दीवार पर कैसे चिपक जाती है छिपकली?


स्टोरी हाइलाइट्स

छिपकली के पैर में बहुत सारे सूक्ष्म रेशे होते हैं जिन्हें सीटे कहते हैं। हर सीटे में सैंकड़ों और बहुत सूक्ष्म रोम होते हैं जो स्पैचुले कहलाते हैं। जब ये स्पैचुले दीवार के संपर्क में आते हैं तो वण्डर वाल्स बल उत्पन्न होता है और इसी बल के कारण छिपकली दीवार पर आसानी से चिपकी रह पाती है।

छिपकली के पैर में बहुत सारे सूक्ष्म रेशे होते हैं जिन्हें सीटे कहते हैं। हर सीटे में सैंकड़ों और बहुत सूक्ष्म रोम होते हैं जो स्पैचुले कहलाते हैं। जब ये स्पैचुले दीवार के संपर्क में आते हैं तो वण्डर वाल्स बल उत्पन्न होता है और इसी बल के कारण छिपकली दीवार पर आसानी से चिपकी रह पाती है। छिपकली एक ऐसा जीव है जो साँप से समानता रखता है क्योंकि ये दोनों ही जीव एक ही पूर्वज के वंशज हैं। दुनिया में छिपकली की 50 जातियां और 300 उपजातियाँ पायी जाती हैं। ये अंटार्कटिका को छोड़कर, दुनिया के हर कोने में पायी जाती हैं। अंटार्कटिका के ठन्डे तापमान में अनुकूलित नहीं हो पाने के कारण छिपकली की प्रजातियां वहां नहीं पायी जाती हैं। छिपकली की पूँछ को छूते ही वो छिपकली के शरीर से अलग हो जाती है और कुछ समय बाद वापिस भी आ जाती है। छिपकली अपनी स्किन को बदलती रहती है और अपनी उतारी हुयी स्किन को खा भी जाती है। संसार की तीन चौथाई छिपकलियां निशाचर होती हैं और ज्यादातर छिपकलियां मांसाहारी होती है जो शलभ, झिंगुर, कीट पतंगों को खाती है। इसके अलावा छिपकली अपनी जीभ से चावल और शक्कर भी खा लेती है और इसी जीभ से पानी भी पी लेती है। छिपकली एक बार में पर्याप्त पानी पी लेती है और लम्बे समय तक बिना कुछ खाये रह लेती है।