कामदा एकादशी के व्रत से पूरी होती हैं कामना, परेशानियां भी होती हैं दूर
कामदा एकादशी का उल्लेख विष्णु पुराण में किया गया है। कामदा एकादशी को समस्त सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए बेहद खास माना गया है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है। इस बार ये एकादशी व्रत चैत्र शुक्ल एकादशी 4 अप्रैल को पड़ रही है। मनुष्य कामदा एकादशी का व्रत जिस कामना के साथ करता है उसकी पूर्ति होती है। साथ ही पारिवारिक जीवन से संबंधित समस्याओं का स्वतः समाधान हो जाता है।
पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
व्रत के एक दिन पहले एक बार भोजन करके भगवान का स्मरण किया जाता है।
कामदा एकादशी व्रत के दिन स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में फल, फूल, दूध, तिल और पंचामृत आदि सामग्री का प्रयोग करना चाहिए।
एकादशी व्रत की कथा सुनने का भी विशेष महत्व है।
द्वादशी के दिन ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
कामदा एकादशी का महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कामदा एकादशी व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है।
यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोवांछित फल देने वाली होने के कारण फलदा और कामना पूर्ण करने वाली होने से कामदा कही जाती है।
इस एकादशी की कथा व महत्व भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।
इससे पूर्व राजा दिलीप को यह महत्व वशिष्ठ मुनि ने बताया था।
चैत्र मास में भारतीय नव संवत्सर की शुरुआत होने के कारण यह एकादशी अन्य महीनों की अपेक्षा और अधिक खास महत्व रखती है। शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य कामदा एकादशी का व्रत करता है वह प्रेत- आत्मा की योनि से मुक्ति पाता है।