बुन्देलखंडी पहेलियाँ-3
-दिनेश मालवीय
1. उठकें घींच मसकी
(लोटा)
2. बीस हांत को लोग, दो हात की लुगाई
लावरी नोई सांसी आय रामदुहाई
(मंदोदरी-रावण)
3. हाय-हाय हायरी, बरै तोरी कायरी
लरका है पेट में झालर है बयारी
(भुट्टा)
4. सुरका के नेंचें भरका ऊंमें पिडे बतीसक लरका
(दांत)
5. तनक सो लका लंयें गुटन, घर मस्के तो हेल जबान
(बिच्छू)
6. चलते जोगी चलते जाँय, नौ मन फूल बिखरते जाँय
(बकरी की लैंडी_
7. उठो जिजी मोय परन दो
तवा से उतरी रोटी)
8. रूख एक ऐसो वर्यानो, तरें सेत ऊपर हरयानो
(मूली)
9. डोर चली गई बैला रै गओ
(कुम्हड़ा)
10. पाँच पंडवा घने खजूर, तुम लौटो हम जैहें दूर.
(रोटी का कौर)
11. बीजा बकला भौमें सींगा मोटे मों में
(सीताफल)
12. हाथ की हथेली, चम्पे की कली
भरे दरियाव में पैरती चली.
(जलेबी)
13. लाल कुठरिया देवलन भरी
(लाल मिर्च)
14. अजगर ताल भुवन मछरी, भौ जरे पै पूंछ सपरी
(दीपक की बाती)
15. आई नदी भर्रात गई, चन्दन चौक पूरग गई
(चकिया)
16. एक नकारिया अंगुरा चार, दोई बगल में डारी फार
(कंघी)
17. कच्ची फूटे पकी बिकाय, गांव की गोरी ले-ले जाय.
(गगरी)
18. तनक सो सोनो सब घर नोनो
(दीपक)
19. ठाड़े हिन्ना खीस-खीस करें, अन्न खांय ने पानी पियें
(किवाड़)
20. ठाड़े जाय न बैठे जाय, गोडे उठा के सबरो जाय
(पजामा)
21. गैल चालत इक देखी वात, जोरे मरद नारी के हांत
(चिलम)
22. गैल चलात्त दो रांडें जाय, घेरा घूँसा करती जाय
(जूता)
23. एक लई दो मेंक दई
दातौन)
24. चार पावने चार लुचई, एक-एक के मों में दो-दो दई
चारपाई)
25. बड़ी बऊ नें जी करो, फार पै घी धरो