं इस में किसी भी प्रकार के मानव निर्मित खाद की जरुरत है. कीट और खरपतवार नाशक उपाय इस में गैर जरुरी हैं. कोई भी टोनिक या गाय के गोबर और गो मूत्र की इस में जरुरत नहीं है.




जरुरत है बस गाजर घास से अच्छी तरह भूमि का ढकाव जिस को पैदा करने के लिए कुछ करना नहीं होता वरन उसे हटाने के प्रयासों को रोकना पड़ता है. तक जब तक गेंहूं बोने का समय नहीं हो जाता गाजर घास को बचाने की जरुरत है जब गेंहूं बोने का समय हो जाये इसके ढकाव में ४० किलो प्रति एकड़ के हिसाब से गेंहूं के बीजो का छिडकाव कर दीजिये. बीज अच्छी नस्ल के अच्छे होने चाहिए. जैसे बीज होंगे वैसी फसल मिलेगी | इस के बाद हासिये, तलवार या घास काटने की मशीन से गाजर घास को काट कर जहाँ का तहां फेला दीजिये.पर्याप्त  नमी नहीं होने की स्थिति में सिचाई कर दीजिये| वोए हुए गेंहूं की फसल बड़ी होक काटे हुए गाजर घास से ऊपर आ जाएगी |

आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहिये. ऐसा करने से पहले साल में ही आधा टन से लेकर एक टन गेंहूं की पैदावार आधा एकड़ मिल जायेगी | जो आस पास के सबसे अच्छे खेतों की पैदावार  से किसी भी तुलना में कम नहीं रहती है.| इस खेती से किसानो को  एक और जहाँ ८०% लागत कम आती है वही ५०% प्रतिशत पानी कम लगता है.| ये अनाज कुदरती अनाज कहलाता है जिस की बाजार में कीमत रासायनिक गेंहू की तुलना में कई गुना अधिक है और ये गेहूं फायेदे मंद भी रहता है |