जाने युनिवर्सल लॉ संहिता को... विश्व के अचूक सिद्धांत....... Divine Universal Laws of Nature


स्टोरी हाइलाइट्स

ATUL VINOD:- जाने युनिवर्सल लॉ संहिता को... विश्व के अचूक सिद्धांत....... Divine Universal Laws of Nature दुनिया के कुछ बुनियादी नियम हैं, जिनके आधार पर यह चलती है| इन नियमो पर चलकर हम भी बेहतर लाइफ जी सकते हैं|  जैसे पूरा विश्व कुछ खास नियमों पर चलते हुए करोड़ों साल से अस्तित्व बनाए हुए हैं, उसी तरह से इस दुनिया में मौजूद छोटे बड़े ग्रह अपने अपने नियमों से संचालित होते हैं|  हमारा जीवन भी कुछ बुनियादी नियमों से बंधा हुआ है जो  इस प्रकृति के नियम हैं| इस धरती पर मानव जीवन का लक्ष्य अपनी चेतना का विकास है| हर व्यक्ति ज्ञान और प्रेम के विस्तार के लिए इस दुनिया में आया है| अपने भौतिक अस्तित्व के साथ अपने आध्यात्मिक स्वरूप का विस्तार हर व्यक्ति का कर्तव्य है| हम सब परस्पर निर्भरता के संसार में जीते हैं जहां पर सब कुछ एक दूसरे पर डिपेंड है| जीवन का प्रत्येक घटनाक्रम हमें कुछ ना कुछ सिखाता है| और यदि हम बारीकी से देखें तो हर लेसन में प्रकृति के  कुछ बुनियादी सूत्र मिलते हैं| यदि हम इस सृष्टि के सिद्धांतों को समझ कर उनके साथ हारमोनी बना लेते हैं तो हम अपने जीवन को सार्थक कर सकते हैं| दुनिया के सभी धर्मों में यूनिवर्स के सिद्धांतों की झलक मिलती है लेकिन मनुष्य उन्हें तभी समझ सकता है जब वह प्रकृति के साथ जीना शुरू करे| हम सब यूनिवर्स के नियमों को रेकेगनाइज़(पहचान,चिन्हित) कर सकते हैं| और यदि हम ऐसा कर लेते हैं तो हम अपने भविष्य को और अच्छा बना सकते हैं| हमारी समस्याओं की मूल वजह हमारे कार्यों का इन सिद्धांतों के ख़िलाफ़ होना है| इस दुनिया में मौजूद सभी जीवित प्रजातियों की कुछ खास तरह की भोजन की आवश्यकताएं होती हैं| धरती पर मौजूद सभी मनुष्यों एक खास तरह के वर्तुल (साइकल) में पैदा होते हैं| बढ़ते-बढ़ते  अपने भौतिक जीवन को पूरा करते हैं और मर जाते हैं| मनुष्य को जीने के लिए कुछ खास तरह की अनुकूल व्यवस्थाएं लगती हैं| हम सबका नेचर लगभग समान होता है और हमारी शारीरिक गतिविधियां भी लगभग समान होती हैं|  हमारे विचार भावनाएं और रहन-सहन के तरीके से ही हमारे जीवन का स्तर तय होता है| आप किसी भी धर्म से ताल्लुक रखते हैं लेकिन यदि आप भोजन के पैरामीटर्स को इग्नोर करेंगे तो आपकी सेहत बिगड़ जाएगी| अधिक सर्दी पड़ने पर यदि हम खुद का बचाव नहीं करेंगे तो हम बीमार पड़ जाएंगे|  पैदल चलते वक्त यदि हम गुरुत्वाकर्षण के नियम के विपरीत एक सीमा से ज्यादा झुकेंगे तो हम गिर जाएंगे, प्राचीन इजिप्ट, ग्रीस और भारतीय वैदिक सभ्यता, सभी में सृष्टि के सिद्धांत लगभग कॉमन हैं| इनमें से कुछ नियम कभी चेंज नहीं होते और हमेशा अस्तित्व में रहते हैं| यह पूरा विश्व एक वृहद मन है, क्वांटम साइंस में से यूनिवर्सल माइंड कहते हैं,  भारतीय वैदिक संस्कृति में इसे व्योम या हिरण्यगर्भ कहते हैं| इससे समष्टि मन भी कहा जाता है| हम सब के अंदर जो  व्यक्तिगत मन है उसे व्यष्टि मन कहा जाता है (पर्सनल माइंड) यह सारे इंडिविजुअल माइंड यूनिवर्सल माइंड से कनेक्ट हैं| यूनिवर्सल कॉन्शसनेस(समष्टि-मन) इंडिविजुअल कॉन्शसनेस(व्यष्टि-मन) से जुड़ी हुई है|  वैश्विक मन सर्वशक्तिशाली व सर्वव्यापी है| साइंस में इसी विश्व चेतना को डार्क मैटर या गॉड पार्टिकल कहा  जाने लगा है| विज्ञान के नवीनतम प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकला है कि एक अदृश्य सत्ता है जो पूरी सृष्टि को गवर्न करती है| यह डार्क मैटर बहुत मैटर करता है| हम सब के अंदर भी मौजूद है| हम सब उस विश्व मन के ठीक उसी तरह हिस्से हैं, जैसे एक बूंद एक सागर का हिस्सा होती है| दूसरी बड़ी बात यह है कि हम सब एक ही मूल कण से बने हुए हैं, वही क्वांटम पार्टिकल अलग-अलग वाइब्रेशन पर एकत्रित होकर अलग-अलग तरह की सत्ता का निर्माण करता है| यदि  सूक्ष्मतम रूप में विघटित कर दिया जाए जीवित या निर्जीव इकाई में वही मूल पार्टिकल बचा रह जाता है| यहीं से प्रकृति का दूसरा सिद्धांत निकला जिसे लॉ-ऑफ कर कॉरेस्पोंडेंस कहते हैं| भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक तल पर मौजूद दुनिया की हर एक इकाई के बीच संप,र्क संबंध और सामंजस्य हमेशा मौजूद रहता है| इस विश्व में होने वाली छोटी से छोटी घटना का पूरे विश्व पर, और बड़ी से बड़ी घटना का छोटी से छोटी इकाई पर प्रभाव पड़ता है| जैसे- यदि इस धरती पर मौसम में परिवर्तन होगा तो उसका असर हर जीवित और निर्जीव वस्तु पर होगा| आप भी अपने शरीर में जलवायु या अन्य वैश्विक परिवर्तन के असर को महसूस करते होंगे| इस दुनिया में मौजूद प्रत्येक वस्तु एक निश्चित फ्रीक्वेंसी पर लगातार वाइब्रेट कर रही है|  भारतीय वैदिक दर्शन में दुनिया की उत्पत्ति का कारण ही स्पंदन है| निर्जीव नजर आने वाली वस्तु भी एक खास फ्रीक्वेंसी पर वाइब्रेट कर रही है|  विज्ञान पहले परमाणु को निर्जीव इकाई मानता था लेकिन धीरे-धीरे यह सिद्धांत सामने आया कि परमाणु के अंदर एक नाभिक होता है जिसके चारों ओर इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन गति करते रहते हैं| जब हर वस्तु परमाणु से मिलकर बनी है तो हर वस्तु के अंदर उन परमाणुओं  में मौजूद इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का वाइब्रेशन भी होगा| इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन क्या है- यह ऊर्जा के प्लस माइनस ओर न्यूट्रल गुण हैं| सब कुछ परमाणुओं से निर्मित है तो मूल रूप से सब एक तरह की ऊर्जा का अलग अलग तरह का मिश्रण ही हैं| इसी से तीसरा सिद्धांत निकला लॉ ऑफ वाइब्रेशन, यहां से आगे जाकर एक और नियम समझा गया जिससे लॉ ऑफ अट्रैक्शन कहते हैं| सारी चीजें एक खास फ्रीक्वेंसी पर वाइब्रेट करती हैं इसलिए यह बात भी सामने आई कि समान चीजें समान चीजों को आकर्षित करती हैं| आपके विचार भी ऊर्जा है और वह जिस तरह के होंगे उसी तरह की ऊर्जाओं को आकर्षित करेंगे| आपके अंदर प्रेम के विचार होंगे तो प्रेमी आकर्षित होगा नफरत के विचार होंगे तो नफरत ही आपके सामने आएगी| इस दुनिया में हर चीज के दो पहलू होते हैं|  जो दिखाई देता है उसके विपरीत भी कुछ होता है| जो दिखाई नहीं देता है उसका भी अस्तित्व होता है|  यहां से एक नियम निकल कर सामने आया लॉ ऑफ़ पोलैरिटी, हर चीज के दो ध्रुव होते हैं, हमेशा दो तरह से व्यवहार होता है, जैसे दिन के साथ रात, ठंड के साथ गर्मी, प्रकाश के साथ अंधकार का अस्तित्व है, वैसे ही एक पहलू के विपरीत दूसरा पहलू हमेशा मौजूद होता है|  यदि आप दुखी हैं तो आपके सामने सुखी होने की संभावनाएं भी मौजूद हैं| वैदिक दर्शन में इसे अद्वैत में द्वैत और द्वैत में अद्वैत का सिद्धांत कहा गया है| इस दुनिया में सब कुछ तालबद्ध रूप से चलता है|  जैसे एक के बाद एक मौसम बदलते हैं| धरती सूर्य के एक निश्चित परिधि में चक्कर लगाती है,  निश्चित समय में प्रथ्वी अपनी धुरी पर भी घूमती है, जैसे जीवन का चक्र चलता है जन्म और मृत्यु| दुनिया की तालबद्धता से एक और नियम सामने आया  लॉ ऑफ़ रिदम, जैसे घड़ी का पेंडुलम ऊपर नीचे होता है, जैसे समुद्र की लहरें उठती है और शांत हो जाती है, उसी तरह से जीवन में भी उतार चढ़ाव आते रहते हैं, सुख के साथ दुःख, अच्छाइयों के साथ बुराइयां लगी रहती हैं| आप यदि किसी क्षेत्र में शिखर पर जाते हैं एक पॉइंट के बाद वहां से आपका वापस लौटना तय है| यह प्रकृति का नियम है, फॉरवर्ड के  बाद बैकवर्ड जरूर होता है| यूनिवर्सल माइंड के लिए कुछ भी असंभव नहीं है यदि आप असफल होकर फर्श पर गिर गए हैं तो आप एक दिन अर्श पर भी पहुंच सकते हैं| एक और बात सामने आई कि हर प्रभाव के पीछे कोई ना कोई कारण जरूर होता है,  वैदिक दर्शन में इसे कार्य और कारण का सिद्धांत कहा गया| क्वांटम थ्योरी में इसे लॉ ऑफ़ कॉज एंड इफ़ेक्ट कहा गया| हर कार्य के पीछे कोई ना कोई कारण,  यानी जिंदगी की हर एक स्थिति के पीछे कोई न कोई वजह जरुर होती है| आपकी सफलता-असफलता भी आपके प्रारब्ध और वर्तमान के कर्मों का प्रतिफल कही जाती है|  आपके कर्म ही वह कारण है जो आपकी जिंदगी का वर्तमान और भविष्य तय करते हैं| विचारों को भी कारण माना गया है,  यदि आज हमारे विचार अच्छे (पॉजिटिव) होंगे तो यह कल हमारी जिंदगी में अच्छा प्रभाव जरूर पैदा करेंगे| इसी से कुछ और नियम निकले “जैसा बोओगे वैसा पाओगे”|  “बोया बीज बबूल का तो आम कहां से होय”| इस धरती पर मौजूद हर इकाई में पॉजिटिव, नेगेटिव और न्यूट्रल तीन तरह के गुण मौजूद होते हैं|  भारतीय दर्शन में इन्हें सत्व रज और तम कहा गया| जीव जंतुओं में भी आप मेल फीमेल और ट्रांसजेंडर पाएंगे|  इलेक्ट्रिसिटी में भी प्लस, माइनस, न्यूट्रल| न्यूक्लियर में इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एंड न्यूट्रॉन, Masculine के साथ feminine एलिमेंट हर जगह आपको दिखाई देंगे| यह नियम आपको जीना सिखाते हैं,  खुशी, शांति और आनंद के लिए इन नियमों के साथ चलना सीखें| आपसी समझ, आत्म अवधारणा(Self image) का उच्च स्तर,  दूसरों का सम्मान, परिस्थितियों के साथ अनुकूलता, कमिटमेंट के साथ आपकी जिंदगी विश्व मन के साथ ज्यादा हारमोनी में होती है, और इन नियमों के पालन पर आपको बेहतर परिस्थितियां मिलती हैं| WO