बद्धकोणासन या तितली आसन : एक आसन कई लाभ...


स्टोरी हाइलाइट्स

इस आसन को बद्धकोणासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें पांव के दोनों तलवे जननांगों के पास, हाथों की मदद से जोर से पकड़कर,Baddhakonasana

बद्धकोणासन या तितली आसन : एक आसन कई लाभ.............. इस आसन को बद्धकोणासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें पांव के दोनों तलवे जननांगों के पास, हाथों की मदद से जोर से पकड़कर, एक विशेष कोण में साथ रखे जाते हैं। ये भी पढ़ें.....योग के रहस्य: सिर्फ आसन ही नहीं है योग? योगावस्था क्या है? What is Yoga and what is the real meaning of Yoga? आसन के लाभ:- जांघों, कटि प्रदेश और घुटनों का अच्छा खिंचाव होने से श्रोणि और कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है। लंबे समय तक खड़े रहने और चलने की वजह से होने वाली थकान को मिटाता है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा और रजोनिवृत्ति के लक्षण से आराम मिलता है। सावधानी:- यदि आप कटि प्रदेश या घुटने की चोट से पीड़ित हैं तो सहारे के लिए जांघों के नीचे कंबल अवश्य रखें। बिना कंबल इसे न करें। साइटिका के मरीज इसे बिल्कुल न करें या कूल्हों के नीचे गद्दी रखें। यदि पीठ के निचले हिस्से में तकलीफ है तो रीढ़ की हड्डी सीधी रखकर ही यह आसन करें। ये भी पढ़ें.....क्या आसन ही योग है ? योग का सही अर्थ क्या है? योग से क्या प्राप्त होता है? P अतुल विनोद विधि:- • पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं, रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। • घुटनों को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं, पांव के तलवे एक-दूसरे को छूते हुए हों। दोनों हाथों से अपने दोनों पांवों को कसकर पकड़ लें। सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं। इस बीच झुकें नहीं पीठ सीधी रखें। • एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें। • लंबी, गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घुटनों और जांघों को फर्श की ओर दबाएं। • तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें। धीरे-धीरे गति बढ़ाएं। ये भी पढ़ें.....आसन क्या है और आसन कितने प्रकार के होते हैं ? • गहरी सांस लेते रहें। • जितना संभव हो उतनी तेजी से प्रक्रिया को करें। लेकिन बिना शरीर पर दबाव डाले। फिर धीमा करते हुए रुकें, गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए आगे ही ओर झुकें, ठुड्डी उठी हुई, रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। • कोहनी से जांघों का घुटनों पर दबाव डालें जिससे घुटने और जांघ जमीन को छुए। • जांघों के अंदरुनी हिस्से में खिंचाव महसूस करें और लंबी गहरी सांस लेते रहें। मांसपेशियों को अधिक विश्राम दें। लंबी गहरी सांस लें और धड़ को ऊपर लाएं। • सांस छोड़ते धीरे से बाहर आएं, पैरों को सामने की ओर फैलाएं, विश्राम करें। ये भी पढ़ें.....सर्वांगासन-सर्वांगासन जैसाकि इसके नाम से ही पता चलता है की शरीर के सम्पूर्ण अंगों का आसन ही सर्वांगासन है| वृक्षासन:- विधि:- • हाथों को बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। • दाहिना घुटना मोड़ते हुए अपने दाहिने पंजे को बाईं जांघ पर रखें। आपके पैर का तलवा जांघ के ऊपर सीधा और ऊपरी हिस्से से सटा हुआ हो। • बाएं पैर को सीधा रख संतुलन बनाए रखें। ये भी पढ़ें.....आसन (YOGA) • संतुलन बनाने के बाद गहरी सांस अंदर लें, कृतज्ञतापूर्वक हाथों को सर के ऊपर ले जाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाएं। • बिल्कुल सामने की तरफ देखें, सीधी नजर सही संतुलन बनाने में अत्यंत सहायक है। • रीढ़ की हड्डी सीधी रहे। आपका पूरा शरीर रबर बैंड की तरह तना हुआ हो। • हर बार सांस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ते जाएं और विश्राम करें। • मुस्कुराते हुए शरीर और सांस के साथ रहें। • धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आएं। दाहिने पैर को सीधा करें। ये भी पढ़ें.....योग वास्तव में है क्या? क्या आसन ही योग है ?