एसडीओ पंद्रे के तबादले से रेत माफियाओं के हौसले होंगे बुलंद: गणेश पाण्डेय 


स्टोरी हाइलाइट्स

एसडीओ पंद्रे के तबादले से रेत माफियाओं के हौसले होंगे बुलंद: गणेश पाण्डेय  रेत माफियाओं के दबाव में एसडीओ श्रद्धा पंद्रे का राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण देवरी....

एपीसीसीएफ अपने लिखा डीजी फॉरेस्ट को पत्र गणेश पाण्डेय भोपाल. रेत माफियाओं के दबाव में एसडीओ श्रद्धा पंद्रे का राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण देवरी से हुए तबादले को लेकर सवाल उठने लगे हैं. यह सवाल किसी और ने ही नहीं, बल्कि ग्वालियर सर्किल में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शशि मलिक ने उठाया है. मलिक ने जंगल महकमे के प्रमुख डीजी फॉरेस्ट आरके गुप्ता को लिखे पत्र में कहा है कि पंद्रे के स्थानांतरण से रेत माफियाओं के हौसले बुलंद होंगे, जोकि चंबल अभ्यारण में पाए जाने वाले घड़ियाल मगरमच्छ और डॉल्फिन जैसी जलीय जीवों की प्रजाति के लिए अत्यंत प्रतिकूल होगा. एपीसीसीएफ मलिक ने अपने पत्र में लिखा है कि यदि अच्छे कार्य करने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों को इस प्रकार का पारितोषिक मिलेगा तो हम पर्यावरण संरक्षण का कार्य किस प्रकार कर पाएंगे. वन कर्मियों द्वारा रेत माफिया के विरुद्ध लगातार कार्रवाई न करने से वन विभाग द्वारा अपनी पकड़ मजबूत बना ली गई थी परंतु श्रीमती श्रद्धा पंद्रे का इस प्रकार स्थानांतरण होने से एक प्रतिकूल संदेश जाएगा. जो कि उचित नहीं कहा जा सकता है. विभाग में केवल कुछ ही कर्मचारी अधिकारी हैं जो अपनी संपूर्ण निष्ठा से वन एवं पर्यावरण संरक्षण का कार्य करते हैं. यदि इस प्रकार अच्छे कार्य करने के बदले में इस प्रकार से दंडात्मक कार्रवाई की जाती है तो हम किसी भी प्रकार से वनों एवं वन्य जीवों का संरक्षण नहीं कर पाएंगे. [caption id="attachment_71793" align="aligncenter" width="800"] श्रद्धा पंद्रे[/caption] पंद्रे का स्थानांतरण निरस्त करें एपीसीसीएफ मलिक ने अपने पत्र में श्रीमती श्रद्धा पंद्रे के स्थानांतरण को निरस्त करने का आग्रह किया है. पंद्रे की उपलब्धियों का बखान करते हुए मलिक ने लिखा है कि 3 महीने 2 दिन में अवैध रेत के 40 ट्रैक्टर ट्राली, पांच ट्रक, एक स्कॉर्पियो, साथ मोटर साइकिलें, दो पिकअप वाहन लकड़ी सहित, दो ट्रक पत्थर सहित, दो ट्रैक्टर ट्राली लकड़ी सहित जब किए हैं, जिन्हें राजसात कार्यवाही में लिया गया है. इसके अतिरिक्त चंबल से परिवहन कर लाई गई डम पर एक को नष्ट किया गया है. माफियाओं के खिलाफ मलिक स्वयं भी लड़ते रहे अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक शशि मलिक भी माफियाओं के खिलाफ लड़ते-झगड़ते रहे हैं. सितंबर 2001 से जुलाई 2002 तक मलिक बुरहानपुर के डीएफओ रहे. तब उन्होंने अतिक्रमण माफिया के खिलाफ लगातार संघर्ष करते रहे. माफिया से पंगा लेने पर उन्हें राजनीतिक दबाव से स्थानांतरण कर बड़वाह पदस्थ किया गया. तबादले से ना झुके ना रुके. मलिक ने बड़वाह में तत्कालीन स्वर्गीय उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव के खास सिपहसालार कुलदीप भाटिया और डोलारी बाबा के चंगुल से 126 हेक्टेयर वन भूमि मुक्त कराई. इस कार्रवाई के बाद फिर मलिक का तबादला हुआ इसके बाद मलिक नोरादेही सेंचुरी , नार्थ सागर होते हुए खंडवा वन संरक्षक पद पर पदस्थ किए गए. बार-बार स्थानांतरण के बाद भी माफियाओं के खिलाफ उनके लड़ने का जज्बा कम नहीं हुआ. 2009-10 में खंडवा पदस्थ होते ही पत्थर के अवैध उत्खनन एवं परिवहन और अतिक्रमण माफिया के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई की. इस कार्रवाई की जद में भाजपा के दिग्गज नेता भी आ गए थे. नेताओं के दबाव में फिर हटाए गए थे. Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये Newspuran से।