कैसे वशिष्ठ जी(Guru Vashishtha) सूर्य वंश के कुलगुरु बन गए


स्टोरी हाइलाइट्स

जब प्रभु को वनवास की आज्ञा हुई तब गुरु इच्छा से वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती पहली बार अयोध्या के राजमहल में आती है। गुरु वशिष्ठ...Guru Vashishtha

कैसे वशिष्ठ जी-Guru Vashishtha-सूर्य वंश के कुलगुरु बन गए
Guru Vashishtha

वशिष्ट(Guru Vashishtha) कैसे बने सूर्यवंश के कुलगुरु ? 

वाल्मीकि रामायण बताती है कि ब्रह्मा जी गुरु वशिष्ठ(Guru Vashishtha)  से प्रसन्न हो कर बोले,'ऋषिश्रेष्ठ आज से मैं आपको सूर्य वंश का कुलगुरु निर्धारित करता हूँ।'गुरु वशिष्ठ हाथ जोड़ कर बोले,'परमपिता मेरा मन राजाओं के मध्य नहीं लगता।'

ब्रह्मा जी फिर से बोले, 'ऋषिश्रेष्ठ स्वयं नारायण (श्रीराम) आपके शिष्य हो जायेंगे।' फिर तो वशिष्ठ जी की प्रसन्नता देखते ही बनती थी। वो हाथ जोड़ कर मंत्रमुग्ध से खड़े हो गए लेकिन अचानक उन्हें कुछ याद आया वो बोले,'लेकिन परमपिता जब नारायण मेरे शिष्य हो जायेंगे तब मेरा इष्ट कौन रहेगा !'_*

ब्रह्मा जी बोले- 'चिंता मत करिए, जब नारायण को अपना शिष्य बनाइयेगा तब नारायणी (सीता माता) को अपना इष्ट बना लीजियेगा।'

जब प्रभु को वनवास की आज्ञा हुई तब गुरु इच्छा से वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधती पहली बार अयोध्या के राजमहल में आती है। गुरु वशिष्ठ(Guru Vashishtha) , अरुंधती से कहते हैं कि 'आप रोज अपनी देवी का श्रृंगार करती हैं, उन्हें भोग देती हैं। आज मैं आपको प्रत्यक्ष रूप से नारायणी को दे रहा हूँ, कर लीजिये इनका श्रृंगार जितना करना चाहती हैं।'

अरुंधती अनन्य प्रेम से आंसू बहाती हुई एक आभूषण सीता जी को पहनाती और एक त्याग दे रही थीं। थोड़ी देर बाद गुरु बोल ही उठे 'आप एक आभूषण ही क्यूँ पहना रही हैं।'अरुंधती बोली, 'बचे हुए आभूषण मेरी बहन अनुसुइया इन्हें वनवास के दौरान पहना देगी। जब मुझ अज्ञानी को आपकी वजह से इतना सौभाग्य मिला तो उस भक्त को अपनी तपस्या के फल को पाकर कितना आनंद मिलेगा ये सोच के ही मेरे आंसू नहीं रुक रहे।'
Latest Hindi News के लिए जुड़े रहिये News Puran से.
पंकज पाराशर