सैलानियों के लिए नियमों की अनदेखी कर रहा बांधवगढ़ पार्क प्रबंधन


स्टोरी हाइलाइट्स

Apart from getting the status of Tiger State in Madhya Pradesh, there are many big challenges too. The biggest challenge is to save the tiger.

 टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने पर बड़ी कई चुनौतियां भोपाल. मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के साथ ही कई बड़ी चुनौतियां भी है. सबसे बड़ी चुनौती टाइगर को बचाने की है. पार्क प्रबंधन इस चुनौती का सामना करने में असफल नजर आ रहा है. बाघों में आपसी संघर्ष के बीच सैलानियों का दबाव भी बढ़ गया है. पर्यटकों के बढ़ते दबाव के चलते पार्क प्रबंधन राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनटीसीए) की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहा है. यहां तक कि पार्क प्रबंधन राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण (एनटीसीए) के नियमों की अनदेखी कर रहा है. पीसीसीएफ वन्य प्राणी मुख्यालय द्वारा लगातार पत्र लिखकर जानकारी मांग रहा है किंतु अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. [video width="640" height="352" mp4="https://www.newspuran.com/wp-content/uploads/2021/01/VIDEO-NEWSPURAN-1.mp4"][/video] एनटीसीए ने सभी नेशनल पार्क प्रबंधन को एक पत्र लिखकर सफारी वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश दिए हैं. बांधवगढ़ नेशनल पार्क में सफारी वाहनों में जीपीएस नहीं लगे है. वाहनों में जीपीएस नहीं लगे होने के कारण सैलानी वाहन चालकों पर दबाव डालकर पार्क के उन स्थानों पर चले जाते हैं जहां बाघों का वास स्थल बने है. एक ही स्थान पर वाहनों की भारी भीड़ की वजह से वन्य प्राणियों के जीवन शैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. यही नहीं, टाइगर का चिड़चिड़ा स्वभाव होता जा रहा है और वह आपसी संघर्ष में मर रहे हैं. बांधवगढ़ बाघ लिए अपर्याप्त वर्ष 2016 में बांधवगढ़ में 61 बाघ थे, जो अब बढ़कर 124 हो गए. एक बाघ को घूमने के लिए 25 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र चाहिए.  बांधवगढ़ का क्षेत्रफल 1586 वर्ग किलोमीटर है. जबकि वर्तमान बाघों की संख्या को देखते हुए बांधवगढ़ में 3000 वर्ग किलोमीटर होना चाहिए. क्षेत्रफल कम होने की वजह से ही कई करो में आपसी फाइट हो रही है. कृष फाइट में टाइगरों की मौत हो रही है.