कोरोना वायरस से निपटने का क्या यही एक उपाय है?क्या होता है लॉकडाउन?


स्टोरी हाइलाइट्स

कोरोना वायरस के ख़तरे को देखते हुए भारत के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लॉकडाउन कर दिया गया है. इन राज्यों के 548 ज़िलों में लॉकडाउन का आदेश.....

कोरोना वायरस से निपटने का क्या यही एक उपाय है?क्या होता है लॉकडाउन? कोरोना वायरस के ख़तरे को देखते हुए भारत के 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लॉकडाउन कर दिया गया है. इन राज्यों के 548 ज़िलों में लॉकडाउन का आदेश दिया गया है. वहीं, पंजाब और महाराष्ट्र में लॉकडाउन. इससे पहले दिल्ली में लॉकडाउन के तहत लोगों को सख़्त नियमों का पालन करने के आदेश दिए गए थे. सरकार का कहना है कि लॉकडाउन की मदद से सोशल डिस्टेंसिंग में मदद मिलेगी. लोग अपने घरों में रहेंगे और वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकेगा. लेकिन, लॉकडाउन के दौरान भी देखा गया कि कई लोग बाहर निकले और सड़कों पर घूमते हुए दिखे. इस दौरान लॉकडाउन को लेकर लोगों में उलझन देखी जा रही है. लॉकडाउन क्योंकि एक नई प्रक्रिया है तो उसके नियम समझने में परेशान आ रही है. क्या होता है लॉकडाउन? लॉकडाउन को महामारी अधिनियम 1897 के तहत लागू किया जाता है. ये अधिनियम पूरे भारत पर लागू होता है. इस अधिनियम का इस्तेमाल किसी विकराल समस्या के दौरान होता है. जब केंद्र या राज्य सरकार को ये विश्वास हो जाए कि कोई संकट या बीमारी देश या राज्य में आ चुकी है और सभी नागरिकों तक पहुंच रही है तो देश व राज्य दोनों इस अधिनियम को लागू कर सकते हैं. इस अधिनियम की धारा 2 राज्य सरकार को कुछ शक्तियां प्रदान करती है. इसके तहत केंद्र और राज्य सरकारें बीमारी की रोकथाम के लिए अस्थायी नियम बना सकती हैं. सरकारें ऐसे सभी नियम बना सकती हैं जो बीमारी की रोकथाम में कारगर साबित हो सकती हैं. इसी नियम के तहत सभी राज्यों में लॉकडाउन का आदेश दिया गया है. - लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश होता है. इसे किसी आपदा के समय सरकारी तौर पर लागू किया जाता है. इसमें लोगों से घर में रहने का आह्वान और अनुरोध किया जाता है. इसमें ज़रूरी सेवाओं के अलावा सारी सेवाएं बंद कर दी जाती हैं. दफ़्तर, दुकानें, फ़ैक्टरियाँ और परिवहन सुविधा सब बंद कर दी जाती है. जहां संभव हो वहां कर्मचारियों से घर से काम करने के लिए कहा जाता है. - लॉकडाउन में सज़ा का प्रावधान होना ज़रूरी नहीं है.. अगर लोग इसमें बाहर निकलते हैं तो पुलिस सिर्फ़ उन्हें समझाकर वापस भेज सकती है. उन्हें जेल या जुर्मान नहीं हो सकता. हालांकि, सरकार लॉकडाउन में भी सख़्ती कर सकती है. उत्तर प्रदेश प्रशासन ने ये कहा है कि लॉकडाउन के अंतर्गत कोई बाहर आता है तो छह महीने की सज़ा या जुर्मान लगाया जा सकता है. - क़ानूनी पहलुओं पर जाएं तो कर्फ़्यू एक स्थापित प्रक्रिया रही है और प्रशासन के पास इसे लागू करने का अनुभव भी रहा है. लेकिन, लॉकडाउन एक नया प्रयोग है इसलिए व्यावहारिकता में कुछ नई बातें सामने आ रही हैं. - वर्तमान समय में लॉकडाउन में ज़रूरी सेवाओं जैसे पुलिस, अग्निशमन, मेडिकल, पैरामेडिकल, मीडिया, डिलिवरी, पेट्रोल पंप, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, बस स्टैंड, सुरक्षा सेवाएं, पोस्टल सेवाएं, टेलिकॉम एवं इंटरनेट सेवाएं, बैंक, एटीएम, पानी, बिजली, नगर निगम, ग्रॉसरी और दूध आदि सेवाओं को लॉकडाउन से छूट दी गई है. इनसे जुड़े लोग और वाहन बाहर जा सकते हैं.