-मोटापा और EMOTIONS
-मोटापा महामारी की तरह बढ़ता जा रहा है । यह अनेको रोगो की जड़ है ।
-यह माना जाता है कि मोटापा चर्बी बढ़ने के कारण होता है तथा और भी कई कारण बताए जाते हैं । यह भी सच है ।
-परन्तु मोटापे का मूल कारण है भय ।
-हरेक व्यक्ति में कोई न कोई सूक्ष्म भय है ।
-हम सभी मकान बनाते है और उस पर ताला लगाते है ताकि हमारे घर की सब चीजे सुरक्षित रहें कहीँ हमारी चीजे चोरी न हो जाए ।
-राजा लोग दुश्मनों के डर से अपने किले के चारो तरफ ऊंची ऊंची दीवारे बनाते थे या खाईयां बनाते थे ।
-देश को खतरों से बचाने के लिये प्रत्येक देश अपनी सेना रखता है । सेना अपने पास शक्तिशाली हथियार रखती है ।
-अपने देश की रक्षा के भय के कारण ऐटम वोम्ब बनाए जा रहें है ।
- हम सभी लोग बन्दरो, जानवरो या और किसी प्रकार के आक्रमण के भय के कारण अपने घर पर लाठी डंडे या छोटे मौटे हथियार रखते है ।
-जब हमें कोई सूक्ष्म भय होता है प्रकृति हमें उससे बचाने के लिये मोटापा ला देती है ।
-भय या असुरक्षा आप के मन में है तो आप का वजन नियंत्रित नहीं हो सकता ।
-उदासीनता भी वजन बढाने में मददगार है ।
-जो लोग किन्ही कारणो से अपने शरीर से घृणा करते है उनका भी वजन बढ़ता है ।
-परिवार में कलह या तनाव के चलते डाईनिग टेबल पर टेंशन बना रहे तो मोटापा बढ़ता है ।
-शरीर के लिये भोजन जरूरी है वैसे ही भावनात्मक स्नेह और प्रेम मन के लिये जरूरी है ।
-संबंधो में आघात, प्रियजन की मौत, पति से उपेक्षा, दफ्तर में तनाव से भी कुंठा बढ़ती है । जिससे वजन अनियंत्रित होता है ।
-जिंदगी आप की अपनी है । इसकी देखभाल आप को ही करनी है ।
-ऐसे तमाम कर्म करें जिनसे आनंद मिले जैसे नृत्य, शारीरिक व्यायाम, स्वीमिंग पूल में तैरना ।
-साकारात्मक भावनाए रखें वजन अपने आप घट जाएगा ।
-प्रेम, आभार, अपनत्व से हमारे शरीर की कोशिकाएं शिथिल व शांत होती हैं जिससे वजन नहीं बढ़ता ।
-अगर हम भगवान के प्रेम स्वरूप को याद करते हैं तो डी.एन .ए .की ऐंठन कम होती है ।
-गुस्सा, ईर्ष्या, बैर, बदले के भाव हमारे डी .एन .ए . की दीवारे कठोर बनाती है । जिससे तनाव बढ़ता है । शरीर की प्रतिरोधी क्षमता कम होती है । यही कारण है कि मोटापा बढने लगता है ।
-मन और शरीर दोनो जुड़े हुए है और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं । जरा सा भी मन में असुरक्षा और भय होगा तो शरीर पर मोटापा आने लगेगा ।
-सभी नकारात्मक घटनाओ में कोई न कोई साकारात्मक उद्देश्य हमारे लिये छिपा होता है हमें उसे पहचानना है ।
-प्यार सभी प्रकार के भयों से मुक्त कर देता है ।
-इसलिए भगवान के गुण प्यार के सागर को मन में बसा लेना चाहिए ।
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