प्रमेह रोग की घरेलू चिकित्सा


स्टोरी हाइलाइट्स

चित्रकमूल को जल में देर तक उबालकर क्वाथ बनाएं।इस क्वाथ को छानकर मधु मिलाकर पीने से प्रमेह रोग का प्रकोप कम होता है।देवदार, दारूहल्दी

  प्रमेह रोग क्या होता है ? : prameh rog kya hota hai यह रोग वात-पित्त और कफ के दूषित हो जाने के फलस्वरूप उत्पन्न होता है । इसमें मूत्र के साथ एक प्रकार का गाढ़ा-पतला विभिन्न रंगों का स्राव निकलता है । इस रोग की यदि उचित चिकित्सा व्यवस्था न की जाये तो रोगी कुछ ही समय में हड्डियों का ढाँचा बन जाता है । प्रमेह रोग के लक्षण : prameh rog ke lakshan समस्त प्रकार के प्रमेह रोगों में पेशाब अधिक होना तथा पेशाब गन्दला होना रोग का प्रमुख लक्षण होता है। पेशाब के साथ या पेशाब त्याग के पूर्व अथवा बाद में वीर्यस्राव होना ही प्रमेह है। प्रमेह रोग की घरेलू चिकित्सा में घर में प्रयुक्त किए जाने वाले मसालों आदि का उपयोग किया जाता है। आप भी घर बैठे इस चिकित्सा द्वारा प्रमेह रोग निवारण कर सकते हैं। प्रमेह रोग की कुछ प्रमुख घरेलू चिकित्सा के नुस्खे प्रस्तुत किए जा रहे हैं।प्रमेह रोग की घरेलू चिकित्सा मधुमेह रोग की तरह कर सकते हैं।मेथी की सब्जी प्रमेह रोग में बहुत लाभ पहुंचाती है। मेथी के बीज रात को जल में डालकर रख दें। सुबह उठकर बीजों को थोड़ा-सा मसल-छानकर उस जल को प्रतिदिन पीने से प्रमेह रोग का प्रकोप कम होता है। मेथी के बीजों का चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करने से भी प्रमेह रोग में बहुत लाभ होता है।प्रमेह रोग में प्रतिदिन जामुन खाने से बहुत लाभ होता है।वर्षा ऋतु में जामुन बहुतायत से मिलती है। जब जामुन नहीं होती तब जामुन की गुठलियों का 3 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करना चाहिए।नीम के ताजे-कोमल पत्तों का 10 ग्राम रस मधु में मिलाकर सेवन करने से प्रमेह रोग नष्ट होता है। चित्रकमूल को जल में देर तक उबालकर क्वाथ बनाएं।इस क्वाथ को छानकर मधु मिलाकर पीने से प्रमेह रोग का प्रकोप कम होता है। देवदार, दारूहल्दी, त्रिफला और नागरमोथा का क्वाथ बनाकर प्रतिदिन दो बार सेवन करने से प्रमेह रोग का निवारण होता कच्ची हल्दी का 5 ग्राम रस नित्य पीने से प्रमेह रोग नष्ट होता है। प्रतिदिन आंवले का 10 ग्राम रस मध में मिलाकर सेवन करने से प्रमेह रोग का प्रकोप कम होता है। कचनार के फूलों की कलियों को काटकर खांड के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग में बहुत लाभ होता है। कच्चे केले को सुखा-पीसकर चूर्ण बना लें। 2 ग्राम चूर्ण में थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर जल के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग नष्ट होता है। तुलसी की जड़ को सुखा-कूटकर चूर्ण बनाएं। 10 ग्राम चूर्ण रात को 250 ग्राम जल में डाल दें। सुबह जल को छानकर पीने से प्रमेह रोग नष्ट होता है। ग्वारपाठे के 10 ग्राम गूदे को घी में भूनकर थोड़ा-सा काली मिर्च का चर्ण और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से प्रमेह रोग का प्रकोप कम होता है। बबूल की पत्तियों (जिसमें बीज न बने हों) को छाया में सुखा-पीसकर चूर्ण बना लें। 1 ग्राम चूर्ण में बबूल का 8 ग्राम गोंद मिलाएं। प्रतिदिन 3-5 ग्राम चूर्ण का सेवन करके दूध पीने से प्रमेह रोग का निवारण होता है। बायबिड्ंग, सौंफ, गोखरू, मुलेठी और हल्दी को बराबर मात्रा में कूट पीसकर जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को छानकर उसमें मधु मिलाकर सेवन करने से प्रमेह रोग नष्ट होता है। भिंडी की सूखी जड़ को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रखें। प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण का सेवन करने और दूध पीने से प्रमेह रोग में बहुत लाभ होता है।शतावर का 10-20 ग्राम रस सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से सभी दोषों से उत्पन्न प्रमेह रोग नष्ट होते हैं। हरड़, बहेड़ा और आंवले का चूर्ण 10 ग्राम, हल्दी का चूर्ण 3 ग्राम और मधु-इन सबको मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से प्रमेह रोग नष्ट होता है।गोखरू, आंवला और गिलोय को बराबर मात्रा में लेकर कूट-पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। प्रतिदिन 6 ग्राम चूर्ण मधु के साथ चाटकर खाने से प्रमेह रोग का निवारण होता है।अश्वगंधारिष्ट 15-20 मि.ली. मैं समभाग जल मिलाकर भोजन के बाद दोनों समय सेवन करने से वातज प्रमेह में लाभ होता है। गिलोय के 10 ग्राम रस का सेवन थोडे से मध के साथ करने से प्रमेह रोग नष्ट हो जाता है।