स्टोरी हाइलाइट्स
ज़िन्दगी मुश्किल है कितनी, यह किसी मुफलिस से पूछोज़िल्लतें दुनिया मे कितनी, साहिबे-दानिश से पूछो।
ज़िन्दगी मुश्किल है कितनी, यह किसी मुफलिस से पूछो
ज़िल्लतें दुनिया मे कितनी, साहिबे-दानिश से पूछो।
क्या अजब तुम आदमी हो, ढूँढते ख़ुद मे नहीं हो
क्यों भला अपना पता ही रात-दिन इस उससे पूछो।
खप गयीं पीढ़ी की पीढ़ी, जायज़ादें मिट गयी हैं
क्या मिला उनको, कभी कुछ भी भला रंजिश से,पूछो।
एक-सी सबकी कहानी, लफ्ज़ और क़िरदार बदले
दास्तानें दुख भरी सबकी रहीं , किस किस से पूछो।
खो गया बचपन कहाँ, क्यों लुप्त यौवन हो गया है
कौन बतला पायेगा, जाकर भला यह किससे पूछो।