इनसाइड स्टोरी: अशोक गहलोत के अरमानों पर कैसे फिरा पानी? 


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स्टोरी हाइलाइट्स

कांग्रेस अध्यक्ष के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहने के उनके अरमानों पर पानी कैसे फिरा अब इसकी परत खुलने लगी है..!

कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए बनी एक तस्वीर तो साफ़ हो गई। राहुल गांधी द्वारा 'एक व्यक्ति-एक पद' के फॉर्मूले को लेकर दिए सख्त बयान के बाद इतना तय हो गया है कि अशोक गहलोत को अब राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को छोड़ना पड़ेगा। हालांकि राजस्थान में उनका उत्तराधिकारी कौन होगा इस पर तस्वीर साफ़ नहीं है। 

इससे पहले अशोक गहलोत मुख्यमंत्री और अध्यक्ष दोनों पदों पर काम करने की मंशा पर आगे बढ़ रहे थे। इसमें वे सफल होते भी दिख रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहने के उनके अरमानों पर पानी कैसे फिरा अब इसकी परत खुलने लगी है। दरअसल मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने गहलोत की मंशा को भांप ऐनवक्त पर 'एक व्यक्ति-एक पद' के फॉर्मूले को उछाल दिया। 

दिग्विजय सिंह 'भारत जोड़ो यात्रा' से अचानक दिल्ली भी पहुंचे। हालांकि दिग्विजय अपनी दिल्ली यात्रा को भारत जोड़ो यात्रा के सन्दर्भ से जुड़ा ही बताते रहे लेकिन उनके दिल्ली पहुँचने भी अध्यक्ष चुनाव से जोड़कर ही देखा गया और उसके बाद हुए घटनाक्रम अशोक गहलोत की मंशा के पक्ष में नहीं रहे। 

दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता की ओर से 'एक व्यक्ति-एक पद' के राजनीतिक दांव को दरकिनार करना पार्टी के लिए आसान भी न था। कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी यही चाहती थीं कि पार्टी में 'एक व्यक्ति-एक पद' का सिद्धांत लागू रहे। अब राहुल गांधी ने भी दो टूक यह कह दिया कि 'एक व्यक्ति-एक पद' की अनदेखी नहीं की जा सकती। इस तरह दिग्विजय सिंह के दांव के बाद राहुल के बयान ने अशोक गहलोत के तेवर ठन्डे कर दिए। 

दिग्विजय सिंह के इस दांव से जहां सोनिया गांधी की मुश्किलें भी आसान हो गई हैं वहीं राजस्थान में सचिन पायलट के लिए रास्ते खुलते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के सामने अब भी राजस्थान में नए मुख्यमंत्री का नाम तय करना बड़ी चुनौती है। क्योंकि अशोक गहलोत अब तक सचिन पायलट को कमान देने के मूड में नज़र नहीं आ रहे हैं।