सूर्य(SUN) किरण(RAYS) चिकित्सा से संभव है दिव्य जीवन - दीर्घ जीवन


स्टोरी हाइलाइट्स

वृद्धावस्था के सम्बन्ध में मनुष्य की एक नहीं बल्कि दो आयु होती हैं- पहली शारीरिक और दूसरी मनोवैज्ञानिक। शारीरिक आयु तो एक समय सीमा के बाद ही.

सूर्य(SUN) किरण(RAYS) चिकित्सा से संभव है दिव्य जीवन - दीर्घ जीवन:
सूर्य(SUN) किरण(RAYS) चिकित्सा:-

वृद्धावस्था के सम्बन्ध में मनुष्य की एक नहीं बल्कि दो आयु होती हैं- पहली शारीरिक और दूसरी मनोवैज्ञानिक। शारीरिक आयु तो एक समय सीमा के बाद ही समाप्त होती है किन्तु मानसिकता में परिवर्तन आता रहता है। अनेक लोग जीवन में अनेक बार मानसिक तनाव के रूप में मरते-जीते रहते हैं। यही नहीं मन की स्थिति के अनुसार देह से अलग भी वृद्ध मनुष्य जवान होते रहते हैं।

संसार में न जाने कितने लोग देखे जा सकते हैं। जिनके शरीर में वृद्धावस्था का कोई लक्षण न होने पर भी वे मन से बूढ़े हो चुके होते है। वृद्धावस्था की तरह ही वह निराश हो जाने पर बेकारी के शिकार बने रहते हैं। उन्हें वृद्धावस्था के जीवन से उस प्रकार की कोई रुचि नहीं रह पाती जो एक युवावस्था में होनी चाहिए।

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जबकि इसके विपरीत अनेक ऐसे व्यक्तियों के रूप में पाए जा सकते हैं जो आयु से, चेहरे के बालों से तथा अन्य इन्द्रियों से वृद्धावस्था की सूचना देते हुए भी मन से बालकों की तरह प्रफुल्ल और नौजवानों की तरह रुचिपूर्ण बने रहते हैं।

सूर्य(SUN) किरण(RAYS) चिकित्सा:-

सूर्य(SUN) किरण(RAYS) और रंग चिकित्सा के माध्यम से सूर्य(SUN) तप्त हरी बोतल का तैयार पानी दिन में तीन समय सुबह का नाश्ता, दोपहर के भोजन, रात के भोजन से आधा घंटा पहले खाली पेट 100 से 200 ग्राम तक की मात्रा में हमेशा पीना चाहिए। सूर्य(SUN) तप्त हरा पानी रक्त शोधक होता है। हरा पानी गुर्दों, आतों, त्वचा की कार्यप्रणाली को सुधारता है और रक्त से दूषित पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता करता है।

इसी तरह दिन में तीन समय प्रत्येक भोजन के दस मिनट बाद सूर्य(SUN) तप्त नारंगी बोतल का तैयार पानी चालीस से अस्सी ग्राम तक की मात्रा तक पीना चाहिए। इससे हाजमा सुधर जाता है। पाचन शक्ति बढ़ जाती है। यह बढ़े हुए कॉलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह भोजन को भली-भाति पचाने में हमारी मदद करता है तथा खून के लाल कण भी बढ़ा देता है। 

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सूर्य(SUN) तप्त नारंगी पानी में लौह भस्म के तत्व, अभ्रक भस्म के तत्व तथा शिलाजीत के तत्व समाए हुए होते हैं। यह दोनों रंगों की दवाई (टॉनिक) शरीर के लिए बहुत ही बढ़िया है। इस टॉनिक को नियमानुसार लम्बे समय तक पीते रहने से आगे रोग उस मनुष्य के पास नहीं जाते जो इनके जीवन में आने वाले सब रोगों से रक्षा हो जाती है तथा प्राकृतिक नियम के अनुसार जीवन शैली में निरन्तर सुधार हो जाता है। 

यह टॉनिक शरीर तथा मन को प्रसन्नता देता है, मस्तिष्क और नाड़ियों को बल देता है, मां के स्तनों में दूध की वृद्धि करता है, खून के लाल कण बढ़ जाते हैं, शरीर को स्फूर्ति और ताकत मिल जाती है। इस टॉनिक को लम्बे समय तक पीने से कई रोग अपने आप ही मिट जाते हैं तथा कई आने वाले रोग नज़दीक ही नहीं फटकते हैं।

इस तरह सूर्य(SUN) तप्त हरी बोतल से तैयार पानी तथा सूर्य(SUN) तप्त नारंगी बोतल से तैयार पानी सामान्य व्यक्ति के लिए भी टॉनिक का काम करता है। यह टॉनिक वृद्धावस्था में रामबाण औषधि का काम करता है। जिन व्यक्तियों की चेतना का प्रवाह ठीक न हो ऐसी सब बीमारियों में यह टॉनिक लेना चाहिए। 

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इससे उच्च रक्तचाप, पोलियो, लकवा, तपेदिक रोग, कैंसर रोग, जीर्ण रोग, मानसिक तनाव, बालकों का विकास न होने पर, हृदयाघात आदि में सूर्य(SUN) तप्त हरा पानी तथा सूर्य(SUN) तप्त नारंगी पानी से अद्भुत परिणाम मिलता है। यह टॉनिक मस्तिष्क के लिए एक सबसे उत्तम टॉनिक है।

अनुभूत नुस्खा:-

30 से 50 ग्राम तक गेहूं और 10 ग्राम मेथीदाना दोनों को धोने के बाद आधा गिलास पानी में डालकर एक दिन पहले भिगोकर, दूसरे दिन इसके छने हुए पानी में नीबू निचोड़कर दो ग्राम सोंठ का चूर्ण डालकर इसे घी में 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से शरीर शक्तिवर्धक हो जाता है, पाचन शक्ति बढ़ जाती है, शरीर में स्फूर्ति आ जाती है।


इसके साथ-साथ जो मेथीदाना और भीगा हुआ गेहूं हो, उसको किसी कपड़े में बांधकर हवा में लटका देना चाहिए। इसके बाद चौबीस घंटे पूरे होने पर उन्हें खोलें। गेहू तथा मेथी के दाने अंकुरित हो जाते हैं। इसमें पिसी हुई काली मिर्च और सेंधा नमक डालकर खूब चबा-चबा कर प्रातः नाश्ते में खाना चाहिए। अगर अंकुरित मेथीदाना और गेहूं नमकीन न खाना हो तो इसमें गुड़ मिलाकर भी खा सकते हैं। 

यह मात्रा एक व्यक्ति के लिए ठीक है। लेकिन इसमें शक्कर नहीं डालनी चाहिए केवल गुड़ ही डालें। इस प्रयोग को वृद्ध अवस्था के स्त्री या पुरुष भी कर सकते हैं। अगर दांत न हों तो इसे मसलकर, पीस कर, मुंह में लार के साथ घोलकर खाया जा सकता है। इस तरह बिना दांत के भी इस फार्मूले का सेवन करके लाभ उठा सकते हैं।

सबसे अधिक महत्वपूर्ण और जरूरी बात यह है कि मन को सब परिस्थितियों में स्थिर और शांत रखना है तो ऐसे साधनों की खोज करनी चाहिए जिससे मन प्रसन्न और शांत रह सके। प्रसन्नता और शांति का वातावरण लम्बी आयु के लिए एक महान साधन ही माना गया है।

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बुढ़ापा पके हुए फल की तरह है। उसका अपना ही एक महत्व होता है। 'जिन्दगी 40 वर्ष से शुरु होती है। इस कहावत के अनुसार वृद्धावस्था नवनीत जीवन नवनीत का सार भाग है। वास्तव में संसार के अधिक से अधिक महान कार्यों के लिए महापुरुषों का नाम जीवन में 40 वर्ष की उम्र के बाद ही प्रकाश में आया है। वृद्धावस्था के विकास का अन्तिम चरण यह है जहां पहुंच कर प्रत्येक व्यक्ति गौरव, स्मृति प्रतिष्ठा, ज्ञान, सुलझे हुए अधेड़ अवस्था में विचारों से युक्त हो जीवन का वास्तविक लाभ ले सकता है।