सोने और चांदी की खदानों से भरा पड़ा है अफगानिस्तान..


स्टोरी हाइलाइट्स

तालिबान के राज में किसे मिलेगा यह खजाना? अफगानिस्तान की जमीन के नीचे दबी है अथाह खनिज संपदा। संपदा जिस पर दुनिया की नजर है। यहां पर सोना...

सोने और चांदी की खदानों से भरा पड़ा है अफगानिस्तान.. तालिबान के राज में किसे मिलेगा यह खजाना? अफगानिस्तान की जमीन के नीचे दबी है अथाह खनिज संपदा। संपदा जिस पर दुनिया की नजर है। यहां पर सोना, तांबा और लिथियम का अपार भंडार मौजूद है। आखिर तालिबान के देश पर कब्जे के बाद इस संपदा का हकदार कौन होगा? ये भी पढ़ें.. अफगानिस्तान की बच्चा बाजी प्रथा, इंसान को शर्मसार करने वाली प्रथा, रोंगटे खड़े करने वाली प्रथा| अमेरिका वापस गया तो तालिबान ने कब्जा जमा लिया। यहां की प्राकृतिक संपदा अभी भी यहां की मिट्टी के नीचे मौजूद है। अफगानिस्तान की पहाड़ियों में बॉक्साइट, तांबा, आयरन, गोल्ड, मार्बल जैसे कीमती खनिज मौजूद हैं। खदानों में पन्ना और माणिक भी मौजूद हैं। इनकी तस्करी होती रही है और यह पाकिस्तान जाते रहे हैं। खराब अर्थव्यवस्था से जूझ रहा तालिबान आखिर अपने देश के अंदर मौजूद खनिज संपदा को किसके हाथों में सौंपेगा? ये भी पढ़ें.. अफगानिस्तान से लौटे 78 लोग, गुरु ग्रंथ साहिब के तीन स्वरूप भी लाए गयें भारत.. अफगानिस्तान की घाटियों में 3 ट्रिलियन डॉलर का दुर्लभ धातुओं का भंडार मौजूद है। अफगानिस्तान के पास इनके खनन के लिए पैसा तकनीक और आधारभूत संरचना मौजूद नहीं है। भारत और चीन की दिलचस्पी इन खदानों में रही है। भारत ने 11 बिलियन डालर का निवेश का वादा किया। लेकिन तालिबान के कब्जे के बाद उसका कोई अर्थ नहीं रह गया। भारत वहां पर स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के जरिए मेटलर्जी प्लांट लगाने वाला था। अब सरकार बदल गई है तो भारत तो कुछ करने से रहा। चीन के तालिबान से सम्बंध बेहतर हैं लेकिन चीन भी यहां निवेश करने से बच भी सकता है। चीन काम शुरू कर सकता है लेकिन यह तभी होगा जब यहां की स्थिति सामान्य हो। अब देखना यह है कि यहां की खदानों पर कौन अधिकार जमा पाता है। ये भी पढ़ें.. अफगानिस्तान से भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी के भाई ने तालिबान का किया समर्थन..