शराबखोरी को बुद्धि भ्रष्ट करने वाला माना जाता है। पहले घूंट के तीस सेकंड बाद ही यह मस्तिष्क में खलबली मचाने लगती है। शराब मस्तिष्क की कोशिकाओं को संदेश भेजने वाले रसायनों की गति को धीमा कर देता है। मनोदशा बदल जाती है और सजगता कम हो जाती है। इसी के साथ शारीरिक संतुलन को कम कर देती है। अल्कोहल के कारण सोच-विचार की शक्ति और याददाश्त कमजोर हो जाती है।
सिकुड़ जाता है मस्तिष्क
लंबे समय तक भारी मात्रा में शराब पीने से मस्तिष्क की कोशिकाएं बदलना शुरू कर देती हैं और यहां तक कि वे सिकुड़कर छोटी हो जाती हैं। इसी वजह से सोचने, सीखने और याद रखने की क्षमता कम हो जाती है।
नींद भी हो जाती है खराब
शराब पीने वालों को यह भ्रम रहता है कि उन्हें बाद में भरपूर नींद आती है लेकिन यह सच नहीं है। नींद अटूट नहीं रहती है बल्कि जल्दी ही खुल जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर पूरी रात शराब के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता रहता है। शराबखोरी करने वालों की आंखों की रैंडम आई मूवमेंट यानी आरआईएम की क्वालिटी खराब हो जाती है। इसकी वजह से नींद पूरी नहीं होती है और न शरीर को रिकवर करने का समय मिल पाता है।
पेट में बनता है अधिक एसिड
शराब पेट (अमाशय) की अंदरूनी परत को क्षतिग्रस्त करती है क्योंकि इससे एसिड की अधिक मात्रा पेट में बन जाती है। पाचन रस के निर्माण के लिए जरूरी एसिड अल्कोहल के साथ मिलकर घातक हो जाता है। इसी की वजह से उल्टियां होती हैं। एसिड की अधिकता के कारण पेट में छाले (अल्सर) हो जाते हैं। पेट में खाया हुआ भोजन पच नहीं पाता है और पोषक तत्व शरीर को मिल नहीं पाते हैं।
दस्त और उल्टियां
छोटी आंत और बड़ी आंत के अतिरिक्त रूप से सक्रिय होने के कारण दस्त और उल्टियां बढ़ जाती हैं।
लिवर डिसीज
शरीर जितनी भी अल्कोहल की मात्रा पचाता है उस पूरी मात्रा को लिवर ब्रेक डाउन करता है। इस प्रक्रिया के दौरान बहुत अधिक मात्रा में विषैले तत्वों को भी हैंडल करता है। लंबे समय तक भारी मात्रा में शराबखोरी करने के कारण लिवर मोटा हो जाता है। लिवर सख्त होकर उसमें गठानें बनने लगती हैं। इसकी वजह से ब्लड फ्लो सीमित हो जाता है, जिससे लिवर सेल्स को जिंदा रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रक्त नहीं मिल पाता है। इसी वजह से वे धीरे-धीरे करके मरने लगते हैं। लिवर सेल्स के मरने के कारण लिवर में चीरे के निशान बनने लगते हैं। यही वह अवस्था है जब लिवर काम करना बंद कर देता है जिसे लिवर सिरोसिस नामक बीमारी कहते हैं।
क्यों आती है अधिक पेशाब
मस्तिष्क एक ऐसे हारमोन को रिलीज कर देता है जिससे किडनी अधिक मात्रा में पेशाब बनाने लगती है। जब अल्कोहल अपनी तीव्र प्रतिक्रिया करता है तो ब्रेन को पेशाब होल्ड नहीं 'करने का आदेश मिल जाता है जिसकी वजह से पूरी रात बहुत बार बाथरूम के चक्कर लगाना पड़ते हैं। इसका एक और पहलू यह भी है कि शरीर निर्जलीकरण का शिकार हो जाता है। किडनियां खराब होने के लिए यह परिस्थिति भी जिम्मेदार है।