वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार महेन्द्र गगन नहीं रहे


स्टोरी हाइलाइट्स

महेन्द्र गगन पेशे से पत्रकार हैं, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ-साथ कविताएं भी लिखते हैं। ‘मिट्टी जो कम पड़ गयी’ पहला कविता संग्रह..

वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार महेन्द्र गगन नहीं रहे कोरोना महामारी से बचने कविता लिखी अपने घर में रहो और स्वयं कोरोना से बच नहीं पाए। भोपाल। भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार महेन्द्र गगन का आज सुबह पीपुल्स अस्पताल में निधन हो गया। वे कोरोना संक्रमित थे। महेन्द्र गगन पेशे से पत्रकार हैं, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ-साथ कविताएं भी लिखते हैं। ‘मिट्टी जो कम पड़ गयी’ पहला कविता संग्रह है जिसका प्रकाशन 2003 में हुआ, उसके बाद 2013 में ‘तुमने छुआ’ कविता संग्रह प्रकाशित हुई। https://twitter.com/ChouhanShivraj/status/1387280432111112193?s=20 उन्होंने एक कविता कोरोना जैसी महामारी के बचने लिखी थी, लेकिन वे खुद इस वायरस से नहीं बच सके। उनकी लिखी कविता - अपने घर में रहो इधर उधर न रहो न किसी सफ़र में रहो वक़्त का तकाज़ा है अपने घर में रहो गुनाह उनके हैं पर हम तक न आ जाए कहीं उनसे मुझ तक, मुझमें तुम तक तुमसे सबमें न फैल जाए कहीं डर इसी बात का तो है इसी बात के डर में तुम रहो वक़्त का तकाज़ा है अपने घर में रहो अब हमें मेलजोल नहीं दूरियां बचाएंगी सावधानियां अपनी नये रास्ते सुझाएंगी यही तो चाहते हैं वो हरदम किसी फिकर में रहो वक़्ता ताकाज़ा है अपने घर में रहो ये उनके मन की बात नहीं सबके जीवन की बात है कल सुबह ज़रूर होगी आज ये कावी रात है तुम अपने चाहने वालों की बस नज़र में रहो वक़्त का तकाज़ा है अपने घर में रहो