ज़िन्दगी मुश्किल है कितनी, यह किसी मुफलिस से पूछो - Dinesh Malaviya "Ashk"


स्टोरी हाइलाइट्स

ज़िन्दगी मुश्किल है कितनी, यह किसी मुफलिस से पूछोज़िल्लतें दुनिया मे कितनी, साहिबे-दानिश से पूछो।

ज़िन्दगी मुश्किल है कितनी, यह किसी मुफलिस से पूछो ज़िल्लतें दुनिया मे कितनी, साहिबे-दानिश से पूछो। क्या अजब तुम आदमी हो, ढूँढते ख़ुद मे नहीं हो क्यों भला अपना पता ही रात-दिन इस उससे पूछो। खप गयीं पीढ़ी की पीढ़ी, जायज़ादें मिट गयी हैं क्या मिला उनको, कभी कुछ भी भला रंजिश से,पूछो। एक-सी सबकी कहानी, लफ्ज़ और क़िरदार बदले दास्तानें दुख भरी सबकी रहीं , किस किस से पूछो। खो गया बचपन कहाँ, क्यों लुप्त यौवन हो गया है कौन बतला पायेगा, जाकर भला यह किससे पूछो।