Corona से लड़ने का Vibration बढ़ाने वाला विज्ञान | Corona & Quantum Mechanics | Newspuran


स्टोरी हाइलाइट्स

Corona से लड़ने का Vibration बढ़ाने वाला विज्ञान | Corona & Quantum Mechanics | Newspuran https://www.youtube.com/watch?v=BFjVv5nIp5c&t=13s क्वांटम मेकेनिक्स में मौजूद है कोरोना का समाधान कोरोना से लड़ने का Vibration बढ़ाने वाला विज्ञान अतुल विनोद मानव जीवन का उसकी वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी से बेहद गहरा ताल्लुक है। हर एक पिंड की एक बाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी होती है। क्वांटम फिज़िक्स हमे इस वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी के आधार पर कोरोनावायरस से लड़ने का फार्मूला देती है। तो आईये जानते हैं क्वांटम मेकेनिक्स के पास कोरोना से लड़ने का क्या फार्मूला है? इस ब्रम्हांड में मौजूद हर एक अस्तित्व का निर्माण निश्चित कंपन आवृत्ति से होता है जिसे वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी कहा जाता है। यह सिद्धांत बताता है कि धरती पर मौजूद छोटे से छोटे कण, वायरस या बैक्टीरिया की भी एक वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी जरूर होनी चाहिए । ज़ाहिर है कोरोना वायरस की भी एक निश्चित वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी होती है। यदि वायरस की वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी मनुष्य की वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी से अधिक होगी वायरस मनुष्य को नुकसान पहुंचाएगा। लेकिन यदि वायरस की वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी मनुष्य की वाइब्रेशनल से कम होगी तो वह मनुष्य के सामने टिक नही पायेगा। इसी तरह से हमारे आसपास के स्थान हैं। जिस स्थान की वाइब्रेशनल फ्रीक्वेंसी अधिक होगी उस स्थान पर वायरस कमजोर पड़ जाएग। और जिस स्थान की वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी वायरस से कम होगी वहां वायरस लंबे समय तक जीवित रहेगा । क्वांटम मैकेनिक्स के मुताबिक कोरोनावायरस की रेजोनेंट फ्रीक्वेन्सी 5.5 Hz to 14.5 Hz है। इससे अधिक रेंज की मौजूदगी मेंं यह वायरस मर जायेगा। जिस व्यक्ति की वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी स्वाभाविक रूप से अधिक है वह व्यक्ति कोरोनावायरस से ज्यादा प्रभावित नहीं हो सकता। कोरोना वायरस उसके शरीर में प्रवेश कर भी गया तो ज्यादा से ज्यादा श्वास नली में इंफेक्शन क्रिएट करेगा और अपने आप ही खत्म हो जाएगा। जिन लोगों की आत्मा उच्च स्तर पर है उसकी वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी स्वाभाविक रूप से हाई होगी। लेकिन दुर्भाग्य है कि समाज में रहने वाले लोग कमजोर आत्मशक्ति के चलते लोअर वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी पर जीते हैं। जिसके कारण उन्हें कोरोनावायरस का संक्रमण मृत्यु के कगार तक ले जाता है। कम वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी के कई कारण होते हैं जैसे कमजोरी, थकान, मानसिक परेशानियां डर बीमारियां तनाव । फिलहाल धरती की औषत वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी 27.4 Hz है। सवाल ये है कि फिर वायरस कैसे ज़िंदा है। दरअसल पृथ्वी पर ऐसे स्थान है जहां पर वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी काफी कम है जिसके कारण यह वायरस जिंदा है। अस्पताल, जेल, बिजली लाइन, मेट्रो, सार्वजनिक वाहन, शॉपिंग सेंटर, कार्यालय, आदि ऐसे स्थान हैं जहां के Vibrations less than 20 Hz. हैं। आप अपने वाइब्रेशन को किस तरह घटाया बढ़ा सकते हैं यह आप ऐसे समझें शोक, दुख से हमे 0.1 to 2 Hz फ्रीक्वेन्सी देता है। डर 0.2 to 2.2 Hz गुस्सा 0 to से 3.3 हर्ट्ज कृतज्ञता 140 हर्ट्ज और उससे अधिक एकता का भाव, संवेदना 144 हर्ट्ज दया करुणा से 150 हर्ट्ज और ऊपर साधारण प्रेम 50 हर्ट्ज • सबसे प्रेम 150 हर्ट्ज और उससे अधिक बिना शर्त के सार्वभौमिक प्यार, 205 हर्ट्ज और ऊपर जो व्यक्ति अपना Vibrations ऊंचा रखेगा वो धरती पर सरवाइव करेगा। तो आप समझ लें आपको कम फ्रेक्वेन्सी वाले कार्यों से दूर रहना है। अपने ऊपर काम करके हम अपने वाइब्रेशन को बढ़ा सकते हैं। हमें सबसे पहले अपनी आत्मा की शक्ति को बढ़ाना पड़ेगा।आत्मा को विकारों से मुक्त करना पड़ेगा। इसके बाद मन के स्तर पर, भावनाओं के स्तर पर, विचारों के स्तर पर काम करना पड़ेगा, हमें अच्छी सोच रखनी पड़ेगी, सब के प्रति प्रेम समभाव और प्रकृति से नजदीकी। अपने अंदर धैर्य पैदा करें। हर परिस्थिति के लिए खुद को सहज रखिए। मृत्यु निश्चित है। मौत तो होना ही है। उस से क्या डरना, अपने आप को प्रेम के स्तर पर ईश्वर से नजदीकी के स्तर पर, सबके प्रति समभाव के स्तर पर मानव मात्र के कल्याण के स्तर पर ऊंचा उठाएं। अपनी जीवनशैली को अच्छा रखिए, अच्छा और कम भोजन करिए, व्यायाम करिए, योग प्राणायाम और आध्यात्मिक साधना कीजिए। आप अपने आप को उच्च वाइब्रेशन फ्रीक्वेंसी के स्तर पर पाएंगे। #