भूख बढ़ाने, मोटापा कम करने वाला आसन उग्रासन (पश्चिमोत्तासन और ब्रह्मचर्यासन)


स्टोरी हाइलाइट्स

उग्रासन- एक उत्कृष्ट मुद्रा । संस्कृत में उग्र का अर्थ होता है-बलवान, ताकतवर, उत्कृष्ट, शक्तिशाली।..भूख बढ़ाने, मोटापा कम करने वाला आसन उग्रासन

भूख बढ़ाने, मोटापा कम करने वाला आसन उग्रासन (पश्चिमोत्तासन और ब्रह्मचर्यासन) उग्रासन- एक उत्कृष्ट मुद्रा। संस्कृत में उग्र का अर्थ होता है- बलवान, ताकतवर, उत्कृष्ट, शक्तिशाली। वैकल्पिक नाम- इसे पश्चिमोत्तासन और ब्रह्मचर्यासन के नाम से भी जाना जाता है।  ये भी पढ़ें....बद्धकोणासन या तितली आसन : एक आसन कई लाभ… पश्चिम का अर्थ, पीछे, बाद में, अंतिम या आखिरी होता है। अत: पश्चिमोत्तासन का अर्थ हुआ पीछे की ओर झुकने वाला आसन। जमीन पर छड़ी की भांति पैरों को ताने रखते हुए पैर के अंगूठे दोनों हाथों से पकड़े रहें, जबकि माथा जांघ को छू रहा हो। इसे पश्चिमोत्तासन कहते हैं। यह भूख बढ़ाने, मोटापा कम करने तथा प्राय: सभी बीमारियों में लाभप्रद है। विधि:- 1. फर्श पर बैठकर दोनों पैर सामने की ओर फैला लें। कमर, कंधे व गर्दन सीधी रखें। हथेलियों को जंघा पर रखकर गहरी सांस लें। 2. सांस बाहर छोड़ते हुए हाथों को धीरे-धीरे उपर जमीन के समानांतर उठाएं। 3. हाथों को सिर के ऊपर की ओर ले जाते हुए धीरे-धीरे सांस लें और हाथ सीधे ऊपर की ओर रखें। फिर धीरे-धीरे जितना संभव हो, हाथ उतने पीछे ले जाएं। गर्दन को पीछे घुमाते हुए हाथों को देखें। ये भी पढ़ें....योग के रहस्य: सिर्फ आसन ही नहीं है योग? योगावस्था क्या है? What is Yoga and what is the real meaning of Yoga? 4. सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए आगे झुकें और हाथों से दोनों पंजे पकड़ लें। सिर का घुटना के जितना समीप ला सकत हो, लाए और पर मुड़ने न द। 5. सांस छोड़ने तक इसी स्थिति में रहें। 6. सांस लेते हुए धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं। गुण:- उग्रासन यदि सम्यक रीति से किया जाए, तो रीढ़ की सारी हड्डियां और पीठ की सारी मांस-पेशियां खिंचती हैं और यह खिंचाव पीठ के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। एक सप्ताह के निरंतर प्रयास से आप बिना शक लाभ महसूस करेंगे। आमाशय पर पड़ने वाले दबाव एवं संकोचक के कारण से यह आसन रक्त संचार बढ़ाता है तथा आमाशयिक मांस-पेशियों को लाभ प्रदान करता है। इस आसन से अफारा और कब्ज से राहत मिलती है। इसमें जंघा और पिंडलियों की मांसपेशियों को पर्याप्त तनाव मिलने से पैरों की थकान, दर्द आदि से राहत मिलती है। ये भी पढ़ें....क्या आसन ही योग है ? योग का सही अर्थ क्या है? योग से क्या प्राप्त होता है? P अतुल विनोद समय इस आसन को 2-3 बार करें। हर आसन के बीच में कम से कम तीन बार गहरी सांस लें। आसन का अभ्यास हो जाने पर जब आपका माथा घुटने को छूने लगे, तब आप इसी आसन को निम्न बदलाव के साथ कर सकते हैं 1. पैरों को पकड़े हुए धीरे-धीरे कुहनियों को फर्श की तरफ लाएं। 2. पैरों को पकड़ने के बजाय हाथ की तर्जनी अंगुली और अंगूठे को मिलाकर उसके मध्य पैर का अंगूठा फंसाकर इस आसन को करें। 3. पैरों को पकड़ने की अपेक्षा दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर एड़ी के पीछे रखें। 4. कलाई को दूसरे हाथ से पकड़ें और माथे को घुटनों से नीचे ही टिकाएं। यह रीढ़ एवं निचले पृष्ठ की संपूर्ण तान की अवस्था है । ये भी पढ़ें.... आसन क्या है और आसन कितने प्रकार के होते हैं ?