नाचते हैं बस वही औरों की बीन पर, जिनको यकीन ही नहीं अपने यक़ीन पर। - दिनेश मालवीय "अश्क"


स्टोरी हाइलाइट्स

नाचते हैं बस वही औरों की बीन परजिनको यकीन ही नहीं अपने यक़ीन पर।ऐसे लोगों की भला किसने बड़ाई कीज्ञान को टाँके फिरे जो आस्तीन पर।

  नाचते हैं बस वही औरों की बीन पर जिनको यकीन ही नहीं अपने यक़ीन पर। ऐसे लोगों की भला किसने बड़ाई की ज्ञान को टाँके फिरे जो आस्तीन पर। राहबर फिलवक़्त घूमे आसमाऩों मे दिखिए कब आता है अब वो ज़मीन पर। खोये- खोये और गुमसुम आजकल क्यों हो मर मिटे हो क्या किसी तुम नाजनीन पर। तुम को मिल जाएगा ईश्वर एक ही पल मे कुछ दया करके तो देखो दीनहीन पर। कोई शायर कितना होगा कामयाब, यह होता है निर्भर बहुत कुछ सामईन पर।